Exclusive-रियलिटी चेक: यहां भी भगवान भरोसे मरीज, अस्पतालों में आग से निपटने के इंतजाम नाकाफी

Edited By Punjab Kesari,Updated: 17 Jul, 2017 03:22 PM

here too god fearing patients  hospital no arrangements to tackle fire

शनिवार को राजधानी लखनऊ के किंग जॉर्ज यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के ट्रामा सेंटर में आग लग जाने से कई मरीजों की मौत हो गई। केजीएमयू में पर्याप्त संसाधन मौजूद होने के बावजूद भी इतने मरीजों को जान से हाथ धोना पड़ा है।

गोरखपुर(रुद्र प्रताप सिंह): शनिवार को राजधानी लखनऊ के किंग जॉर्ज यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के ट्रामा सेंटर में आग लग जाने से कई मरीजों की मौत हो गई। केजीएमयू में पर्याप्त संसाधन मौजूद होने के बावजूद भी इतने मरीजों को जान से हाथ धोना पड़ा है। सोचिए जिन अस्पतालों में पर्याप्त संसाधन नाम मात्र के हैं या फिर न के बराबर हैं अगर इन अस्पतालों में अचानक आग लग जाती है तो क्या होगा? सोचकर ही दिल कांप उठता है। 

केजीएमयू की घटना को देखते हुए पंजाब केसरी के रिपोर्टर रुद्र प्रताप सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संसदीय क्षेत्र गोरखपुर समेत पूर्वाचल के कई बड़े चिकित्सा केंद्रों का रियल्टी चेक किया। इस दौरान कई चौंकाने वाले मामले सामने आए। 

बीआरडी मेडिकल कॉलेज में पर्याप्त संसाधन का आभाव
पूर्वांचल के बड़े चिकित्सा केंद्र में शुमार बीआरडी मेडिकल कॉलेज का रियल्टी चेक में जो बातें सामने आई हैं उसके मुताबिक अगर इस अस्पताल में कोई हादसा हो जाता है तो मरीजों का भगवान ही मालिक है। यहां ना तो पर्याप्त संसाधन है और ना ही प्रशिक्षित स्टॉफ। फॉयर हाइड्रेंट भी क्रियाशील नहीं है। जो संसाधन मौजूद भी हैं वह काफी पुराने हो चुके हैं यानि की चलने के कंडीशन में नहीं हैं। 

जिला और महिला अस्पताल का भी वही हाल 
वहीं जिला अस्पताल या महिला अस्पताल की बात की जाए तो यहां पर रोगियों को आग से बचाने के प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं। ऐसे में यदि आग लग जाए तो लोगों की जिंदगी बचाना मुश्किल हो जाएगा। अस्पतालों में आग के बचाव के प्रबंध न होने को लेकर सवाल खड़ा हो गया है।

मेडिकल कॉलेज के ट्रामा सेंटर में शुरू नहीं हुआ फॉयर सिस्टम
मेडिकल कॉलेज का ट्रामा सेंटर हो या अन्य विभाग सभी जगहों पर फॉयर सिस्टम, फॉयर फाक्स और अलार्म लगा दिए गए हैं। सूत्रों की मानें तो सिस्टम लग जाने के बाद उसे शुरू नहीं करवाया गया है। यदि आग लगी तो ऊंची इमारतों में भर्ती मरीजों को निकल पाना मुश्किल हो जाएगा। जिला अस्पताल में प्रतिदिन 1800 से 2000 की ओपीडी होती है लेकिन यहां किसी भी डॉक्टर के कक्ष में अग्निशमन यंत्र नहीं लगाए गए हैं। इतना ही नहीं न्यू बिल्डिंग में सिर्फ स्टाफ नर्स कक्ष में दो सिलेंडर फाक्स लगाए गए हैं। हैरानी की बात यह है कि वर्तमान में विभिन्न वार्डो में लगभग 225 मरीज भर्ती हैं और आग से निपटने के लिए अस्पताल प्रशासन के पास सिर्फ 10 फॉयर फाक्स सिलेंडर है। इस दशा में यदि आग लगी तो अस्पताल से मरीजों को कैसे बचाया जाएगा। यह सवाल सामने खड़ा हैं।

अल्ट्रासाउंड, एक्सरे कक्ष में भी अग्निशमन यंत्र की व्यवस्था नहीं 
अल्ट्रासाउंड, एक्सरे कक्ष में भी अग्निशमन यंत्र की व्यवस्था नहीं है। दवा भंडार कक्ष में यंत्र लगाया गया है, जो महज शो पीस बना है। जिन वार्डों में रोगी भर्ती हैं, वहां पर भी आग से बचाव के कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं।

जिला व महिला अस्पताल में नहीं है हाईड्रेंट 
जिला व महिला अस्पताल में आग से निपटने के लिए हाईड्रेंट सिस्टम नहीं है। आलम यह है कि किसी भी वार्ड में आग बुझाने के लिए फायर पाइप लाइन तक नहीं बिछाई गइ्र्र है। इतना ही नहीं कुछ ही जगहों पर फायर फाक्स लगाए गए हैं, लेकिन न्यू बिल्डिंग के फिमेल मेडिसीन, मेल मेडिसीन, चिल्ड्रेन वार्ड, मेल सर्जिकल व जनरल वार्ड में फायर फाक्स सिस्टम तक नहीं लगाए गए हैं। 

महिला अस्पताल में सिर्फ दो फायर फाक्स 
महिला अस्पताल में यदि आग लग गई तो उनके पास मरीजों को बचाने के लिए कोई प्रबंध नहीं है। चौंकाने वाली बात यह है कि ऑपरेशन थियेटर में एक फायर फाक्स लगा है जो 2009 का है। वह एक्सपायर कर चुका है। इतना ही नहीं लेबर रूम समेत पीएनसी वार्ड, एनएनसी सर्जिकल व न्यू बिल्डिंग वार्ड में एक भी फायर फाक्स सिलेंडर और सिस्टम नहीं लगाया गया है। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगर आग लगी तो भर्ती मरीजों को बाहर निकालने की बात तो दूर आग पर काबू कर पाना मुश्किल होगा।  

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!