पत्नी दाखिल कर सकती है घरेलू हिंसा का मुकदमा भले शादी घोषित हो चुकी हो शून्यः हाईकोर्ट

Edited By Ajay kumar,Updated: 01 Mar, 2024 04:41 PM

wife can file domestic violence case even if marriage has been declared void

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक महत्वपूर्ण निर्णय पारित करते हुए कहा है कि शादी के शून्य घोषित हो जाने के बावजूद पत्नी घरेलू हिंसा का मुकदमा दाखिल कर सकती है। न्यायालय ने कहा कि भले ही सक्षम न्यायालय द्वारा शादी को समाप्त किया जा चुका हो,

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक महत्वपूर्ण निर्णय पारित करते हुए कहा है कि शादी के शून्य घोषित हो जाने के बावजूद पत्नी घरेलू हिंसा का मुकदमा दाखिल कर सकती है। न्यायालय ने कहा कि भले ही सक्षम न्यायालय द्वारा शादी को समाप्त किया जा चुका हो, इसका घरेलू हिंसा अधिनियम की धारा 12 के तहत दाखिल परिवाद पर कोई असर नहीं पड़ेगा। यह निर्णय न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की एकल पीठ ने पति की ओर से दाखिल याचिका को खारिज करते हुए पारित किया है।

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घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत पति के खिलाफ मुकदमा नहीं चलाया जा सकता
प्रतापगढ़ के इस मामले में याची पति का कहना था कि उसकी और शिकायतकर्ता पत्नी की शादी को 26 मार्च 2021 को सक्षम न्यायालय द्वारा डिक्री पारित करते हुए शून्य घोषित किया जा चुका है। उनका विवाह हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 5 (बी) के तहत प्रतिबंधित था तथा पत्नी बायपोलर डिसॉर्डर से पीड़ित थी, इस तथ्य को छिपाकर उसने शादी की थी। दलील दी गई कि परिवार न्यायालय द्वारा उनकी शादी शून्य घोषित हो चुकी है लिहाजा घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत पति के खिलाफ मुकदमा नहीं चलाया जा सकता।

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पति का उक्त प्रार्थना पत्र निचली अदालत ने किया था खारिज
मामले में पत्नी के द्वारा घरेलू हिंसा का मुकदमा 11 सितंबर 2019 को दाखिल किया गया था, जिसकी पोषणीयता पर आपत्ति जताते हुए पति ने प्रार्थना पत्र दाखिल किया। पति का उक्त प्रार्थना पत्र 29 सितम्बर 2022 को निचली अदालत द्वारा खारिज कर दिया गया। जिसके बाद उसने हाईकोर्ट की शरण ली। न्यायालय ने अपने निर्णय में इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि अलग होने से पूर्व याची व विपक्षी पति-पत्नी की तरह ही रह रहे थे। शादी के शून्य घोषित होने तक दोनों एक-दूसरे से शादी के रिश्ते में बंधे थे। न्यायालय ने और स्पष्ट करते हुए कहा कि यहाँ तक कि शादी के शून्य घोषित होने से पूर्व वे वैवाहिक रिश्ते में ही रहे, लिहाजा पत्नी घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत पीड़िता मानी जाएगी तथा उसे धारा 12 के तहत परिवाद दाखिल करने का पूर्ण अधिकार है।

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