Edited By ,Updated: 27 Feb, 2017 02:28 PM
अरे भइया ई देख लो। एक तरफ इनके नेता हैं कि दोस्ती का दंभ भरते नहीं थक रहे, तो दूसरी तरफ ‘अलग’ ही कहानी है।
लखनऊ:अरे भइया ई देख लो। एक तरफ इनके नेता हैं कि दोस्ती का दंभ भरते नहीं थक रहे, तो दूसरी तरफ ‘अलग’ ही कहानी है। यह तो बस एक उदाहरण भर है। पता नहीं और जगह क्या हाल होगा। अब यह केस ही ले लीजिए। कहने को तो गुजरात के गोरखपुर के खजनी से कमांडो के नाम से विख्यात और कभी राजीव गांधी की सुरक्षा टीम के सदस्य रहे एन.एस.जी. के पूर्व सदस्य कमल किशोर कांग्रेस के उम्मीदवार हैं, लेकिन सपा के विरोध के बाद यहां एक अजीब ही ‘नजारा’ देखने को मिलता है। दरअसल कमल किशोर अपनी गाड़ी पर एक तरफ सपा को मुड़ा हुआ, जबकि दूसरी तरफ कांग्रेस का झंडा लगाकर चलते हैं। किशोर को यह सब सपा के कार्यकत्र्ताओं के विरोध के चलते करने को मजबूर हुए क्योंकि पार्टी ने आरक्षित सीट खजनी से उम्मीदवार खड़ा किया है।
ऊपर दोस्ती...नीचे रार!
किशोर ने बताया कि सपा कार्यकत्र्ताओं ने उनके प्रचार के वाहन से पार्टी का झंडा हटा दिया। मामला इतना बढ़ा कि हाथापाई और थाने तक पहुंच गया और ऐसे हालात तब हैं, जब शीर्ष स्तर पर सपा और कांग्रेस की हाल ही में दोस्ती हुई है और ‘दोनों लड़के’ दोस्ती का खूब दंभ भर रहे हैं।यह उदाहरण साफ बताता है कि शीर्ष स्तर पर दोनों पार्टियों में भले ही दोस्ती हो गई हो, लेकिन ‘जमीन पर’ यारी-दोस्ती दूर की ही बात दिखाई पड़ रही है। बहरहाल, साल 2009 से बहराइच से विधायक रहे कमल किशोर ने गाड़ी से झंडा उतारने से मना कर दिया है। उनका कहना है कि वह गठबंधन के आधिकारिक उम्मीदवार हैं। उन्होंने झंडा हटाने से इन्कार की वजह बताते हुए क्षेत्र में यादवों और मुस्लिमों की अच्छी-खासी संख्या होने का हवाला दिया। उनका कहना है कि यादव उनके साथ हैं। हां यह जरूर है कि उन्होंने सपा के झंडे को मोड़ दिया है।
गोरखपुर सपा,कांग्रेस के बीच लेन-देन और तकरार का प्रतीक
बता दें कि गोरखपुर सपा और कांग्रेस के बीच लेन-देन, तकरार और समायोजन का प्रतीक है। गोरखपुर की शहरी विधानसभा सीट पर सपा ने कांग्रेस के नामति राणा राहुल सिंह के लिए अपने उम्मीदवार को मैदान से हटा लिया। वहीं कंप्यिरगंज से सपा की पूर्व नेता चिंता यादव कांग्रेस की उम्मीदवार हैं। वरिष्ठ कांग्रेसी नेता नाम न छापने की शर्त पर बताते हैं कि कांग्रेस ने चिंता यादव को सपा से उधार लिया है। नेता कहते हैं कि अब जबकि सीट समझौते के बाद यह सीट कांग्रेस के हिस्से में आई, तो चिंता यादव को कांग्रेस के निशान पर चुनाव लड़ने के लिए कहा गया। बता दें कि कांग्रेस और सपा ने उत्तर प्रदेश में एक-दूसरे के खिलाफ 16 सीटों पर अपने-अपने उम्मीदवार चुनावी रण में उतारे हैं।