Edited By Punjab Kesari,Updated: 16 Nov, 2017 08:09 PM
मायावती ने कहा, ‘‘गुजरात विधानसभा में 182 सीटें हैं, चुनावी गठबंधन के तहत बीएसपी ने कांग्रेस की हारी हुई 25 सीटें अपने लिए मांगी थी लेकिन उन्होंने मना कर दिया
लखनऊ: बीएसपी सुप्रीमो ने गुरुवार को कहा कि धर्मनिरपेक्ष दलों के साथ गठबंधन के संबंध में पार्टी के पुराने और वर्तमान दोनों ही अनुभव काफी खराब रहे हैं। धर्मनिरपेक्ष दलों के साथ मिलकर लड़ने की बात पर मायावती ने कहा कि उनकी पार्टी कभी इसके खिलाफ नहीं रही है। उन्होंने कहा कि किसी भी धर्मनिरपेक्ष पार्टी के साथ हम गठबंधन सम्मानजनक सीट संख्या मिलने पर ही करेंगे, वरना पार्टी अकेले ही चुनाव लड़ेंगे।
मायावती ने कहा, ‘‘गुजरात विधानसभा में 182 सीटें हैं, चुनावी गठबंधन के तहत बीएसपी ने कांग्रेस की हारी हुई 25 सीटें अपने लिए मांगी थी लेकिन उन्होंने मना कर दिया। इसी तरह हिमाचल प्रदेश की कुल 68 सीटों में से पार्टी ने कांग्रेस से उसकी हारी हुई सीटों में से 10 मांगी थी लेकिन यहां भी पार्टी ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई।
गठबंधन में चुनाव लड़ने का अनुभव अच्छा नहीं रहा
बीएसपी सुप्रीमो ने कहा कि इन्हीं निर्देशों के तहत पार्टी नेता एससी मिश्रा ने गठबंधन के संबंध में कांग्रेस नेता अहमद पटेल से विस्तार से बात की थी। उन्होंने बातचीत की जानकारी गुलाम नबी आजाद को भी दी लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। उन्होंने कहा कि इस संबंध में मिश्रा समाजवादी पार्टी के रवैये से भी बहुत ज्यादा दुखी हैं। ‘‘हमारी पार्टी ने उत्तर प्रदेश में 1993 में एसपी के साथ और 1996 में कांग्रेस के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा लेकिन अनुभव अच्छा नहीं रहा।’’
‘जनकल्याणकारी दिवस’ के रूप मनेगा जन्मदिन
उन्होंने कहा कि गठबंधन से इन दोनों दलों को लाभ हुआ लेकिन हमें नुकसान हुआ। हमारा मत-प्रतिशत भी घट गया। उन्होंने कहा कि पुराने अनुभवों के आधार पर लगता है कि पार्टी के लिए अकेले चुनाव लड़ना ही बेहतर विकल्प है। अपने जन्मदिन के बारे में मायावती ने कहा कि हर साल की तरह 15 जनवरी, 2018 ‘जनकल्याणकारी दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा। हमेशा की तरह गरीब और असहाय लोगों की मदद की जाएगी।
किसी को निर्दलीय चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं
मायावती ने उत्तर प्रदेश में तीन चरणों में हो रहे शहरी निकाय चुनावों की तैयारियों का जायजा लेने के लिए गुरुवार को पार्टी पदाधिकारियों के साथ बैठक की। उन्होंने कहा कि बीएसपी पहली बार अपने चुनाव चिन्ह पर शहरी निकाय चुनाव लड़ रही है। पार्टी ने मेयर, पार्षद, नगर पालिका व नगर पंचायत के अध्यक्ष व सदस्यों के लिए अपने उम्मीदवार खड़े किये हैं। पार्टी के किसी कार्यकर्ता को निर्दलीय चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं दी गयी है।