Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 12 Jun, 2024 02:59 PM
ऑनलाइन गेम के नाम पर फ्रॉड करने वाले गिरोह के 12 लोगों को गिरफ्तार करके प्रयागराज पुलिस ने ठगी गैंग का खुलासा ...
प्रयागराज: ऑनलाइन गेम के नाम पर फ्रॉड करने वाले गिरोह के 12 लोगों को गिरफ्तार करके प्रयागराज पुलिस ने ठगी गैंग का खुलासा किया है। पुलिस कमिश्नरेट प्रयागराज की यमुनानगर जोन की नैनी थाना पुलिस और एसओजी यमुनानगर नेपकड़े गए गिरोह के सदस्यों कब्जे से 42 मोबाइल फोन, 52 मोबाइल सिम, 5 लैपटॉप समेत 11 बैंकों की पासबुक और 9 रजिस्टर बरामद किए हैं। जिसमें तकरीबन ढाई करोड़ रुपए के लेनदेन का हिसाब बरामद किया है। पुलिस के गैंग के कई सदस्य अभी पुलिस की गिरफ्त से दूर हैं। उनके बारे में जानकारी जुटाई जा रही है। बताया जा रहा है कि सिर्फ 15 दिन में ऑनलाइन गेम खेलाकर इस गैंग ने ढाई करोड़ की कमाई की है।
40 हजार महीने पर एक फ्लैट किराए पर लिया
इस बारे में डीसीपी यमुनानगर श्रद्धा पांडेय ने बताया कि महेवा नैनी में 40 हजार महीने पर एक फ्लैट किराए पर लेकर यह गेम चल रहा था। विजय निषाद, प्रवीण वर्मा और सूरज चौरसिया इस गेम को प्रयागराज में संचालित कर रहे थे। सूरज और विजय बिहार में कई जगहों पर काम कर चुके थे। इसके बाद उन्हें प्रयागराज भेजा गया था। प्रतापगढ़ के रहने वाले सूरज चौरसिया ने नैनी में कमरा दिलाया था। इन तीनों के अलावा गाजीपुर और छत्तीगढ़ के युवकों को सिर्फ मैसेज रीड कर फारवर्ड करने का काम दिया गया था। इसके एवज में उन्हें 15 से 25 हजार रुपए सैलरी दी जा रही थी। इस टीम में शामिल युवक 19 से 25 साल के हैं। आरोपी अधिकतम इंटरमीडिएट तक ही पढ़े हैं।
इन गेमों पर लगवाते थे सट्टा
डीसीपी ने बताया कि इस गैंग को ऑपरेट करने वाले फेसबुक, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम आदि सोशल साइट्स पर लेजर, 99 एक्सचेंज और 11 एक्सप्ले के नाम से गेम खेलो और रुपये जीते का विज्ञापन जारी करते थे। अगर किसी ने उस पर क्लिक किया तो उसकी जानकारी लोकल यूनिट को दी जाती थी। वे संबंधित व्यक्ति से संपर्क करके 100 रुपये में रजिस्ट्रेशन कराते थे। जैसे क्रिकेट में 20-20 और आईपीएल जैसे सीरीज के नाम पर सबसे ज्यादा पैसा कमाए हैं। एक दिन में आठ से 10 लाख की कमाई होती थी। ठग पहले और दूसरे राउंड में खेलने वाले को जिताते थे। बाद में तीसरे और चौथे राउंड में गेम हराकर लाखों रुपये ठग लेते थे। क्योंकि गेम का एक्सेस उनके पास होता था। पकड़े गए 12 अभियुक्तों में से सूरज और पीयूष गैंग ऑपरेट करते थे और यही लोग क्रिकेट, फुटबाल, हॉकी, लूडो चेस, कार रेस बाइकिंग आदि गेम में सट्टा लगवाते थे।
क्रिमिनल रिकॉर्ड भी खंगाला जा रहा
डीसीपी यमुनानगर जोन श्रद्धा नरेंद्र पांडेय ने बताया कि पुलिस फिलहाल इस गैंग के पूरे नेटवर्क को खंगालने में जुट गई है। गैंग से जुड़े सदस्यों का भी क्रिमिनल रिकॉर्ड खंगाला जा रहा है, जबकि गिरफ्तार अभियुक्तों के खिलाफ अग्रिम विधिक कार्रवाई की जा रही है। आरोपियों ने पुलिस के सामने कई रहस्य और पुराने केसों से संबंधित जानकारी उगल दी है। इस गैंग के सदस्य बेहिसाब खर्चा करते और लग्जरी लाइफ जीते थे। इनके बताए गए तथ्यों की जानकारी को पुष्ट किया जा रहा है। पुलिस अफसर ने कहा कि इस केस में अन्य आरोपियों की गिरफ्तारियां भी जल्द हो सकती हैं।
पकड़े गए आरोपियों के नाम
1-सूरज चौरसिया-प्रतापगढ़
2-पीयूष यादव उर्फ प्रिंस-गाजीपुर
3-घनश्याम वर्मा-छत्तीसगढ़
4-हिमांशु यादव -गाजीपुर
5-मनीष निषाद -छत्तीसगढ़
6-अजीम फरीद-गाजीपुर
7-शादाब -गाजीपुर
8-प्रवीण वर्मा-छत्तीसगढ़
9-विजय निषाद-छत्तीसगढ़
10-राहुल कामले-छत्तीसगढ़
11-मो. समीर-भदोही
12-आशुतोष यादव -गाजीपुर
गर्लफ्रेंड का खर्च बहुत बढ़ गया था- आरोपी
ऑनलाइन गेमिंग के जरिए फ्रॉड करने वाले आरोपी आशुतोष यादव ने पुलिस पूछताछ में कहा कि गर्लफ्रेंड का खर्च बहुत बढ़ गया था। रोज अच्छे रेस्टोरेंट में खिलाना और महंगे गिफ्ट की डिमांड से मैं परेशान हो गया था। एक दिन गाजीपुर के रहने वाले अजीम फरीद के जरिए पता चला कि ऑनलाइन गेमिंग के नाम पर 3 कंपनियां चल रही हैं। लोगों को फंसाकर गेम की लत लगानी है। BA पास करने के बाद नौकरी भी नहीं मिल रही थी। जैसे ही मुझे 30 हजार रुपए महीने की सैलरी का ऑफर हुआ मैंने तुरंत हां कर दी। फिर लंबी रकम हारने वाले ग्राहक फंसाने पर मोटा कमीशन मिलने लगा।