Edited By Harman Kaur,Updated: 18 Mar, 2024 06:20 PM
Rampur Tiraha Case: मुजफ्फरनगर की एक विशेष अदालत ने करीब 30 वर्ष पहले उत्तराखंड को अलग राज्य बनाए जाने की मांग कर......
Rampur Tiraha Case: मुजफ्फरनगर की एक विशेष अदालत ने करीब 30 वर्ष पहले उत्तराखंड को अलग राज्य बनाए जाने की मांग कर रही महिला आंदोलनकारियों के साथ सामूहिक दुष्कर्म के जुर्म में सोमवार को पीएसी (प्रांतीय सशस्त्र कांस्टेबुलरी) के दो पूर्व सिपाहियों (आरक्षी) को उम्रकैद की सजा सुनाई है।
अभियोजन अधिकारी (सीबीआई) धारा सिंह ने बताया कि विशेष सीबीआई न्यायाधीश शक्ति सिंह ने दो पूर्व पीएसी कांस्टेबल मिलाप सिंह और वीरेंद्र प्रताप पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। अदालत ने दोनों को सामूहिक दुष्कर्म समेत भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं के तहत दोषी ठहराया था। रामपुर तिराहा पुलिस गोलीबारी मामले में विशेष सीबीआई अदालत ने दो पूर्व पीएसी कांस्टेबल को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनायी, जिन पर 1994 में पृथक उत्तराखंड की मांग करने वाली महिला कार्यकर्ताओं के साथ सामूहिक बलात्कार के मामले में सुनवाई चल रही थी। अदालत ने 15 मार्च को ही आरोपियों को दोषी करार दिया था और सजा के विषय पर 18 मार्च तक अपना आदेश सुरक्षित रखा था।
सिंह के अनुसार इस मामले में सीबीआई ने 15 गवाहों को पेश किया है, जिनमें एक 75 वर्षीय पीड़ित महिला, एक पूर्व गृह सचिव दीप्ति विलास भी शामिल हैं। दो अक्टूबर 1994 को अलग उत्तराखंड राज्य की मांग के समर्थन में आंदोलनकारी बसों से ऋषिकेश से दिल्ली जा रहे थे। इस दौरान आंदोलनकारी रात को जब मुजफ्फरनगर जिले के रामपुर तिराहा पर पहुंचे तो पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की। जब आंदोलनकारी नहीं माने तो पुलिसकर्मियों ने गोलीबारी की। उस दौरान उत्तराखंड के सात कार्यकर्ताओं की मौत हो गयी तथा महिला कार्यकर्ताओं के साथ बलात्कार किया गया। इस मामले में दो दर्जन से अधिक पुलिसकर्मियों पर गंभीर धाराओं के साथ ही सामूहिक दुष्कर्म का मामला दर्ज हुआ था।
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