Edited By Ajay kumar,Updated: 11 Jul, 2018 12:29 PM
नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी के ''विजय रथ'' को रोकने के लिए विपक्षी दलों में कांग्रेस, सपा ने पूरी तरह से कमर कस ली है। बसपा भी इस मामले में पीछे नहीं हैं।
लखनऊः नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी के 'विजय रथ' को रोकने के लिए विपक्षी दलों में कांग्रेस, सपा ने पूरी तरह से कमर कस ली है। बसपा भी इस मामले में पीछे नहीं हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक मायावती एक बार फिर लाेकसभा चुनाव लड़ सकती हैं। जिन दाे सीटाें पर उनके चुनाव लड़ने की सबसे ज्यादा चर्चा हाे रही है वह अंबेडकरनगर आैर बिजनाैर है। हालांकि दाेनाें सीटाें में किस पर चुनाव लड़ेंगी अभी कन्फर्म नहीं है।
मायावती 3 बार चुनी जा चुकी हैं लोकसभा सांसद
बता दें कि मायावती ने 1998, 1999 और 2004 में लोकसभा सांसद चुनी जा चुकी हैं। 2004 में आखिरी बार वह अंबेडकरनगर से लोकसभा सांसद चुनी गई थीं। अंबेडकरनगर को बीएसपी का गढ़ माना जाता है।
सपा-बसपा गठबंधन फार्मूला हिट हाेने के बाद उठाया फैसला
सूत्रों का कहना है कि गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का गठबंधन हिट होने के बाद लोकसभा चुनाव में भी इसे दोहराया जाएगा। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने पहले ही मायावती को लोकसभा चुनाव में सपोर्ट करने के संकेत दे दिए हैं। बता दें कि अखिलेश यादव भी हाल ही में पत्नी डिंपल यादव की कन्नाैज सीट से चुनाव लड़ने की घाेषणा कर चुके हैं। अंबेडकरनगर और बिजनौर में से मायावती किस सीट से चुनाव लड़ेंगी, अभी इसपर कुछ तय नहीं हुआ है।
पार्टी कैडर का बढ़ेगा मनाेबल
दरअसल, अब तक मायावती ज्यादातर चुनावों में खुद मैदान में ना उतरकर चुनाव प्रचार की कमान संभालती रही हैं। लेकिन, कहा जा रहा है कि 2014 के लोकसभा चुनाव और 2017 के यूपी चुनाव में मिली करारी शिकस्त से पार्टी का मनोबल गिरा है। ऐसे में पार्टी कैडर में नया जोश भरने के लिए मायावती खुद चुनावी मैदान में उतरने जा रही हैं। ऐसे करके मायावती पार्टी कार्यकर्ताओं और वोटर्स के बीच एक आदर्श पेश करना चाहती हैं।