शूद्र पॉलिटिक्स पर BJP और BSP ने SP को घेरा, मायावती बोलीं- सपा कमजोर और उपेक्षित वर्गों को शूद्र कहकर उनका न करें अपमान

Edited By Pooja Gill,Updated: 03 Feb, 2023 03:51 PM

bjp and bsp surrounded sp on shudra politics

समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस को लेकर जो विवादित टिप्पणी की थी, उसने अब नया सियासी रंग ले लिया है। सपा ने इस पूरे मामले को जाति, वर्ण व्यवस्था से जोड़कर जहां मिशन-2024 को लेकर अपनी रणनीति का संकेत दिया, तो वहीं, बीजेपी...

लखनऊ (अश्वनी कुमार सिंह): समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस को लेकर जो विवादित टिप्पणी की थी, उसने अब नया सियासी रंग ले लिया है। सपा ने इस पूरे मामले को जाति, वर्ण व्यवस्था से जोड़कर जहां मिशन-2024 को लेकर अपनी रणनीति का संकेत दिया, तो वहीं, बीजेपी ने भी समाजवादी पार्टी के इस कदम के खिलाफ मोर्चाबंदी तेज कर दी है। इन सबके बीच, दलित राजनीति का प्रमुख चेहरा रही मायावती ने भी विवाद में एंट्री करते हुए सपा को अपने गिरेबान में झांकने की नसीहत दी है।

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बता दें कि समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस को लेकर बीते दिनों जिस तरह की टिप्पणी की, उसके बाद से प्रदेश की सियासत में कई नए रंग देखने को मिल रहे हैं। रामचरितमानस पर बयानबाजी से शुरू हुआ विवाद अब जाति-वर्ण व्यवस्था तक आ गया है। इसके बहाने समाजवादी पार्टी ने बीजेपी सरकार को घेरने की कोशिश की है। स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान पर अखिलेश यादव के मूक समर्थन को मिशन-2024 की रणनीति से जोड़कर देखा जा रहा है। सपा की कोशिश सियासत में हाशिए पर गई बीएसपी के वोट बैंक को अपने साथ जोड़ने का है। लखनऊ में सपा दफ्तर में लगे पोस्टर इस योजना की तस्दीक करते नजर आ रहे हैं।

 


सपा कमजोर और उपेक्षित वर्गों को शूद्र कहकर उनका अपमान न करें- मायावती
अनुसूचित जाति और जनजाति को साथ जोड़ने के समाजवादी पार्टी के प्रयासों के बीच, बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने जोरदार हमला बोला है।अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए मायावती ने कहा कि, सपा कमजोर और उपेक्षित वर्गों को शूद्र कहकर उनका अपमान न करें। उन्होंने गेस्ट हाउस कांड के जख्मों को याद करते हुए ट्वीट में लिखा कि, 'देश में कमजोर और उपेक्षित वर्गों का रामचरितमानस और मनुस्मृति आदि ग्रंथ नहीं, बल्कि भारतीय संविधान है। इसमें बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर ने इनको शूद्रों की नहीं बल्कि एससी, एसटी और ओबीसी की संज्ञा दी है। लिहाजा, इन्हें शूद्र कहकर सपा इनका अपमान न करे और न ही संविधान की अवहेलना करे।

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सपा के शूद्र पॉलिटिक्स के खिलाफ BJP ने भी मोर्चा खोला
सपा के शूद्र पॉलिटिक्स के खिलाफ बीजेपी ने भी मोर्चा खोला। राजधानी लखनऊ में समाजवादी पार्टी कार्यालय पर भारतीय जनता पार्टी से जुड़े सिख समुदाय के कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन कर स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान का विरोध किया। हाथों में रामचरितमानस की प्रतियां लेकर बीजेपी कार्यकर्ताओं ने सपा दफ्तर के सामने जोरदार नारेबाजी की।

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सभी का लक्ष्य है साल 2024 का लोकसभा चुनाव
कुल मिलाकर देखा जाए, तो ये सारी राजनीति साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के इर्द गिर्द सिमटी नजर आ रही है। एक पक्ष विकास और हिंदुत्व की बात कर रहा है, तो जवाब में दूसरा पक्ष विकास के दावों के साथ ही जातीय गोलबंदी के प्रयास में जुटा है। जिस वोट बैंक को बीजेपी ने साल 2014 में बहुजन समाज पार्टी से छीन लिया था, अब उसी वोट बैंक को 2024 में सपा, बीजेपी से अलग-थलग कर देना चाहती है। इन सबके बीच, बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती का प्रयास अपने आधार वोट बैंक को एक बार फिर अपने पाले में लाने का है। रास्ते भले अलग हैं, लेकिन सभी का लक्ष्य साल 2024 का लोकसभा चुनाव है।

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