Gyanvapi Case: मुस्लिम पक्ष ने खटखटाया SC का दरवाजा, पूजा पर रोक लगाने की मांग... CJI बोले HC जाइए

Edited By Imran,Updated: 01 Feb, 2024 01:55 PM

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ज्ञानवापी मामले में जिला अदालत का फैसला आने के बाद मुस्लिम पक्ष ने अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। वहीं, हिंदू पक्ष को मस्जिद के सीलबंद तहखाने के अंदर पूजा करने की अनुमति दे दी गई है। कोर्ट के फैसले में कहा गया कि 7 दिन के अंदर पूजा बहाली की...

वाराणसी: ज्ञानवापी मामले में जिला अदालत का फैसला आने के बाद मुस्लिम पक्ष ने अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। वहीं, हिंदू पक्ष को मस्जिद के सीलबंद तहखाने के अंदर पूजा करने की अनुमति दे दी गई है। कोर्ट के फैसले में कहा गया कि 7 दिन के अंदर पूजा बहाली की व्यवस्था की जाए। 

मिली जानकारी के अनुसार, मुस्लिम पक्ष की कानूनी टीम में वकील फुजैल अय्यूबी, निजाम पाशा और आकांशा शामिल थे। उन्होंने गुरुवार सुबह 3 बजे सुप्रीम कोर्ट के वेकेशन रजिस्ट्रार से संपर्क किया और वाराणसी कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने का अनुरोध किया ताकि वह कानूनी उपाय तलाश सके। रजिस्ट्रार ने सुबह 4 बजे भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के सामने दस्तावेज रखे। कागजात देखने के बाद सीजेआई ने मुस्लिम पक्ष से किसी भी तरह की राहत के लिए मामले का उल्लेख इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष करने को कहा। 

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बता दें कि वाराणसी की अदालत ने स्थानीय प्रशासन से ज्ञानवापी परिसर के तहखाने में सात दिनों में पूजा बहाली की व्यवस्था करने का​ निर्देश दिया था। प्रशासन ने सात घंटे में ही सब काम पूरा कर दिया।  सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दायर पत्र के अनुसार, मस्जिद कमिटी ने कहा कि प्रशासन के पास इस कार्य को 'जल्दबाजी' और 'रात के अंधेरे में' करने का कोई कारण नहीं था। क्योंकि ट्रायल कोर्ट द्वारा पारित आदेश उन्हें आवश्यक व्यवस्थाएं करने के लिए एक सप्ताह का समय  पहले ही दिया जा चुका था। मुस्लिम पक्ष ने आरोप लगाया कि प्रशासन हिंदू याचिकाकर्ताओं के साथ मिला हुआ है।

ज्ञानवापी परिसर को लेकर दोनों पक्षों का दावा
वाराणसी अदालत का आदेश चार महिला याचिकाकर्ताओं द्वारा मस्जिद के सीलबंद हिस्से की खुदाई और सर्वेक्षण की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने के कुछ दिनों बाद आया है।  हिंदू पक्ष के अनुसार, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI)) की रिपोर्ट से पता चला है कि ज्ञानवापी स्थल पर मस्जिद के निर्माण से पहले एक बड़ा हिंदू मंदिर मौजूद था और 17 वीं शताब्दी में मुगल सम्राट औरंगजेब के आदेश पर इसे ध्वस्त कर दिया गया था। हालांकि, मुस्लिम पक्ष इस दावे को खारिज करता रहा है। 


 

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