आंधी-तूफान ​हैं खतरे के संकेत, छिपे हैं कई रहस्यमय कारक

Edited By Punjab Kesari,Updated: 21 Jun, 2018 05:08 PM

several secrets are hidden in the storm in this year

भारत के उत्तरी क्षेत्र के अन्य प्रांतों की तरह इस साल उत्तराखंड में भी कई मर्तबा आंधी व तूफान आए। फरवरी से लेकर मई तक अंधड़ ने पर्वतीय प्रदेश को हिलाकर रख दिया। सेंटर फार स्टडी ऑफ एनवायरमेंट की रिपोर्ट में तमाम बातें उल्लेखित हैं। इसमें साफ है कि...

देहरादून: भारत के उत्तरी क्षेत्र के अन्य प्रांतों की तरह इस साल उत्तराखंड में भी कई मर्तबा आंधी व तूफान आए। फरवरी से लेकर मई तक अंधड़ ने पर्वतीय प्रदेश को हिलाकर रख दिया। सेंटर फार स्टडी ऑफ एनवायरमेंट की रिपोर्ट में तमाम बातें उल्लेखित हैं। इसमें साफ है कि आने वाले समय में लाखों लोगों की आजीविका खतरे में पड़ेगी। पहाड़ी व मैदानी जिलों में हालात खतरनाक स्तर पर पहुंच जाएंगे। रिपोर्ट में स्पष्ट है कि जमीन और पानी के खराब प्रबंधन के कारण भी आंधी और तूफान आ रहे हैं। अन्य कारक तो काम कर रही हैं। लेकिन, उनके अलावा इंसानी कारक भी बेहद अहम साबित हुए हैं। जमीन पहले से अधिक रेतीली हुई है। यह प्रक्रिया लगातार बढ़ रही है।

 

इस रिपोर्ट में सबसे अहम बात पश्चिमी विक्षोभ को लेकर है। इसमें उल्लेखित है कि पश्चिमी विक्षोभ का समय काफी बदल गया है। पहले पश्चिमी विक्षोभ सदिर्यों में आता था। सदिर्यों में अधिकतम पंद्रह बार वेस्टर्न डिस्टरबेंस आता था। इससे बारिश और बर्फबारी मिलती थी। लेकिन अब यह गर्मियों व बरसात के समय आ रहा है। इससे बहुत गड़बड़ियां पैदा हो रही हैं। पश्चिमी विक्षोभ का चरित्र बदलने से आंधी और तूफान कहर बरपा रहे हैं। मौसम वैज्ञानिक डा. आनंद शर्मा कहते हैं कि वेस्टर्न डिस्टरबेंस की हवाएं भूमध्य सागर से आती हैं। इसका रास्ता पश्चिमी एशिया है। इसलिए इसे वेस्टर्न डिस्टरबेंस कहा जाता है। अब तक इसका समय शीतकाल वाला ही होता रहा है। 

 

सीएसई की प्रमुख सुनीता नारायण की हेड का कहना है कि रिपोर्ट में स्पष्ट है कि तापमान एक से दो डिग्री सेल्सियस बढ़ रहा है। यह बहुत ही खतरनाक रुझान है। पश्चिमी विक्षोभ और बढ़े हुए तापमान से वातावरण में खुश्की का इजाफा हो रहा है। आद्रर्ता के बढ़ने और गर्मी व धूल के मिलने से आंधी और तूफान के लिए मजबूत जमीन तैयार हो जाती है। पहले जो मौसमी घटनाएं सामान्य मानी जाती थीं वे अब सामान्य की कैटेगरी में आ चुकी हैं। लेकिन, उत्तराखंड के लोगों के लिए चिंता की बात है इस बदलाव से होने वाले असर। सामाजिक और आर्थिक जीवन पर नकारात्मक असर पड़ना तय है। लाखों लोगों की आजीविका पर खतरा मंडरा सकता है।

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