नेताजी के अंतिम दर्शन के लिए उमड़ा जनसैलाब, पैतृक आवास पहुंचा मुलायम सिंह का पार्थिव शरीर

Edited By Ramkesh,Updated: 10 Oct, 2022 07:41 PM

government will conduct netaji s last rites with state honors

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी संरक्षक मुलायम सिंह यादव का सोमवार को सुबह गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल निधन हो गया। तबीयत बिगड़ने पर उन्हें पहली अक्टूबर को आईसीयू में भर्ती कराया गया था। उनके निधन से प्रदेश व राजनीतिक गलियारों...

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी संरक्षक मुलायम सिंह यादव का सोमवार को सुबह गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल निधन हो गया। तबीयत बिगड़ने पर उन्हें पहली अक्टूबर को आईसीयू में भर्ती कराया गया था। उनके निधन से प्रदेश व राजनीतिक गलियारों में शोक की लहर है। सीएम योगी ने मुलायम सिंह यादव के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि मुलायम सिंह यादव का राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। सीएम योगी ने तीन दिन का राजकीय शोक का ऐलान किया है। बताया जा रहा है कि नेताजी का पार्थिव शरीर शाम 6 बजे सैफई पहुंचने की सम्भाना है। वहीं सपा समर्थकर और उनके शुभचिंतकर उनके अंतिम दर्शन के लिए यमुना एक्सप्रस-वे के किनारे मैजूद हैं। तबाया जा रहा है कि मथुरा टोल प्लाजा पर मुलायम सिंह यादव के पार्थिव शरीर को ले जा रही एंबुलेंस खराब हो गई है। जिस की वजह से एक घंटा बिलंम से उनका शव फैसई पहुंचा। उनके अंतिम दर्शन के लिए सीएम योगी सैफई में मौजूद है।नेताजी के अंतिम दर्शन के लिए  उनके पैतृक आवास पर लोगों जन सैलाब उमड़ पड़ा है। 

PunjabKesari


मुलायम सिंह के निधन पर बिहार में शोक की लहर, नीतीश सरकार ने एक दिन का राजकीय शोक किया घोषित

मुलायम सिंह यादव के अंतिम संस्कार को लेकर उनके पैतृक गांव सैफई में तैयारियां शुरू दी गई है।  यादव के पैतृक आवास पर  सपा समर्थकों और उनके शुभचिंतक आवास पर पहुंच रहे है। अंतिम दर्शन के बाद धरतीपुत्र मुलायम सिंह यादव का अंतिम संस्कार किया जाएगा। 

PunjabKesari

अब मुलायम की छाया के बगैर अखिलेश को करना होगा काम 
राजनीतिक विश्लेषक जेपी शुक्ला के मुताबिक, ‘‘सपा पर अखिलेश यादव का नियंत्रण हो जाने के बाद मुलायम सिंह यादव का हाल के कुछ वर्षों में पार्टी कार्य संचालन में भले ही कोई प्रत्यक्ष हस्तक्षेप नहीं रहा हो, लेकिन उनका नाम अखिलेश यादव के लिए एक कवच की तरह था और वह अपने हर फैसले में अपने पिता की हामी होने का दावा करते थे। मुलायम के निधन के बाद अखिलेश के पास अब यह कवच नहीं रहेगा।'' उन्होंने कहा, ‘‘अखिलेश को अब मुलायम की छाया के बगैर काम करना होगा। हालांकि, इसका पार्टी के आंतरिक मामलों पर कोई खास असर नहीं होगा लेकिन इसका मनोवैज्ञानिक प्रभाव जरूर पड़ेगा। अखिलेश के विरोधी हो चुके उनके चाचा शिवपाल सिंह यादव तथा उनसे जुड़े अन्य लोग मुलायम का लिहाज करके सपा नेतृत्व के खिलाफ खुलकर नहीं बोलते थे लेकिन अब उनके निधन के बाद हालात बदल सकते हैं।'' उन्होंने कहा कि मुलायम अपने परिवार में जिस भावनात्मक जुड़ाव का मूल आधार थे वह उनके निधन के बाद अब शायद पहले जैसा नहीं रह जाएगा। राजनीतिक प्रेक्षक प्रोफेसर बद्री नारायण का मानना है कि  मुलायम सिंह यादव के निधन से समाजवादी पार्टी को निश्चित रूप से एक अपूरणीय क्षति हुई है और इसके कई तरह के प्रभाव सामने आ सकते हैं। 

