'5 साल पहले FIR, चुनाव से पहले अचानक नोटिस', CBI के समन पर अखिलेश ने दिया जवाब

Edited By Imran,Updated: 29 Feb, 2024 01:44 PM

akhilesh replied on cbi summons

समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव आज (29 फरवरी) सीबीआई के सामने पेश नहीं होंगे। केंद्रीय एजेंसी ने खनन घोटाला मामले में अखिलेश यादव को तलब किया था। अखिलेश यादव का कहना है कि मैं जांच में सहयोग करने के लिए तैयार हूं लेकिन अधिकारी लखनऊ आ जाएं।

लखनऊ: समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव आज (29 फरवरी) सीबीआई के सामने पेश नहीं होंगे। केंद्रीय एजेंसी ने खनन घोटाला मामले में अखिलेश यादव को तलब किया था। अखिलेश यादव का कहना है कि मैं जांच में सहयोग करने के लिए तैयार हूं लेकिन अधिकारी लखनऊ आ जाएं। यह बात उन्होंने दिल्ली न जाने के बाद कही है। इसके साथ ही उन्होंने अपने जवाब में सीबीआई के एक्शन पर सवाल भी उठाए हैं। कहा है कि इस मामले में 2019 में एफआईआर दर्ज की गई है, लेकिन बीते 5 साल में इस मामले में कोई जानकारी नहीं मांगी गई, अब अचानक लोकसभा चुनाव से पहले सीबीआई ने नोटिस भेजा है।

CBI ने अवैध खनन मामले में अखिलेश को किया था तलब
मिली जानकारी के मुताबिक, केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने मामला दर्ज करने के 5 साल बाद अवैध खनन मामले में समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को बृहस्पतिवार को पूछताछ के लिए एक गवाह के रूप में बुलाया है। अधिकारियों ने बताया कि दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 160 के तहत जारी नोटिस में एजेंसी ने उन्हें 2019 में दर्ज मामले के संबंध में 29 फरवरी को पेश होने के लिए कहा था। इस धारा के तहत पुलिस अधिकारी को जांच में गवाहों को बुलाने की अनुमति होती है। मामला ई-निविदा प्रक्रिया का कथित उल्लंघन कर खनन पट्टे जारी करने से संबंधित है।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इस मामले की जांच के दिए थे आदेश
बता दें कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इस मामले की जांच के आदेश दिए थे। आरोप है कि 2012-16 के दौरान, जब यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, तो लोकसेवकों ने अवैध खनन की अनुमति दी और खनन पर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) द्वारा लगाए गए प्रतिबंध के बावजूद अवैध रूप से लाइसेंस का नवीनीकरण किया। यह भी आरोप है कि अधिकारियों ने खनिजों की चोरी होने दी, पट्टाधारकों और चालकों से पैसे वसूले। खनिजों के अवैध खनन के मामले की जांच के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्देश पर सीबीआई ने 2016 में सात प्रारंभिक मामले दर्ज किए थे।

अखिलेश के कार्यालय ने एक ही दिन में 13 परियोजनाओं को मिली थी मंजूरी
अधिकारियों ने बताया कि एजेंसी ने आरोप लगाया था कि तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के कार्यालय ने एक ही दिन में 13 परियोजनाओं को मंजूरी दी थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि यादव, जिनके पास कुछ समय तक खनन विभाग भी था, ने ई-निविदा प्रक्रिया का उल्लंघन करते हुए 14 पट्टों को मंजूरी दी थी, जिनमें से 13 को 17 फरवरी 2013 को मंजूरी दी गई थी। सीबीआई ने दावा किया कि 17 फरवरी, 2013 को 2012 की ई-निविदा नीति का उल्लंघन करते हुए मुख्यमंत्री कार्यालय से अनुमोदन प्राप्त करने के बाद, हमीरपुर की जिलाधिकारी बी. चंद्रकला द्वारा पट्टे दिए गए थे।
 

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