CM योगी ने उठाया तीन तलाक का मुद्दा, कहा- खामोश रहने वाले लोग भी हैं दोषी

Edited By ,Updated: 17 Apr, 2017 12:56 PM

cm yogi raised issue of three divorces people who are silent are also guilty

तीन तलाक की व्यवस्था बरकरार रखने के आल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के स्पष्ट रख के बीच उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि....

लखनऊ: तीन तलाक की व्यवस्था बरकरार रखने के आल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के स्पष्ट रख के बीच उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि देश का राजनीतिक क्षितिज इस मसले को लेकर मौन बना हुआ है। इससे पूरी व्यवस्था कठघरे में खड़ी हो गई है और ‘अपराधियों’ तथा उनके सहयोगियों के साथ-साथ इस मामले पर खामोश रहने वाले लोग भी इसके दोषी हैं।

मुख्यमंत्री ने पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की 91वीं जयन्ती पर यहां आयोजित कार्यक्रम में तीन तलाक के मुद्दे का जिक्र करते हुए कहा कि इन दिनों में एक नई बहस चली आ रही है। कुछ लोग देश की इस ज्वलंत समस्या को लेकर मुंह बंद किए हुए हैं, तो मुझे महाभारत की वह सभा याद आती है, जब द्रौपदी का चीरहरण हो रहा था, तब द्रौपदी ने उस भरी सभा से एक प्रश्न पूछा था कि आखिर इस पाप का दोषी कौन है। योगी ने कहा कि तब कोई बोल नहीं पाया था, केवल विदुर ने कहा था कि एक तिहाई दोषी वे व्यक्ति हैं, जो यह अपराध कर रहे हैं, एक तिहाई दोषी वे लोग हैं, जो उनके सहयोगी हैं, और तिहाई वे हैं जो इस घटना पर मौन हैं।

उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि देश का राजनीतिक क्षितिज तीन तलाक को लेकर मौन बना हुआ है। सच पूछें तो यह स्थिति पूरी व्यवस्था को कठघरे में खड़ा कर देती है। अपराधियों के साथ-साथ उनके सहयोगियों को और मौन लोगों को भी। योगी का यह बयान आल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड द्वारा कल तीन तलाक की व्यवस्था में कोई परिवर्तन ना करने के फैसले के मद्देनजर काफी महत्वपूर्ण माना जा सकता है।

मालूम हो कि बोर्ड ने कल अपनी कार्यकारिणी की बैठक में तीन तलाक की व्यवस्था को खत्म करने से इनकार करते हुए इस सिलसिले में एक आचार संहिता जारी करके शरई कारणों के बगैर तीन तलाक देने वाले मर्दों के सामाजिक बहिष्कार की अपील की है। योगी ने समान आचार संहिता का भी जिक्र किया और कहा कि हम चंद्रशेखर जी की बातों को पढ़ते हैं। उन्होंने कहा था कि देश में एक सिविल कोड बनाने की जरूरत है।

सीएम ने कहा कि जब हमारे मामले समान हैं, तो शादी ब्याह के कानून भी समान क्यों नहीं हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि कामन सिविल कोड के बारे में उनकी धारणा स्पष्ट थी। उनके लिए अपनी विचारधारा नहीं बल्कि उनके लिए राष्ट्र महत्वपूर्ण था। हमारी राजनीति राष्ट्रीय हितों पर घात प्रतिघात करके नहीं बल्कि राष्ट्र और संविधान के दायरे में होनी चाहिए।
 

 

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