 

मुलायम के निधन पर अखिलेश के साथ जुड़ेगी सहानुभूति
उन्होंने कहा, ‘‘अखिलेश यादव ने पिछले पांच वर्षों में समाजवादी पार्टी पर पूरी तरह से प्रभुत्व हासिल कर लिया है लेकिन राजनीतिक मंचों पर वह मुलायम सिंह यादव को हमेशा आगे रखते रहे। मुलायम के निधन से अखिलेश के साथ सहानुभूति जुड़ेगी। वे लोग भी भावनात्मक रूप से अखिलेश के साथ आ सकते हैं जो हाल के वर्षों में पार्टी से दूर हो गए थे।'' नारायण ने कहा कि मुलायम सिंह यादव अपने कुनबे के मुखिया थे और जैसा कि हर परिवार में मुखिया के निधन के बाद अक्सर होता है, वह मुलायम के परिवार के साथ भी हो सकता है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का विरोध करने वाले उनके चाचा शिवपाल सिंह यादव अब और मुखर हो सकते हैं। सपा के पूर्व विधान परिषद सदस्य आनंद भदौरिया ने कहा कि मुलायम सिंह यादव स्वास्थ्य कारणों से भले ही राजनीति में सक्रिय न रहे हों लेकिन पार्टी के नेता अक्सर उनसे मिलकर विभिन्न मसलों पर उनसे सलाह लेते थे। पार्टी में कौन क्या कर रहा है, नेताजी (मुलायम) को इसकी खबर रहती थी।

PunjabKesari

लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी को 80 में से 38 सीटें देने पर मुलायम ने जाताई थी नारजगी
उन्होंने कहा, ‘‘मुलायम सिंह यादव सपा के मार्गदर्शक थे। उन्होंने हमेशा संघर्ष का रास्ता अपनाने और लोगों की मदद करने की सीख दी। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में जब समाजवादी पार्टी ने बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन किया था और उसे 80 में से 38 सीटें दे दी थीं तो इस पर मुलायम ने नाराजगी जाहिर की थी।'' सपा के एक अन्य पूर्व विधान परिषद सदस्य राजपाल कश्यप ने कहा कि मुलायम सिंह यादव पार्टी के मार्गदर्शक होने के साथ-साथ उसे जोड़े रखने वाली शख्सियत भी थे। पार्टी में जब भी मतभेद उत्पन्न होते तो वह उसे समझाने का पूरा प्रयास करते। उनका मानना था कि व्यक्तिगत मतभेदों को पार्टी के विकास के आड़े नहीं आने देना चाहिए।

PunjabKesari

उन्होंने कहा कि वर्ष 2017 में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल सिंह यादव के बीच मतभेद गहरे होने के दौरान मुलायम ने उन्हें एकजुट करने की भरसक कोशिश की। बाद में शिवपाल ने जब प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के नाम से एक अलग दल बनाया तब भी मुलायम उन्हें आशीर्वाद देने पहुंचे। मुलायम सिंह यादव का परिवार देश के सबसे बड़े राजनीतिक कुनबों में गिना जाता है। उनके बेटे सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं जबकि उनके भाई शिवपाल सिंह यादव कैबिनेट मंत्री रहे हैं। इसके अलावा उनके चचेरे भाई रामगोपाल यादव और बहुएं डिंपल यादव तथा अपर्णा बिष्ट यादव भी राजनीति में हैं। अपर्णा इस वक्त भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में हैं। अब देखने वाली बात होगी कि मुलायम सिंह के निधन के बाद क्या यादव कुनबा एक साथ रहता है कि बिखर जाता है। 

PunjabKesari
बता दें कि गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल से नेताजी मुलायम सिंह यादव का पार्थिव शरीर एम्बुलेंस से दिल्ली उनके सरकारी आवास पर ले जाया जाएगा। वहां पर उनके समर्थक बड़े राजनीतिक नेताओं के लिए अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा। उसके बाद राजधानी लखनऊ में उनके शव को अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा। बताया जा रहा है कि नेता जी अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव सैफई में किया जाएगा। सीएम योगी समेत कई देश और प्रदेश के नेता उनके अंतिम संस्कार में शामिल होंगे। 

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!