भावनाओं की त्रिकोणीय जंग बनी अमेठी सीट!

Edited By ,Updated: 21 Feb, 2017 12:57 PM

the tri war sentiments amethi

उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का गढ़ कही जाने वाली अमेठी विधानसभा सीट पर सभी की नजरें लगी हुई हैं।

लखनऊ:उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का गढ़ कही जाने वाली अमेठी विधानसभा सीट पर सभी की नजरें लगी हुई हैं। यहां के लोग अपने-अपने उम्मीदवार को लेकर बहुत ही ज्यादा भावुक हैं। समर्थक इन उम्मीदवारों के पक्ष में अपने ही तर्क दे रहे हैं। कुल मिलाकर कहें तो यह सीट भावनाओं की जंग बन गई है। और इस त्रिकोणीय मुकाबले में भावना का सबसे ज्यादा रंग भरा है अमेठी के ‘शाही परिवार’ और कांग्रेस के राज्यसभा सांसद संजय सिंह की पूर्व पत्नी गरिमा सिंह ने। भाजपा के टिकट पर गरिमा संजय सिंह की वर्तमान पत्नी अमिता सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ रही हैं, तो वहीं दूसरी तरफ कई विवादों में शामिल मुलायम सिंह के वफादार और बलात्कार के आरोपी गायत्री प्रजापति हैं। सपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे प्रजापति पर भले ही कई दाग लगे हों, लेकिन क्षेत्र में उनके समर्थकों की कोई कमी नहीं है। ऐसे में स्थानीय अमेठी वासियों का मानना है कि इस बार का चुनाव पूरी तरह भावनाओं पर लड़ा जाएगा। इस सीट पर 27 फरवरी को मतदान होगा।

भावनाओं की प्रतिस्पर्धा में पीछे नहीं है भाजपा की उम्मीदवार गरिमा सिंह
एक स्थानीय व्यापारी रंजन सिंह संजय सिंह की पूर्व पत्नी गरिमा सिंह के बारे में कहते हैं कि गरिमा एक आदर्श भारतीय नारी हैं। अपने हक की लड़ाई लडऩे के लिए वह एक बार भी राजभवन से बाहर नहीं निकलीं। उन्होंने कहा कि अब यह अमेठी की जिम्मेदारी है कि सिंह परिवार की पूर्व बहू को न्याय मिले। बता दें कि गरिमा सिंह पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह की भतीजी हैं। स्थानीय लोग याद करते हैं कि वह परिवार के भूपति भवन पैलेस में जुलाई 2014 में लौटी थीं, लेकिन तब से लेकर वह और उनकी गतिविधियां राजभवन तक ही सीमित रही हैं। इसी दौरान पारिवारिक संपत्ति को लेकर उनका पूर्व पति संजय सिंह के साथ कड़ा द्वंद्व भी चलता रहा। वैसे फिलहाल उनके बेटे अनंत सिंह उनके प्रचार-प्रसार का जिम्मा देख रहे हैं। व्यापारी रंजन कहते हैं कि गरिमा की राजनीति में आने की अनिच्छा ने ही लोगों के बीच उनके आकर्षण को बहुत ज्यादा बढ़ा दिया है। उन्होंने बताया कि साल 2014 में ही लोग उन्हें राजनीति में आने के लिए कह रहे थे लेकिन उन्होंने बहुत ही विनम्रता के साथ यह कहते हुए इन्कार कर दिया कि उन्हें बस लोगों के प्यार की जरूरत है और किसी बात की नहीं।

अमिता और गायत्री भी सहानुभूति की नाव पर हैं सवार
वहीं दूसरी ओर एक दुकानदार अभय कुमार सपा के उम्मीदवार गायत्री प्रजापति के बारे में कहते हैं कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि प्रजापति अमेठी में बहुत ही ज्यादा लोकप्रिय हैं। यहां का बच्चा-बच्चा उनके बारे में जानता है। अभय ने कहा कि पहले उनके पास केवल सुजुकी हुआ करती थी। वह अक्सर बंद हो जाया करती थी, तो गायत्री अपने गनर से खींचकर लाने के लिए कहते थे। इसके बाद उन्होंने पुरानी टाटा सूमो खरीदी। इसके बाद फोर्ड इन्डेवर। हालिया समय में उनके भाग्य ने बहुत ही तेजी से पलटा खाया है। वैसे इसके अलावा अमेठी में प्रजापति की एक और छवि है जिसके बारे में स्थानीय लोग बताते हैं। एक छोटे व्यापारी राम कमल पटेल कहते हैं कि प्रजापति पैसे वाले आदमी हैं। वह गरीब लोगों को उनकी शादी में साइकिल देते हैं। जब भी ये लोग उनके पास आते हैं तो उनकी पैसों से मदद करते हैं। एक सपा नेता बताते हैं कि 4 साल पहले आगरा में आयोजित सपा के सम्मलेन में पार्टी को बीस लाख रुपए दिए। इसके बाद प्रजापति मुलायम सिंह के करीबी बन गए। उन्होंने कहा कि प्रजापति मुलायम सिंह की बुढ़ापे में सभी जरूरतों का पूरा ध्यान रखते हैं। विधायक बनने के बाद से ही वह मुलायम सिंह के सबसे भरोसेमंद हो गए। यहां तक कि जब अखिलेश ने उन्हें पद से हटाया तो उन्होंने मुलायम सिंह से मिलकर उनके आदेश को रद्द करवा दिया। बता दें कि साल 2012 में हुए पिछले चुनाव में गायत्री प्रजापति ने अमिता मोदी को मात दी थी।

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