Edited By Jagdev Singh,Updated: 24 Jun, 2019 12:47 PM
झारखंड-बिहार के बीच पेंशन दायित्व बंटवारे के विवाद में नया माेड़ आ गया है। इस दौरान बिहार सरकार ने 1000 कराेड़ रुपए ज्यादा की मांग की है। वहीं झारखंड सरकार ने बैंकाें की रिपाेर्ट के आधार पर इसे गलत बताते हुए कहा है कि वह देनदारी से अधिक भुगतान कर...
रांची: झारखंड-बिहार के बीच पेंशन दायित्व बंटवारे के विवाद में नया माेड़ आ गया है। इस दौरान बिहार सरकार ने 1000 कराेड़ रुपए ज्यादा की मांग की है। वहीं झारखंड सरकार ने बैंकाें की रिपाेर्ट के आधार पर इसे गलत बताते हुए कहा है कि वह देनदारी से अधिक भुगतान कर चुकी है। झारखंड ने इस मामले काे केंद्र और बिहार सरकार के सामने मजबूती से उठाया है।
इस विवाद काे देखते हुए केंद्र, झारखंड ओर बिहार सरकार के बीच जून में हाेने वाली त्रिपक्षीय बैठक 3 महीने के लिए टाल दी गई है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दाेनाें राज्याें काे आम सहमति बनाकर आने काे कहा है। झारखंड के अपर मुख्य सचिव (वित्त) केके खंडेलवाल और प्रधान महालेखाकार सीएम सिंह ने 6 जून काे पटना में बिहार के वित्त सचिव और महालेखाकार से बैठक की। बिहार काे मामले का सत्यापन करने काे कहा।
इससे पहले 23 मई काे झारखंड की ओर से बिहार के वित्त विभाग के प्रधान सचिव काे पत्र लिखा गया था। इसमें बिहार के दावे और मांग काे गलत बताते हुए इसका आधार स्पष्ट करने काे कहा था। झारखंड सरकार ने लिखा था कि बिहार जिस राशि की मांग कर रहा है, उसका काेई आधार नहीं है। बिहार के महालेखाकार की रिपाेर्ट पर भी सवाल उठाया था।
बिहार सरकार का दावा है कि पेंशन दायित्व खाते में वर्ष 2017-18 के दाैरान उसने 1454 कराेड़ रुपए का भुगतान किया, जबकि झारखंड सरकार ने इस अवधि में 95 कराेड़ रुपए का भुगतान किया है। इस वित्तीय वर्ष में इस खाते की कुल देनदारी 1549 कराेड़ रुपए में से बिहार काे 391 कराेड़ रुपए देने हैं जिनमें सिर्फ 95 कराेड़ ही दिया है। इस आधार पर बिहार की 296 कराेड़ की अधिक देनदारी है।
वहीं इस बारे में झारखंड सरकार का कहना है झारखंड में 13 बैंकाें से पेंशन भुगतान हाेता है। इनमें से एसबीआई समेत 8 बैंकाें ने जाे रिपाेर्ट दी है, उसके मुताबिक वर्ष 2017-18 में 457 कराेड़ का भुगतान हुआ है। शेष 5 बैंकाें से रिपाेर्ट आने पर यह राशि और बढ़ सकती है। ऐसे में 391 कराेड़ के विरुद्ध 450 कराेड़ रुपए का भुगतान हाे चुका है। इसलिए बिहार काे मांगने की बजाय झारखंड काे ही पैसे लाैटाने हाेंगे।