Edited By Ruby,Updated: 20 Feb, 2019 02:55 PM
कानपुरः बीहड़ में आतंक का पर्याय बन चुके मलखान सिंह भले ही अपनी बंदूक छोड़ चुके हो, लेकिन पुलवामा घटना को लेकर उनका खून खौल रहा है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि वह उन्हें और उनके साथ 700 बागियों को बार्डर पर भेजे इसके लिए वह कोई वेतन भी नहीं लेगें।...
कानपुरः बीहड़ में आतंक का पर्याय बन चुके मलखान सिंह भले ही अपनी बंदूक छोड़ चुके हो, लेकिन पुलवामा घटना को लेकर उनका खून खौल रहा है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि वह उन्हें और उनके साथ 700 बागियों को बार्डर पर भेजे इसके लिए वह कोई वेतन भी नहीं लेगें। वह देश की सुरक्षा के लिए मरने को भी तैयार हैं।
दरअसल, मलखान सिंह पुलवामा हमले में शहीद हुए सैनिको को श्रद्धांजलि देने के लिए कानपुर पहुंचे । इस दौरान जब मलखान से पूछा गया कि कितनो को मारोगो तो उनका जवाब था कि हम अनाड़ी नहीं है हमने पंद्रह साल तक चंबल घाटी में कोई कथा नहीं बेची।
सरकार को लेना चाहिए कश्मीर का बदला
राजनीति में आने के सवाल पर उनका जवाब था कि जो पार्टी वादा करके उनको पूरा नहीं करती वह हार जाती है जैसे बीजेपी राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश में चुनाव हार गई। अगर वो फिर वायदे करेगी और उनको पूरा नहीं करेगी तो उसकी हार पक्की है। मलखान सिंह ने कहा कि चुनाव तो होते ही रहेंगे, लेकिन पहले सरकार को कश्मीर का बदला लेना चाहिए।
CM अर्जुन के समय में मलखान ने किया था आत्मसमर्पण
पूर्व दस्यु सरगना मलखान सिंह ने अपने बारे में बताते हुए कहा कि सन 1982 में मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के समय उन्होंने आत्मसमर्पण किया था। समर्पण पर एलान किया था कि अगर कोई महिला कह दे कि मलखान सिंह ने उसके साथ किसी घटना को अंजाम दिया है तो उसे मंच के सामने ही फांसी पर लटका दिया जाए।
महिलाओं के मामले में है मेरी साफ सुथरी छवि
उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि बीहड़ में मेरा इतिहास साफ़ सुथरा रहा है। ऐसे महात्मा जो अपने आप को बड़े सच्चे बताते हैं वह घेरे में आ चुके है कुछ तो जेल में पड़े हुए है, लेकिन कोई बागी ऐसा नहीं है जिस पर इस तरह का कोई इल्जाम लगा हो। मलखान सिंह ने साफ़ कहा कि तमाम लोग मेरे बारे में कहते है कि मैनें कई क़त्ल किए-डकैती डाली, लेकिन वह सब झूठ है। मेरे साथ जो अन्याय हुआ उसको लेकर हम एक से लड़ाई लड़ें हैं।