Edited By ,Updated: 06 Dec, 2016 05:42 PM
18 मार्च 1956 को डॉ. भीमराव अम्बेडकर आगरा में आए थे। यहां उन्होंने आगरा किला मैदान पर विशाल जनसभा को संबोधित किया। लाखों की भीड़ बाबा साहब को सुनने के लिए उमड़ी हुई थी।
आगरा(गौरव): 18 मार्च 1956 को डॉ. भीमराव अम्बेडकर आगरा में आए थे। यहां उन्होंने आगरा किला मैदान पर विशाल जनसभा को संबोधित किया। लाखों की भीड़ बाबा साहब को सुनने के लिए उमड़ी हुई थी। बाबा साहब ने जब कहा, कि मुझे तो शिक्षितों ने धोखा दिया है। उन्होंने कहा कि वे चाहते थे कि समाज के ये शिक्षित लोग समाज के उत्थान के लिए काम करेंगे, लेकिन शिक्षित होने के बाद ये लोग अपने और अपने परिवार के उत्थान में जुट गए।
बौद्ध बिहार चक्की पाट के भदंत ज्ञानरत्न महाथेरो ने बताया कि बाबा साहब ने इस विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था कि समाज के लिए बड़ी मुश्किल से ये कारवां बनाया है। समाज में जागृति पैदा की है, उनके अधिकारों के लिए लड़ाई शुरू की है। उन्होंने कहा कि मैं जिस तम्बू के नीचे खड़ा हूं, उसका बम्बू निकल जाए, तो क्या होगा। उन्होंने कहा था कि समाज के शिक्षित लोग अपने और अपने परिवारों के बारे में ही नहीं सोचें, बल्कि सोचें उस समाज के बारे में भी, जहां से वे आए हैं, तभी सफलता मिल सकेगी। इस सभा के बाद बाबा साहब शाम तक आगरा में रुके।
इस कार्यक्रम की अगुवाई कर रहे चक्की पाट के शंकरानंद शास्त्री ने आग्रह किया, जिसके बाद बाबा साहब ने चक्की पाट पर बौद्ध प्रतिमा स्थापित की, तभी से बाबा साहब का नाम इस स्थल से जुड़ गया। इसके बाद अशोक विजय दशमी पर बाबा साहब को नागपुर में भदंत चन्द्रमणि ने बौद्ध दीक्षा ग्रहण कराई। बाबा साहब के साथ पांच लाख लोगों ने यह दीक्षा ग्रहण की।
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