Edited By Ramkesh,Updated: 06 Jun, 2024 07:33 PM
![brother former mp balkumar patel gets relief from hc case filed on charges](https://img.punjabkesari.in/multimedia/914/0/0X0/0/static.punjabkesari.in/2024_6image_19_32_164745419untitled-164-ll.jpg)
पूर्व सांसद और कुख्यात ददुआ के भाई बालकुमार पटेल उर्फ राजकुमार को इलाहाबाद हाई कोर्ट से बड़ी रही दी है। बालकुमार पटेल के खिलाफ धोखाधड़ी के आरोप में दर्ज मुकदमे को रद्द कर दिया है। PWD के ठेकेदार रामाकांत त्रिपाठी ने धोखधड़ी की FIRदर्ज कराई थी।...
प्रयागराज: पूर्व सांसद और कुख्यात ददुआ के भाई बालकुमार पटेल उर्फ राजकुमार को इलाहाबाद हाई कोर्ट से बड़ी रही दी है। बालकुमार पटेल के खिलाफ धोखाधड़ी के आरोप में दर्ज मुकदमे को रद्द कर दिया है। PWD के ठेकेदार रामाकांत त्रिपाठी ने धोखधड़ी की FIRदर्ज कराई थी। इससे पूर्व इस मामले में बाल कुमार की अग्रिम जमानत अर्जी हाईकोर्ट द्वारा खारिज की जा चुकी थी। मुकदमा वादी और बालकुमार पटेल के बीच समझौता हो जाने के आधार पर कोर्ट ने मुकदमे को समाप्त करने का आदेश दिया। बालकुमार पटेल की याचिका पर यह आदेश न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने याची के वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी को सुनने के बाद दिया।बालकुमार के खिलाफ पीडब्ल्यूडी के ठेकेदार रमाकांत त्रिपाठी ने बांदा कोतवाली थाने में धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया था।
दरअसल, रमाकांत का आरोप है कि उसके रिश्तेदार भानु प्रताप चतुर्वेदी जो कि लेखपाल हैं ने बालकुमार के साथ मिलकर बालू खनन का व्यवसाय करने का ऑफर दिया था। भानु प्रताप ने ही उसकी मुलाकात बालकुमार से करवाई। दोनों के बीच तय हुआ कि बालू के ठेके में उसकी 10 प्रतिशत हिस्सेदारी रहेगी। शुरू में बालकुमार ने उससे 50 हज़ार रुपये मांगे। मगर बाद में बड़े काम का प्रलोभन देकर 65 लख रुपये लिए। जो कि उसने अपने कई मित्रों से जुटा कर बालकुमार को दिए।इसके बाद रमाकांत को पता चला कि वास्तव में बाल कुमार के नाम से कोई खनन पट्टा ही नहीं हुआ है। जब उसने अपनी रकम वापस मांगी तो बालकुमार मुकर गया।
इस पर उसने बालकुमार और भानु प्रताप चतुर्वेदी के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया था ।याचिका दाखिल कर कहा गया कि रमाकांत त्रिपाठी के साथ उसका अदालत के बाहर समझौता हो गया है। और एक संयुक्त समझौता प्रार्थना पत्र विचारण न्यायालय में दाखिल किया गया है। इसलिए सीजीएम बांदा द्वारा 24 अप्रैल 2024 को जारी सम्मन आदेश रद्द किया जाए।
याची के अधिवक्ता का कहना था कि पक्षकारों के बीच समझौता हो जाने के कारण मुकदमे को लंबित रखने का कोई औचित्य नहीं है । राज्य सरकार की ओर से भी कहा गया कि यदि दोनों पक्ष अदालत के बाहर समझौता कर चुके हैं तो मुकदमा समाप्त करने में राज्य सरकार को कोई आपत्ति नहीं है। कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद सीजीएम बांदा की अदालत में लंबित धोखाधड़ी के मुकदमे को रद्द कर दिया है।