मथुरा लोकसभा सीट से हेमा मालिनी को टक्कर देंगे बॉक्सर विजेंदर सिंह! कांग्रेस दे सकती है टिकट

Edited By Pooja Gill,Updated: 30 Mar, 2024 04:21 PM

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Mathura Lok Sabha Seat: मथुरा लोकसभा सीट से दो बार की सांसद हेमा मालिनी चुनाव लड़ेंगी। इसी सीट से अब अंतरराष्ट्रीय बॉक्सर विजेंदर सिंह भी चुनाव लड़ सकते है। उन्हें का कांग्रेस ने टिकट दिया है। इस घोषणा के बाद मथुरा लोकसभा सीट...

Mathura Lok Sabha Seat: मथुरा लोकसभा सीट से दो बार की सांसद हेमा मालिनी चुनाव लड़ेंगी। इसी सीट से अब अंतरराष्ट्रीय बॉक्सर विजेंदर सिंह भी चुनाव लड़ सकते है। उन्हें कांग्रेस टिकट देंगी। इस घोषणा के बाद मथुरा लोकसभा सीट पर यह चुनावी मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया है। विजेंदर सिंह हेमा मालिनी को सीधी टक्कर देंगे।

PunjabKesariआगामी लोकसभा चुनाव की घोषणा के बाद सभी राजनीतिक दलों ने चुनाव के लिए तैयारियां तेज कर दी। पार्टियों ने चुनाव प्रचार भी शुरू कर दिया है। सभी दल चुनाव में सभी सीटों पर जीत हासिल करना चाहते है। मथुरा से भाजपा ने दो बार सांसद रह चुकी हेमा मालिनी को प्रत्याशी बनाया है। इसी बीच अब कांग्रेस ने जाट बाहुल्य सीट पर जाट कार्ड खेल कर बॉक्सर विजेंदर सिंह को टिकट दे सकती है, जो हेमा मालिनी को टक्कर देंगे। बता दें कि मथुरा लोकसभा सीट पर दूसरे चरण यानी 26 अप्रैल को वोटिंग होगी। चुनाव के नतीजे चार जून को आ जाएंगे।

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हेमा मालिनी और विजेंदर सिंह के बीच होगा मुकाबला
हेमा मालिनी ने पिछले दो लोकसभा चुनावों यानी 2014 और 2019 मथुरा लोकसभा से जीत हासिल की थी। साल 2019 हेमा मालिनी को टक्कर देने के लिए 12 अन्य उम्मीदवार मैदान में थे। कांग्रेस ने महेश पाठक, राष्ट्रीय लोक दल ने कुंवर नरेंद्र सिंह, स्वतंत्र जनताराज पार्टी ने ओम प्रकाश को मैदान में उतारा था। मगर हेमा मालिनी ने जोरदार जीत हासिल की थी। वहीं साल 2014 में भी हेमा मालिनी ने यहां जीत दर्ज की थी। लेकिन, सूत्रों के मुताबिक इस बार हेमा मालिनी के साथ बॉक्सर विजेंदर सिंह मुकाबला कर सकते है।

यह भी पढ़ेंः Loksabha Election 2024: मेनका के गढ़ से वरुण की छुट्टी, क्या बीजेपी बचा पाएगी सीट...जानिए पीलीभीत सीट का इतिहास
पीलीभीत नेपाल और उत्तराखंड से सटा हुआ खूबसुरत क्षेत्र है। इसके अलावा इसे एक वजह से और जाना जाता है वो है गांधी परिवार का गढ़। देश में अमेठी और रायबरेली को ही गांधी परिवार का गढ़ कहा जाता है। लेकिन पीलीभीत भी गांधी परिवार से ही जुड़ा है। मेनका गांधी दशकों से इस सीट पर काबिज रही लेकिन 2009 के चुनाव में उन्होंने अपने बेटे वरुण गांधी के लिए सीट छोड़ी। साल 2014 में वो फिर से अपनी सीट पर वापस आ गई थीं। अगर बात करें इस सीट के इतिहास की तो इस सीट पर पहला चुनाव 1952 में हुआ और कांग्रेस ने जीत दर्ज की लेकिन उसके बाद 1957, 1962 और 1967 के चुनाव में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी ने चुनाव जीता।

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