Edited By ,Updated: 19 Apr, 2017 04:45 PM
लोकसभा और विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने बसपा को निकाय चुनाव में उतारने का फैसला किया है। पार्टी ने तय किया है कि यूपी के निकाय चुनाव पार्टी सिंबल यानि ‘हाथी’ के चुनाव चिन्ह पर लड़ा जाएगा।
लखनऊ: लोकसभा और विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने बसपा को निकाय चुनाव में उतारने का फैसला किया है। पार्टी ने तय किया है कि यूपी के निकाय चुनाव पार्टी सिंबल यानि ‘हाथी’ के चुनाव चिन्ह पर लड़ा जाएगा। साथ ही पार्टी ने चुनाव में हार की समीक्षा करते हुए सोशल इंजीनिरयरिंग के नए दांव को चलने का फैसला किया है। इस दौरान उन्होंने एक बार फिर पार्टी की हार का ठीकरा ईवीएम मशीन पर फोड़ा। उन्होंने कहा कि भाजपा ने लोकतंत्र की हत्या कर दिया है, अब नए सिरे से भाजपा और आरएसएस के खिलाफ मोर्चा खोलना होगा।
निकाय चुनाव के जरिए संगठन मजबूत करेंगी
दरअसल, अभी तक बसपा ने परोक्ष रूप से खुद को निकाय चुनाव से दूर ही रखा है। निकाय चुनावों के दौरान बसपा के अधिकांश उम्मीदवार पतंग चुनाव चिह्न पर लड़ते रहे हैं। निकाय चुनाव में प्रत्याशी खुद का बसपा से नाता बताने के लिए नीला झंडा रखते थे, लेकिन बगैर चुनाव चिह्न वाला नीला झंडा कोई भी इस्तेमाल कर सकता है। इसके अतिरिक्त चुनाव चिह्न नहीं होने से कैडर कार्यकर्ता भी अपने संबंधों के आधार पर किसी भी उम्मीदवार के साथ जुड़ जाता था। अब लोकसभा चुनाव और फिर विधानसभा चुनाव में हार के बाद बसपा ने निकाय चुनाव में पार्टी सिंबल के साथ उतरने का फैसला किया है। पार्टी इसी बहाने देखेगी कि स्थानीय स्तर पर पार्टी का कितना जनाधान है। इस आंकलन के बाद मायावती वर्ष 2019 में प्रस्तावित लोकसभा चुनाव के लिए रणनीति बनाएंगी।
बड़े नेताओं के साथ की भविष्य की रणनीति पर चर्चा
बुधवार को लखनऊ के माल एवेन्यू स्थित पार्टी कार्यालय में पार्टी सुप्रीमो मायावती ने पार्टी के बड़े नेताओं को भविष्य की रणनीति के बारे में विस्तार से समझाया। सूत्रों के मुताबिक पार्टी मुखिया ने सोशल इंजीनियरिंग की नई परिभाषा गढऩे और सवर्ण-दलित गठजोड़ की संभावनाओं को तलाशने के लिए कहा है। बैठक को संबोधित करते हुए मायावती ने कहा कि बीएसपी मूवमेंट के सामने तमाम नई चुनौतियां हैं, जिनका डटकर मुकाबला नई ऊर्जा और नई शक्ति के साथ करना है, इसलिए मिशनरी भावना के साथ लगातार काम करना होगा।
गठबंधन की संभावनाएं टटोलने के लिए नई रणनीति
पार्टी सूत्रों के मुताबिक लोकसभा और विधानसभा चुनावों में करारी हार से मायावती आहत हैं। उनके सामने पार्टी के वजूद को बचाने और अपनी राजनीति को कायम रखने का सवाल है। ऐसी ही कुछ हालात यूपी में कांग्रेस और सपा की है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव दो मर्तबा बसपा को गठबंधन के लिए न्योता भेज चुके हैं। इस प्रस्ताव पर मायावती ने भी भाजपा के खिलाफ किसी से हाथ मिलाने की बात कही थी। बहरहाल, निकाय चुनाव के बहाने मायावती यह देखना चाहती हैं कि पार्टी सिंबल पर लडऩे के बाद सपा और कांग्रेस के मुकाबले बसपा कहां खड़ी होगी। निकाय चुनाव के नतीजों के आधार पर मायावती आगे की रणनीति तैयार करेंगी। सपा से बेहतर स्थिति होगी तो गठबंधन अपनी शर्तों पर होगा, अन्यथा मजबूरी का साथ करने पर विचार किया जाएगा।