लोकसभा चुनाव 2024: यूपी में PM मोदी के सामने 'उप्र के दो लड़कों' और मायावती की चुनौती, जंग में कौन किसपर पड़ेगा भारी?

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 17 Mar, 2024 10:46 AM

challenge of  two boys of uttar pradesh  and mayawati in front of pm modi in up

केंद्र की सत्ता पर काबिज होने का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर गुजरता है इसलिए देश के सबसे अधिक लोकसभा सीटों वाले इस राज्य में सभी राज...

लखनऊ: केंद्र की सत्ता पर काबिज होने का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर गुजरता है इसलिए देश के सबसे अधिक लोकसभा सीटों वाले इस राज्य में सभी राजनीतिक दल जीत हासिल करने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंकने की तैयारी में जुट गये हैं। एक तरफ जहां सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के करिश्मे और विभिन्न विकास परियोजनाओं के सहारे सभी सीटों पर जीत का दावा कर रही है वहीं विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' को भी राज्य में सम्मानजनक लड़ाई लड़ने की उम्मीद है। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस के साथ-साथ पश्चिम बंगाल की मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) 'इंडिया' गठबंधन के तहत चुनाव मैदान में है।

यूपी में 7 चरणों में होगा लोकसभा चुनाव
उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के सभी सात चरणों के तहत मतदान होगा, जो 19 अप्रैल से शुरू होकर एक जून को समाप्त होगा। 2019 के आम चुनाव में राज्य की 80 लोकसभा सीटों में से भाजपा ने 62 सीटों पर जीत हासिल की थी, जबकि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के घटक दल अपना दल (सोनेलाल) दो सीटों पर जीत दर्ज करने में कामयाब रहा था। वहीं कांग्रेस एकमात्र रायबरेली सीट पर जीत हासिल करने में सफल हुई थी जबकि बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने 10, अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी (सपा) ने पांच सीटों पर जीत हासिल की थी। राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) 2019 आम चुनाव में खाता भी नहीं खोल सकी थी। लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा को नीत राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को राज्य से अधिक उम्मीदें हैं। प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी इस बार भी वाराणसी से चुनाव मैदान में हैं, जहां काशी विश्वनाथ मंदिर के आसपास के क्षेत्र का पुनर्निर्माण सहित कई विकास परियोजनाएं शुरू की गयी हैं। 

राजभर की वापसी से बीजेपी को पूर्वांचल क्षेत्र में मिली मजबूती 
भाजपा सूबे में मोदी की लोकप्रियता और हिंदुत्व के मुद्दे को भुनाने की तैयारी में है साथ ही राज्य के छोटे दलों के समर्थन से भी पार्टी को मजबूती मिल रही है। ओम प्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) की राजग में वापसी से भाजपा को पूर्वांचल क्षेत्र में मजबूती मिली है। राजभर को हाल ही में योगी आदित्‍यनाथ नेतृत्व की सरकार में मंत्री पद की शपथ दिलाई गयी। इसी तरह, रालोद के नेता जयंत चौधरी के समाजवादी पार्टी को छोड़कर भाजपा के साथ गठबंधन करने के कदम से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में राजग का काम आसान होने की उम्मीद है, जहां जाटों और कृषक समुदाय का वर्चस्व है। जयंत चौधरी के दादा और किसान नेता पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को मरणोपरांत भारत रत्न की हालिया घोषणा ने स्पष्ट रूप से इस समीकरण को और मजबूती प्रदान की है। वहीं विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' भी राज्य में अपनी खोई जमान तलाशने में जुटा है। सपा और कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप के दौर के बाद आखिरकार दोनों दलों के बीच सीट-बंटवारे पर समझौता हो गया, जिससे 'उप्र के लड़कों' की पुरानी यादें ताजा हो गईं। राज्य में 2017 विधानसभा चुनाव के लिए अखिलेश यादव और कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बीच गठबंधन के बाद 'उप्र के दो लड़कों' की यह जोड़ी प्रसिद्ध हुई थी हालांकि चुनाव परिणामों में गठबंधन को मुंह की खानी पड़ी थी। हालांकि उत्तर प्रदेशमें हालिया राज्यसभा चुनावों से संकेत मिला कि सपा के भीतर अभी भी सब कुछ ठीक नहीं है।

सपा के आठ से अधिक विधायकों ने राज्यसभा चुनाव में भाजपा के लिए 'क्रॉस वोटिंग' की थी, जिनमें पार्टी के मुख्य सचेतक मनोज पांडेय भी शामिल थे। कुछ राजनीतिक जानकारों का मानना है कि पांडेय को अब रायबरेली से भाजपा का टिकट मिल सकता है, जो लंबे समय से कांग्रेस नेता सोनिया गांधी का गढ़ रहा है। सोनिया के चुनाव न लड़ने के बाद कांग्रेस खेमा चाहता है कि प्रियंका गांधी वाद्रा रायबरेली से चुनाव लड़ें। सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए एक नया नारा 'पीडीए' दिया है, जिसका मतलब पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक है। उत्तर प्रदेश की राजनीति में इन तीनों वर्गों के बड़ी संख्या में मतदाता हैं। वहीं मायावती ने ऐलान किया है कि उनकी पार्टी किसी भी दल के साथ सीट बंटवारे पर समझौता नहीं करेंगी। भाजपा ने पिछले कुछ महीनों में विशेष रूप से 'पिछड़े' पसमांदा मुसलमानों को लक्षित करते हुए अल्पसंख्यकों तक पहुंच बनाने के प्रयास किए हैं। 

मोदी सरकार में तीन तलाक उन्मूलन को भी मुस्लिम महिलाओं की स्थिति में सुधार लाने के प्रयास के रूप में पेश किया गया है हालांकि अब तक भाजपा द्वारा घोषित 51 उम्मीदवारों की पहली सूची में किसी मुस्लिम उम्मीदवार के नाम की घोषणा नहीं की गयी है। भाजपा की सूची में प्रधानमंत्री मोदी के अलावा प्रमुख उम्मीदवारों में लखनऊ से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, अमेठी से स्मृति ईरानी, मथुरा से हेमा मालिनी और खीरी से अजय मिश्र 'टेनी' शामिल हैं। वहीं कांग्रेस ने अभी तक अपने हिस्से की 17 लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों के नामों की घोषणा नहीं की है। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) एक लोकसभा सीट पर चुनाव मैदान में है। वहीं सपा 43 लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवारों को मैदान में उतार चुकी है। 

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