Edited By Ruby,Updated: 08 Apr, 2018 02:47 PM
वाराणसीः ऑस्ट्रेलिया में हो रही कॉमनवेल्थ गेम्स में अभी तक भारत ने 21 पदक जीते हैं। वहीं वाराणसी की बेटी पूनम ने भी रविवार को चौथे दिन भारत को स्वर्ण पदक दिलाया। बता दें कि 4 अप्रैल से 15 अप्रैल 2018 के मध्य गोल्ड कोस्ट, क्वींसलैंड, ऑस्ट्रेलिया में...
वाराणसीः आस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में चल रहे राष्ट्रमंडल खेलों के चौथे दिन वाराणसी की बेटी ने अपना दम दिखाया है। महिला वेटलिफ्टर पूनम यादव ने 69 किलोवर्ग भार स्पर्धा में भारत को पांचवां गोल्ड मेडल दिलाया है। पूनम यादव वाराणसी के दादूपुर गांव की रहने वाली हैं।
जीत के बाद पूनम के घर पर खुशी का माहौल है। सभी एक-दूसरे को मिठाइयां खिला रहे हैं। बता दें कि पूनम के पिता किसान हैं और पूनम इस समय रेलवे में टीटीई की नौकरी कर रही हैं। यहां तक का सफर तय करने में पूनम और उनके परिवार ने कई कठिनाइयों का सामना किया है।
पिता कैलाश यादव ने बताया कि ओलिम्पिक में कर्णम मल्लेश्वरी के गोल्ड मेडल जीतने के बाद से यही सपना था कि मेरी बेटी भी मेडल लाए। 2011 में पूनम ने प्रैक्टिस शुरू की। घर और खेतों का सारा कामकाज भी वही करती थी। गरीबी के चलते उसे पूरी डाइट भी नहीं मिल पाती थी। फिर अपने गुरु स्वामी अगड़ानंद जी ने मुझे स्थानीय समाजसेवी और नेता सतीश फौजी के पास भेजा।
उन्होंने पूनम को खिलाड़ी बनाने में पूरी मदद की और करीब 20 हजार रुपए महीना खर्च दिया। ग्लासगो कॉमनवेल्थ में हिस्सा लेने के लिए हमारे पास पैसे नहीं थे। तब भैंसों को बेच दिया और करीबियों से 7 लाख रुपए उधार लिए। यहां ब्रॉन्ज मेडल लाकर उसने सबका सपना पूरा कर दिया। वहीं पूनम ने कहा कि देश के लिए गोल्ड मेडल जीतना गर्व की अनुभूति है। ये मेडल देश और वाराणसी को समर्पित है।