Edited By ,Updated: 08 Dec, 2016 02:36 PM
वीरवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि तीन तलाक असंवैधानिक है। यह मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों का हनन करता है। कोई भी मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड कानून से ऊपर नहीं है।
इलाहाबाद: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने ‘तीन तलाक’ को महिलाओं के साथ क्रूरता करार देते हुए आज कहा कि कोई भी पर्सनल लॉ बोर्ड संविधान से ऊपर नहीं है। तीन तलाक मसले पर उच्च न्यायालय में दाखिल दो याचिकाओं पर न्यायाधीश सुनीत कुमार ने आज यह फैसला सुनाया। उन्होंने कहा ‘तीन तलाक असंवैधानिक है। यह मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों का हनन करता है।’
हाईकोर्ट ने कुरान की एक आयतों का हवाला देते हुए कहा, ‘कुरान में कहा गया है कि जब सुलह के सभी रास्ते बंद हो जाएं तभी तलाक दिया जा सकता है। लेकिन धर्म गुरुओं ने इसकी गलत व्याख्या की है। जो गलत है।’ इस फैसले के खिलाफ दायर की गई दोनों याचिकाओं को खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप से इनकार कर दिया।
हाईकोर्ट का फैसला शरियत कानून के खिलाफ
वहीं दूसरी तरफ हाईकोर्ट के इस फैसले पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य और इस्लामिक विद्वान खालिद रशीद फिरंगी महली ने इसे शरियत कानून के खिलाफ बताया। खालिद रशीद ने इस फैसले पर टिप्पणी करते हुए कहा, ‘‘इलाहाबाद हाईकोर्ट की टिप्पणी शरियत के खिलाफ है। हमारे मुल्क के संविधान ने हमें अपने पर्सनल लॉ पर अमल करने की पूरी-पूरी आजादी दी है।’’
केंद्र सरकार ने भी किया था तीन तलाक का विरोध
तीन तलाक मुद्दे पर केंद्र सरकार भी अपना विरोधजता चुकी है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के जवाब के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा था। बीते 7 अक्टूबर को केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा था, ‘तीन तलाक, निकाह हलाला और एक से ज्यादा शादी जैसी प्रथाएं इस्लाम की अनिवार्य धार्मिक प्रथा नहीं हैं।’ यह पहला मौका था जब केंद्र सरकार ने तीन तलाक का विरोध किया था। तीन तलाक के विरोध के बाद केंद्र सरकार और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड में भी टन गई थी।
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