अलीगढ़ में लंपी वायरस का कहर: 41 पशुओं की मौत...4099 मवेशी संक्रमित, पशु चिकित्सा विभाग हुआ सतर्क

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 03 Sep, 2022 05:41 PM

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अलीगढ़: देश भर में चल रहा लंपी स्किन डिजीज वायरस ने पशुपालकों की नींद उड़ा रखी है। लंपी स्किन वायरस की गंभीर बीमारी खास तौर से गोवंश व भैंसों में देखने को मिल रही है। वहीं, उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले में लंपी वायरस ने दस्तक दे दी है।

अलीगढ़: देश भर में चल रहा लंपी स्किन डिजीज वायरस ने पशुपालकों की नींद उड़ा रखी है। लंपी स्किन वायरस की गंभीर बीमारी खास तौर से गोवंश व भैंसों में देखने को मिल रही है। वहीं, उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले में लंपी वायरस ने दस्तक दे दी है। यहां लंपी वायरस ने 41 पशुओं की जान ले ली है। इतना ही नहीं अब तक जिले भर के अलग-अलग 126 गांव में 4099 पशु वायरस संक्रमण बीमारी से जूझ रहे हैं। पशु चिकित्सा विभाग इस वायरस को तेजी से फैलते हुए देख सतर्क हो गया है।

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लंपी वायरस गोवंश व भैंसों में फैल रहा 
दरअसल, इन दिनों लंपी वायरस बड़ी तेजी से गोवंश व भैंसों में फैल रहा है। यह वायरस बिजनौर में भी पहुंच गया है। वहीं,अलीगढ़ जिले के 126 गांव में 4099 गोवंश लंपी बीमारी की चपेट में है और अब तक 41 पशु की मौत हो चुकी है, जबकि 650 पशु ठीक भी हो चुके हैं। बताया जा रहा है कि वहां पशु चिकित्सा विभाग की टीम पहुंच गई है। जहां पर बीमार पशुओं का इलाज किया जा रहा था, वहां सभी पशुओं को अलग कर दिया गया है। जबकि 30 हजार से अधिक पशुओं का टीकाकरण भी हो चुका है।

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अब तक 4099 पशु प्रभावित हो चुके
मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ बी.पी सिंह ने बताया कि लंपी से अब तक 4099 पशु प्रभावित हो चुके हैं जबकि 84,577 पशुओं को संदिग्ध की श्रेणी में रखा गया है। उन्होंने बताया कि अब तक 38 सैंपल जांच के लिए मथुरा भेजे गए थे, जिसमें से 12 पॉजिटिव केस पाए गए हैं। मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि कुल 38 टीमें अब तक 30 हजार पशुओं को वैक्सीनेशन लगा चुकी हैं। प्रत्येक ब्लॉक में तीन- तीन टीमें घर-घर जाकर टीकाकरण के काम में जुटी है।

मच्छर और मक्खी के काटने से फैलती है बीमारी
लंपी स्क्रीन डिजीज पशुओं को होने वाला एक वायरल बीमारी है। यह पोस्क वायरस से मवेशियों में मच्छर और मक्खी के जरिए एक से दूसरे में फैलती है। पशुओं के शरीर पर जख्म नजर आने लगते हैं। पशु खाना कम कर देता है और उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी घटने लग जाती है। इस बीमारी की शुरुआत में पशु 2 से 3 दिन तक हल्का बुखार रहता है। उन्होंने अपील की है कि पशुपालक बीमार पशुओं का सरकारी चिकित्सालय में ही उपचार कराएं।

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