Edited By Nitika,Updated: 23 May, 2018 02:26 PM
जंगलों में लगी आग उत्तराखंड के 8 जिलों में धधक रही है। इसका असर चारधाम यात्रा पर भी पड़ रहा है। देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए सुरक्षा उपलब्ध करवाना सरकार के लिए चुनौती बन गया है।
हल्द्वानीः जंगलों में लगी आग उत्तराखंड के 8 जिलों में धधक रही है। इसका असर चारधाम यात्रा पर भी पड़ रहा है। देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए सुरक्षा उपलब्ध करवाना सरकार के लिए चुनौती बन गया है। राज्य में कुमाऊं के जंगलों में लगी आग को देखते हुए वन विभाग सतर्क दिखाई दे रहा है। इसी के चलते राज्य के मुख्य वन संरक्षक जयराज स्वयं घटनास्थल का जायजा लेने के लिए कुमाऊं रेंज पहुंच चुके हैं।
उत्तराखंड के 8 जिलों में धधक रही आग
जानकारी के अनुसार, गर्मी चरम पर होने के कारण जंगलों में आग को बुझाने के लिए वन विभाग को कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। मुख्य वन संरक्षक का कहना है कि आने वाले दिनों में गर्मी अधिक पड़ने के कारण आग और विकराल रूप धारण कर सकती है। जंगलों में आग का विकराल रूप देखते हुए मुख्य वन संरक्षक ने इसरी कमान संभाल ली है। कुमाऊं दौरे पर निकले वन संरक्षक ने कहा कि अधिकारी इसको लेकर पूरी तरह से सतर्क हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि हालात को नियंत्रण करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। आग पर नियंत्रण पाने के लिए सभी अधिकारियों और कर्मचारियों की छुट्टियों पर भी रोक लगा दी है।
चारधाम यात्रा पर भी पड़ा असर
बजट को ध्यान में रखते हुए भी सभी वन पंचायोतं को बजट का पैसा दे दिया गया है। उनके अनुसार, अब तक 1100 हेक्टेयर वन संपदा को नुकसान पहुंचा है, जिसको वह वन संपदा के लिए बड़ा नुकसान नहीं मानते है। वन संरक्षक ने जनता से अपील करते हुए कहा कि वह जंगलों को बचाने के लिए आगे आएं। उन्होंने कहा कि बिना जनता की सहभागिता के जंगलों को नहीं बचाया जा सकता है। वनों में लगातार लग रहा आग को देखते हुए अल्मोड़ा में इसी सप्ताह सासंद भगत सिंह कोश्यारी की अध्यक्षता में पार्लियामेंट्री में बैठक होगी। इसमें वनों में आग सहित कई मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। मुख्य वन संरक्षक का कहना है कि वन विभाग अपनी सारी समस्याएं को इस बैठक में प्रमुखता के साथ उठाएगी।
कर्मचारियों की छुट्टियों पर लगी रोक
बता दें कि पिछले कुछ दिनों से कुमाऊं के नैनीताल, बागेश्वर और अल्मोड़ा जिले में भीषण आग लगी हुई है। इससे लाखों की वन संपदा जलकर खाक हो चुकी है। इतना ही नहीं कई वन्य जीव-जन्तुओं की जान पर भी खतरा मंडरा रहा है। इससे पहले भी गर्मियों में उत्तराखंड के जंगलों में आग लगती रही है। इससे हर बार करोड़ों की संपत्ति का नुकसान होता रहा है।