पारिवारिक विवाद के बाद सपा को लग सकता है एक और तगड़ा झटका

Edited By ,Updated: 14 Sep, 2016 08:26 PM

sp may seem after a family dispute and a blow

सूबे के सबसे बड़े राजनीतिक परिवार में मचे मचे घमासान के बीच सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव और शिवपाल यादव को एक और तगड़ा झटका लग सकता है।

लखनऊ: सूबे के सबसे बड़े राजनीतिक परिवार में मचे मचे घमासान के बीच सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव और शिवपाल यादव को एक और तगड़ा झटका लग सकता है। दरअसल 15 सितंबर को यूपी की सियासत को नई दिशा देने वाले स्टेट गेस्ट हाउस कांड पर सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुना सकती है। अगर इस पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया तो सपा नेताओं की मुश्किलें बढ़ जाएंगी। अखिलेश बोले ‘यह परिवार नहीं सरकार का झगड़ा’ नेता जी सब ठीक कर देंगे अभी सपा परिवार की ताजा मुश्किलों में एक ओर जहाँ शिवपाल यादव और अखिलेश यादव के बीच अंदरूनी जंग छिड़ गयी है वहीं गेस्ट हाउस काण्ड पर फैसला अगले साल यूपी में होने वाले विधानसभा चुनाव के नतीजों को प्रभावित करने की क्षमता रखता है। 

 
उल्लेखनीय है कि 23 साल पुराना बहुचर्चित गेस्ट हाउस कांड में मायावती ने सपा नेताओं पर जानलेवा हमला करने का केस दर्ज कराया था। यह है अखिलेश और शिवपाल के बीच कलह की वजहें गेस्ट हाउस कांड में क्या हुआ था बसपा सुप्रीमो मायावती 2 जून 1995 की उस घटना को जिंदगी भर नहीं भूल सकतीं। उस दिन एक उन्मादी भीड़ सबक सिखाने के नाम पर दलित नेता की आबरू पर हमला करने पर आमादा थी। पिछले दिनों मायावती ने खुद इस घटना की याद दिलाई। आजमगढ़ की रैली में उन्होंने साफ तौर पर ऐलान किया कि मुख्यमंत्री को उन्हें बुआ कहने का हक नहीं है क्योंकि वे 2 जून 1995 की उस घटना को नहीं भूली हैं जब अखिलेश यादव के पिता मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री थे और सपा समर्थक उन पर अत्याचार की इंतिहा करने पर उतारू थे। 
 
आपको याद दिला दें कि 1993 के दौरान सपा बसपा के बीच चुनावी समझौता हुआ था। चुनाव में इस गठबंधन की जीत हुई और मुलायम सिंह यादव प्रदेश के मुखिया बने। लेकिन आपसी मनमुटाव के चलते 2 जून 1995 को बसपा ने सरकार से किनारा कस लिया और समर्थन वापसी की घोषणा कर दी। जब बसपा ने यह घोषणा की उस वक्त मायावती मीराबाई मार्ग स्थित गेस्ट हाउस में ठहरी हुई थीं। समर्थन वापस लेने की वजह से मुलायम सिंह की सरकार अल्पमत में आ गई। सरकार को बचाने के लिए जोड़-घटाव किए जाने लगे। 
 
नाराज सपा के कार्यकर्ता और विधायक लखनऊ के मीराबाई मार्ग स्थित स्टेट गेस्ट हाउस पहुंच गए। जहां मायावती कमरा नंबर.1 में ठहरी हुई थीं। तत्कालीन खबरों के मुताबिक वर्ष 1995 का गेस्टहाउस काण्ड जब कुछ गुंडों ने बसपा सुप्रीमो को कमरे में बंद करके मारा और उनके कपड़े फाड़ दिए कि तभी अपनी जान पर खेलकर उन गुंडों से अकेले भिडऩे वाले बीजेपी विधायक ब्रम्हदत्त द्विवेदी ने गेस्टहाउस का दरवाजा तोड़कर मायावती जी को सकुशल बचा कर बाहर निकाल लिया था। अब सुप्रीम कोर्ट में इसी कांड का फैसला 15 सितम्बर को आने की संभावना है। अगर इस प्रकरण का फैसला आ गया तो यह फैसला सपा परिवार में चल रहे चचा भतीेजे के ताजा विवाद की आग में घी डालने का काम करेगा।

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