Edited By ,Updated: 23 Feb, 2017 12:15 PM
शौक तो बहुत देखे होगें और कई के बारे में सुना भी होगा, लेकिन फर्रुखाबाद में शौक का जो नमूना देखने को मिला उसे देख सभी शॉक्ड हो गए। यहां रहने वाले 45 साल के हंसराज को....
कानपुरः शौक तो बहुत देखे होगें और कई के बारे में सुना भी होगा, लेकिन फर्रुखाबाद में शौक का जो नमूना देखने को मिला उसे देख सभी शॉक्ड हो गए। यहां रहने वाले 45 साल के हंसराज को बचपन में मिट्टी और बालू खाने की आदत पड़ गई। धीरे-धीरे यह आदत बालू को छोड़कर मौरंग खाने में बदल गई। अब आलम यह है कि जब तक उसको मौरंग खाने को नहीं मिलती तब तक उसका खाना अधूरा रहता है।
25 सालों से खा रहा है मौरंग
जानकारी के मुताबिक फर्रूखाबाद के नेकपुर चैरासी कस्बे के रहने वाला हंसराज सुबह जब काम पर जाता है, तो चाय-नाश्ते में मौरंग खाता है। अगर उसे मौरंग न मिले तो उसका काम करने का मन नहीं होता। बचपन से अब तक लगभग 25 सालों से वो मौरंग खा रहा है। इससे न तो उसके पेट में कोई दर्द हुआ। न ही वो कभी इस कारण बीमार पड़ा। यदि हंसराज के पड़ोसी की मानें तो वो पहले छिप-छिप कर मौरंग खाया करता था। धीरे-धीरे ये बात जब सबको पता चली तो उसको डांट भी पड़ने लगी। लेकिन हंसराज ने अपनी यह आदत नहीं बदली और सभी को इस बात का ताज्जुब है कि इतनी मौरंग रोज खाने के बाद भी वो कभी बीमार नहीं पड़ा।
क्या कहते हैं डॉक्टर?
डॉक्टरों का मानना है कि हंसराज की यह आदत वैज्ञानिक और आध्यात्मिक नजर में एक एेसी आदत है जहां हंसराज के दिमाग ने उसको मौरंग खाने के संकेत मिलते है और वह इसे खाना शुरु कर देता है। दिमाग से मिले संकेत के कारण ही वो इसे पचा जाता है और इससे उसे कोई तकलीफ भी नहीं होती। डॉक्टर ने बताया कि आध्यात्म और दिमाग को जोड़कर कई शोध किए जा रहे हैं, जिससे इस तरह की आदतों के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त होने लगेगी।