बदहाली की कगार पर 300 साल पुराना ब्लॉक प्रिंटिंग उद्योग

Edited By Punjab Kesari,Updated: 06 Jan, 2018 02:35 PM

पूरे देश में हाथ की छपाई से सिल्क की साड़ियों पर चित्र व डिजाइन बनाकर लोहा मनवाने बाले उघोग फ़र्रुखाबाद में बंद हो गए है। एक तरफ मंहगाई दूसरी तरफ माल की खपत का न हो पाना ही इन कारखानों ...

फर्रुखाबाद(दिलीप कटियार): पूरे देश में हाथ की छपाई से सिल्क की साड़ियों पर चित्र व डिजाइन बनाकर लोहा मनवाने बाले उघोग फ़र्रुखाबाद में बंद हो गए है। एक तरफ मंहगाई दूसरी तरफ माल की खपत का न हो पाना ही इन कारखानों के लिए हानिकारक हो गए है। जिससे फ़र्रुखाबाद कारखाने बन्द हो गए। 80 के दशक में यहां की डिजाइन की गई साड़ियों की हर प्रदेश में डिमांड रहती थी, लेकिन अब कुछ नही बचा है। जिले में मात्र एक कारखाना बचा है जिसमे अभी यह उधोग जिन्दा है।लेकिन रो रो कर चल रहा है।इन कारखानों को कोई सरकारी मदद नही मिल पा रही है।
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धागा न मिलने से हुआ भारी नुकसान 
कारखाना मालिक की मानें तो यह उघोग लगभग 300 वर्ष पुराना है। उघोग अच्छा चल भी रहा था। लेकिन 1981 में कर्नाटक में कोई घटना होने के कारण धागा मिलना बन्द हो गया। उस समय शहर के अंदर सैकड़ो कारखाने संचालित थे। जब धागा नहीं मिला तो वह बन्द होने लगे। दूसरी तरफ जो भी सरकारें आई उन्होंने इस उघोग की तरफ ध्यान नहीं दिया। पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की सरकार में हम लोगों को सहायता मिली थी। जिसके बाद से किसी ने नहीं पूछा। यह उघोग चलाने के लिए बाहर जाकर आर्डर लाने पड़ते है। जिससे हमारा और कुछ कारीगरों के परिवार पल रहे हैं।
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कारीगरों को ठेली लगाकर करना पड़ता है गुजारा
वहीं जिले में बहुत ही कम कारीगर बचे हैं ज्यादातर सभी बाहर चले गए। एक गांव है जिसमें हर घर में एक कारीगर है, लेकिन सभी अन्य राज्यो में काम कर रहे है।  बजीहुसैन ने बताया कि वर्तमान में बहुत ही कम काम हो पा रहा है। जिसमें 100 रूपए से लेकर 150 रूपए की आमदनी हो पा रही है। परिवार पालने के लिए शाम को ठेली लगाकर गुजारा कर रहे है।
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10 हजार परिवार हुए बेरोजगार 
वहीं ब्लॉक प्रिंटिंग बन्द होने से लगभग 10 हजार परिवार बेरोजगार हो गए थे। लेकिन सभी दूसरे राज्यो में जाकर अपने परिवारों का भरण पोषण कर रहे है। मौजूदा समय में नागपुर, राजस्थान, मुम्बई, दिल्ली आदि राज्यो में अच्छी कमाई कर रहे है। क्योंकि जिले में एक मात्र कारखाना बचा है अन्य विलुप्त हो चुके है।
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सरकारी मदद मिलने से होगा बिजनेस में फायदा 
कारखाना मालिक का कहना है कि जो कारखाना चल रहा है उसका साल भर में लगभग 15 लाख का बिजनेस होगा। यदि सरकारी मदद मिल जाए तो शायद यह उघोग दोबारा से जिन्दा हो सकता है जो कारीगर बाहर चले गए है हो सकता वापस आ जाए। दूसरी जो कारखाना मालिक यहां से पलायन कर गए है। वापस आने से हजारो लोगों को रोजगार मिल सकता है।    

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