आराधना मिश्रा ने  BJP पर साधा निशाना, कहा- विधानसभा उपाध्यक्ष का चुनाव सरकार की कुटिलता का परिचायक

Edited By Umakant yadav,Updated: 18 Oct, 2021 03:14 PM

the election of the vice president is a sign of the government s crookedness

उत्तर प्रदेश कांग्रेस विधान मण्डल दल की नेता आराधना मिश्रा मोना ने विधानसभा उपाध्यक्ष के चुनाव पर सवालिया निशान लगाते हुये इसे सरकार की असंवैधानिक कुटिलता और असंवेदनशील मानसिकता का परिचायक करार दिया।

लखनऊ: उत्तर प्रदेश कांग्रेस विधान मण्डल दल की नेता आराधना मिश्रा मोना ने विधानसभा उपाध्यक्ष के चुनाव पर सवालिया निशान लगाते हुये इसे सरकार की असंवैधानिक कुटिलता और असंवेदनशील मानसिकता का परिचायक करार दिया।       

मिश्रा ने सोमवार को विशेष सत्र से पहले पत्रकारों से बातचीत में कहा कि कहा कि विधानसभा का साढ़े चार साल का कार्यकाल समाप्त हो चुका है, और पांच माह से कम की अवधि शेष रह गयी है, ऐसी परिस्थिति में वह कौन से अपरिहार्य कारण है जिसकी वजह से उपाध्यक्ष का चुनाव कराना अल्प समय के लिये आवश्यक हो गया है। यह सरकार की असंवैधानिक कुटिलता और असंवेदनशील मानसिकता का परिचायक को दर्शाता है। कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष लगातार उपाध्यक्ष के चुनाव की मांग करता रहा है, लेकिन सरकार द्वारा अभी तक उत्तर प्रदेश विधान सभा के उपाध्यक्ष का चुनाव नहीं कराया गया है।

उन्होंने कहा कि चूँकि उत्तर प्रदेश विधान सभा के आम चुनाव का समय निकट है और शीघ्र ही चुनाव की अधिसूचना भी जारी होने की संभावना है। अत: ऐसी परिस्थिति में उपाध्यक्ष का चुनाव कराना पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित और अलोकतांत्रिक है। वर्ष 2007 में उ.प्र. विधान सभा के उपाध्यक्ष का चुनाव अंतिम बार हुआ था, तब से चाहे जिस भी पार्टी की सरकार रही हो विधान सभा के उपाध्यक्ष का चुनाव नहीं हुआ, जो कि विधान सभा की प्रक्रिया तथा कार्य संचालन नियमावली 1958 के नियम एवं परम्परा के विपरीत है।

कांग्रेसी नेता ने कहा कि उपाध्यक्ष का चुनाव विपक्ष की सलाह से होता रहा है मगर सत्तारूढ़ दल की तरफ से न तो कोई चर्चा ही इस संदर्भ में विपक्ष के साथ की गयी और न ही कोई सलाह ही ली गयी है। मात्र अपने राजनैतिक लाभ के लिये सत्ता पक्ष उपाध्यक्ष का चुनाव करा रहा है। पूर्व में भी जब भारतीय जनता पार्टी सत्ता में थी तब भी वर्ष 2001 में जब कार्यकाल लगभग समाप्त हो रहा था तो डा. अम्मार रिजवी जी को समर्थन देकर कुछ दिनों के लिये ‘‘उपाध्यक्ष'' बनाया था। भाजपा आदतन एवं इरादतन उपाध्यक्ष पद की गरिमा नष्ट करती है, और उत्तर प्रदेश विधान सभा की शानदार परम्परा का अपमान कर रही है।
 

 

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