Edited By Pooja Gill,Updated: 30 Jun, 2025 03:29 PM

बरेली: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि जानवरों के लिये ‘पशु' शब्द का इस्तेमाल करना ‘ठीक नहीं है'। मुर्मू ने जानवरों को ‘जीवन धन' करार दिया। राष्ट्रपति ने भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान...
बरेली: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि जानवरों के लिये ‘पशु' शब्द का इस्तेमाल करना ‘ठीक नहीं है'। मुर्मू ने जानवरों को ‘जीवन धन' करार दिया। राष्ट्रपति ने भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) के 11वें दीक्षांत समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा, “जानवरों के बिना किसान आगे नहीं बढ़ सकता, इसलिए ‘पशु' शब्द ठीक नहीं लगता। उनके बिना हम जिंदगी सोच नहीं सकते।” उन्होंने कहा, “हमारी संस्कृति जीव-जंतुओं में ईश्वर की उपस्थिति को देखती है।
'भगवान के कई अवतार भी इसी विशिष्ट श्रेणी में हैं'
राष्ट्रपति ने कहा, पशुओं से हमारे देवताओं और ऋषि-मुनियों का संवाद होता है। यह मान्यता भी इस सोच पर आधारित है। भगवान के कई अवतार भी इसी विशिष्ट श्रेणी में हैं।” मुर्मू ने जैव विविधता के महत्व को दर्शाते हुए कहा कि आईवीआरआई जैसी संस्थाओं से अपील है कि वे जैव विविधता को बढ़ाने में अग्रणी भूमिका निभाएं और आदर्श प्रस्तुत करें। उन्होंने अपने बचपन की किस्सों का उदाहरण देते हुए कहा, ‘‘हम जब छोटे थे तब बहुत सारे गिद्ध थे, लेकिन आज गिद्ध लुप्त हो गए हैं। मुझे लगता है कि गिद्ध के विलुप्त होने के पीछे पशु चिकित्सा में इस्तेमाल होने वालीं रासायनिक दवाओं की भूमिका है। बहुत सारे कारणों में यह भी एक कारण है। ऐसी दवाओं पर प्रतिबंध लगाना गिद्धों के संरक्षण की दिशा में सराहनीय कदम है।''
'बेटियां अन्य क्षेत्रों की तरफ पशु चिकित्सा क्षेत्र में भी आगे आ रही'
राष्ट्रपति मुर्मू ने दवाओं पर प्रतिबंध लगाने के लिए वैज्ञानिकों के प्रति आभार जताया और कहा, ‘‘कई प्रजातियां विलुप्त हो रहीं हैं या विलुप्त होने की कगार पर हैं। इन प्रजातियों का संरक्षण पर्यावरण संतुलन के लिए बहुत ही आवश्यक है। आईवीआरआई जैसे संस्थाओं से अपील है कि वे जैव विविधता को बढ़ाने में अग्रणी भूमिका निभाएं और आदर्श प्रस्तुत करें।'' मुर्मू ने समारोह में मौजूद विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘आज पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों में छात्राओं की बड़ी संख्या देखकर काफी गर्व महसूस कर रही हूं। बेटियां अन्य क्षेत्रों की तरफ पशु चिकित्सा क्षेत्र में भी आगे आ रही हैं, यह बहुत ही शुभ संकेत है।'' मुर्मू ने महिलाओं से आगे आने का आह्वान करते हुए कहा कि गांवों में पशुओं, गायों की सेवा मां-बहनें करती थीं, क्योंकि माता-बहनों से उनका जुड़ाव है।