वाराणसी में आज हुआ आदि विश्वेश्वर मंदिर के मॉडल का अनावरण और संगोष्ठी, देशभर में होगा प्रचार-प्रसार

Edited By Pooja Gill,Updated: 31 Jul, 2023 04:18 PM

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Varanasi News: उत्तर प्रदेश के वाराणसी में आज चौकाघाट इलाके में स्थित गिरिजा देवी सभागार में आदि महादेव धर्मालय मुक्ति न्यास की ओर से आयोजित कार्यक्रम में मॉडल का अनावरण और संगोष्ठी की गई। हिंदू जनमानस में राम जन्म भूमि की तरह ही लकड़ी के बने मॉडल...

Varanasi News (विपिन मिश्रा): उत्तर प्रदेश के वाराणसी में आज चौकाघाट इलाके में स्थित गिरिजा देवी सभागार में आदि महादेव धर्मालय मुक्ति न्यास की ओर से आयोजित कार्यक्रम में मॉडल का अनावरण और संगोष्ठी की गई। हिंदू जनमानस में राम जन्म भूमि की तरह ही लकड़ी के बने मॉडल के साथ प्रचार-प्रसार करने की योजना है ताकि लोगों में जनजागृति हो। माॅडल के अनावरण के बाद इसी विषय पर संगोष्ठी भी हुई, जिसमे इस बात पर चर्चा हुई कि आदि विश्वेश्वर का मंदिर कितना भव्य और सुंदर था।

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बता दें कि वाराणसी के ज्ञानवापी में कभी आदि विश्वेश्वर का मंदिर था। इसे जेम्स प्रिंसेप के नक्शे से साबित करते हुए उस समय मंदिर कैसा दिखता था? इसका जवाब तलाशते हुए एक भव्य मॉडल तैयार किया गया है। इसे देशभर में प्रदर्शित किया जाएगा ताकि लोग यह जान सके कि मंदिर को औरंगजेब द्वारा तोड़ दिया गया। मंदिर कितना भव्य, दिव्य और विशाल था। आदि विश्वेश्वर के मंदिर का मॉडल तैयार करने वाले रामप्रकाश कहते है कि लकड़ी के इस मॉडल को तैयार करने में करीब दस महीने लगे हैं।

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पुस्तकों और नक्शे के आधार पर तैयार हुआ मॉडल
ज्ञानवापी मुकदमे से जुड़े लोगों ने ग्रन्थों, पुस्तकों के अध्ययन और उपलब्ध नक्शों के आधार पर यह मॉडल तैयार करवाया है। ज्ञानवापी केस से जुड़े डॉ. राम प्रसाद सिंह के अनुसार, वर्ष 1669 से पहले ज्ञानवापी में भगवान शिव का भव्य मंदिर हुआ करता था। धार्मिक और ऐतिहासिक ग्रन्थों में इस बात का उल्लेख मिलता है। बनारस के इतिहास में दिलचस्पी रखने वाले इतिहासकार एएस अल्टेकर और जेम्स प्रिंसेप ने भी विश्वेश्वर मंदिर के बारे में जानकारी उपलब्ध कराई है। प्रिंसेप ने तो मंदिर का नक्शा भी तैयार किया था।

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मॉडल के जरिए देशभर में होगा प्रचार-प्रसार
अध्ययनों से पता चलता है कि भगवान आदि विश्वेश्वर के मंदिर की ऊँचाई 128 फीट और चौड़ाई 136 फीट थी। तीन मंजिला मंदिर में आठ फीट ऊँचा शिखर था। मंदिर में आठ मंडप थे। पश्चिम दिशा में स्थित श्रृंगार मंडप के पास प्रवेश द्वार था। उत्तर दिशा में नंदी विराजमान थे और दक्षिण दिशा में स्थित कुंड में मंदिर का जल प्रवाहित होता था। इसके साथ ही ज्ञानवापी में कमीशन के दौरान जो हिंदू मंदिरों के प्रतीक चिन्ह आए थे। उन्हे भी उन्होंने दर्शाया और बताया की यहां सिर्फ मंदिर के निशान है और ये सब जानते है। वहीं हिंदू पक्ष से वकील विष्णु शंकर जैन ने बताया कि मॉडल के जरिए क्षमतानुसार देश भर में जनजागृती के लिए प्रचार-प्रसार भी होगा।

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