कल नई पार्टी का ऐलान करेंगे चंद्रशेखर आजाद, क्या मायावती के लिए बनेंगे खतरा?

Edited By Ajay kumar,Updated: 14 Mar, 2020 12:47 PM

tomorrow chandrashekhar azad will announce a new party

बसपा संस्थापक मान्यवर कांशीराम का 15 मार्च को जन्मदिन है। इसी दिन भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद अपनी नई पार्टी बनाने का ऐलान करेंगे।

लखनऊ: बसपा संस्थापक मान्यवर कांशीराम का 15 मार्च को जन्मदिन है। इसी दिन भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद अपनी नई पार्टी बनाने का ऐलान करेंगे। बता दें कि भीम आर्मी संगठन ने पार्टी के 3 नामों पर विचार कर रहा है जिसमें पहला नाम-आजाद बहुजन पार्टी, दूसरा आजाद समाज पार्टी और तीसरा नाम बहुजन आवाम पार्टी है। चंद्रशेखन इन तीनों नामों में से किसी एक का ऐलान कर सकते हैं। 

लोगों से मांगा पार्टी के नाम का सुझाव 
हाल ही में चंद्रशेखर आजाद ने लोगों से पार्टी के नाम का सुझाव मांगा था। चंद्रशेखर ने ट्वीट कर कहा, ‘जय भीम साथियोंं..आप सभी को पता है कि हमारे संघर्षों को एकजुट कर 15 मार्च को हम एक राजनीतिक पार्टी बनाने जा रहे हंै आप सभी साथियों से अपील है कि नाम के लिए सुझाव दें।’

कुछ ने बताए नाम तो कुछ लोगों ने पार्टी बनाने पर जताई नाराजगी 
पार्टी के नाम का सुझाव मांगने पर लोगों ने चंद्रशेखर आजाद को जमकर ट्रोल किया। कुछ लोगों ने उन्हें कोशा तो कुछ ने पार्टी के नाम भी सुझाए। कई लोगों ने उनको पार्टी बनाने पर अपनी नाराजगी जाहिर की। लोगों ने कहा कि बसपा बहुजनों की मजबूत पार्टी है ऐसे में नई पार्टी बनाने की कोई जरूरत नहीं है। अगर नई पार्टी बनेगी तो सिर्फ वोटों का बिखराव होगा और कुछ नहीं। 

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मायावती की बढ़ेंगी मुश्किलें
उत्तर प्रदेश की राजनीति में चंद्रशेखर के उतरने से सबसे ज्यादा किसी पार्टी को नुकसान होने की संभावना है तो वो है बहुजन समाज पार्टी। क्योंकि बसपा प्रमुख मायावती का कोर वोटबैंक दलित समाज है। इन दिनों चंद्रशेखर आजाद दलितों में एक नया युवा चेहरा बनकर उभरे हैं जो युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय भी हैं। इसके अलावा दलित समुदाय के नेताओं की दिलचस्पी भी इस संगठन में बढ़ी है। बसपा और कांग्रेस के कई पूर्व नेताओं ने भी चंद्रशेखर की भीम आर्मी की सदस्यता ली है। ऐसे में अगर चंद्रशेखर पार्टी बनाते हैं तो मायावती के लिए मुश्किलें बढ़ जाएंगी। 
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कौन हैं कांशीराम?
कांशीराम (15 मार्च 1934-9 अक्टूबर 2006) भारतीय राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक थे। उन्होंने भारतीय वर्ण व्यवस्था में अछूतों और दलितों के राजनीतिक एकीकरण तथा उत्थान के लिए कार्य किया। इसके अन्त में उन्होंने दलित शोषित संघर्ष समिति (डीएसएसएसएस), 1971 में अखिल भारतीय पिछड़ा और अल्पसंख्यक समुदायों कर्मचारी महासंघ (बामसेफ) और 1984 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की स्थापना की। बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक और दलित राजनीति के सबसे बड़े नेता थे। दलितों के उत्थान की छटपटाहट और उनके हाथ में सत्ता होने का सपना देखने वाले कांशीराम ने ही मायावती की क्षमता को पहचाना और उन्हें राजनीति में आने को प्रेरित किया। मृत्यु से कुछ महीने पहले कांशीराम में मायावती को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश का 4 बार मुख्यमंत्री रहीं  मायावती इस समय बसपा की अध्यक्ष हैं।

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