पक्षाघात से पीड़ित कर्मचारी को चिकित्सा अवकाश के दौरान भुगतान पाने का पूरा हक: हाईकोर्ट

Edited By Ajay kumar,Updated: 23 Nov, 2023 06:29 PM

employees suffering from paralysis full right to be paid during medical leave

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चिकित्सकीय अवकाश के दौरान वेतन भुगतान के मामले में अपनी महत्वपूर्ण टिप्पणी में कहा है कि पक्षाघात से पीड़ित कर्मचारी को चिकित्सा अवकाश के दौरान भुगतान पाने का पूरा हक है।

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चिकित्सकीय अवकाश के दौरान वेतन भुगतान के मामले में अपनी महत्वपूर्ण टिप्पणी में कहा है कि पक्षाघात से पीड़ित कर्मचारी को चिकित्सा अवकाश के दौरान भुगतान पाने का पूरा हक है। उक्त टिप्पणी न्यायमूर्ति अजीत कुमार की एकलपीठ ने संयुक्त महानिरीक्षक पंजीकरण के कार्यालय में अर्दली के रूप में कार्यरत कर्मचारी के वेतन में कटौती करने के राज्य सरकार के फैसले को रद्द करते हुए की, जब वह पक्षाघात से पीड़ित होने के बाद चिकित्सा अवकाश पर कार्यालय से, अनुपस्थित था।

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कोर्ट ने कर्मचारी की पत्नी शकुंतला देवी की याचिका पर सुनाया फैसला
कोर्ट ने यह भी पाया कि ऐसा निर्णय विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016 के प्रावधानों का उल्लंघन है। अगर याची का पति (कर्मचारी) पक्षाघात से पीड़ित था और कार्यालय में उपस्थित होने के लिए उपयुक्त शारीरिक स्थिति में नहीं था, तो ऐसा व्यक्ति निश्चित रूप से राज्य से सुरक्षा का हकदार था। कोर्ट ने कर्मचारी की पत्नी शकुंतला देवी द्वारा दायर याचिका पर यह फैसला सुनाया।

मरने से पहले सरकारी कर्मचारी के रुप में कार्यरत था पीड़ित
दरअसल याची के पति 2020 में पक्षाघात से पीड़ित होने के बाद मरने से पहले सरकारी कर्मचारी के रुप में कार्यरत थे। कर्मचारी की मृत्यु के बाद उसकी पत्नी ने पेंशन और अन्य बकाए के लिए संबंधित अधिकारियों से संपर्क किया। भुगतान करने में कठिनाइयों का सामना करने पर याची ने राहत के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

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कल्पना करना भयानक और काफी निराशाजनक
कोर्ट ने कर्मचारी के परिवार को भुगतान देने से इनकार करने के लिए राज्य की आलोचना करते हुए कहा कि यह कल्पना करना भयानक और काफी निराशाजनक है कि जब वह लकवाग्रस्त हालत में बिस्तर पर पड़ा था तो परिवार एक भी रुपये के बिना कैसे जीवित रहा। सरकारी अधिवक्ता ने कहा कि यह राज्य की वित्तीय पुस्तिका के तहत लागू नियमों के अनुसार लिया गया था। हालांकि, कोर्ट ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि 2016 अधिनियम की धारा 20 में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि रोजगार के मामलों में विकलांग व्यक्तियों के साथ कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा। कोर्ट ने बताया कि पक्षाघात से पीड़ित व्यक्ति अधिनियम में उल्लिखित विकलांगता वाले व्यक्तियों की श्रेणी में आएगा।

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