ज्ञानवापी में कब्र नहीं बल्कि हिंदू देवताओं की मूर्तियां, 20 अप्रैल को मामले की अगली सुनवाई

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 17 Apr, 2024 01:33 PM

there are no graves but statues of hindu gods in gyanvapi next

ज्ञानवापी के एक मामले में मंगलवार को सुनवाई की गई है। ज्ञानवापी में नए मंदिर के निर्माण और हिंदुओं को पूजा-पाठ ...

वाराणसी: ज्ञानवापी के एक मामले में मंगलवार को सुनवाई की गई है। ज्ञानवापी में नए मंदिर के निर्माण और हिंदुओं को पूजा-पाठ करने का अधिकार देने को लेकर स्वयंभू विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग की ओर से पं. सोमनाथ व्यास, डा.रामरंग शर्मा, पं. हरिहर नाथ पांडेय द्वारा 1991 में दाखिल मुकदमे की सुनवाई मंगलवार को सिविल जज (सीनियर डिविजन फास्ट ट्रैक) प्रशांत कुमार सिंह की अदालत में हुई।

इसमें लोहता निवासी मुख्तार अहमद अंसारी की ओर से पक्षकार बनने के लिए दाखिल प्रार्थना पत्र पर वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी ने अपनी दलील दी। उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी में कब्र नहीं बल्कि हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं। वादमित्र की जिरह अभी जारी है और अदालत ने सुनवाई के लिए अगली तारीख 20 अप्रैल तय की है। वादमित्र ने कहा कि मुख्तार अहमद ने ज्ञानवापी के बारे में बताया है कि उप्र सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड लखनऊ में यह वक्फ संख्या 100 के तौर पर दर्ज है और वहां नमाज पढ़ने का अधिकार है। एक मुकदमे की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट को बताया गया था कि वाराणसी में 245 सुन्नी मस्जिदें हैं और ज्ञानवापी उनमें एक है।

हाई कोर्ट ने पाया कि तत्कालीन वक्फ कमिश्नर की रिपोर्ट किसी रजिस्टर में अंकित बिना साक्ष्य के आधार पर दी गई थी। इस बाबत उत्तर प्रदेश सरकार ने गजट नोटिफिकेशन 26 फरवरी 1944 को प्रकाशित किया था, जो संदिग्ध हैं। वक्फ कमिश्नर की रिपोर्ट यूपी मुस्लिम वक्फ एक्ट 1936 की धाराओं के अंतर्गत नहीं थी। ज्ञानवापी से संबंधित खसरा में दर्ज इंद्राज फर्जी है और उसे जालसाजी करके बनाया गया है। 1936 के दीन मोहम्मद के मुकदमे के अदालत के फैसले में भी इसे फर्जी बताया गया है। वादमित्र ने ज्ञानवापी परिसर में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) के सर्वे की रिपोर्ट पर अदालत का ध्यान आकृष्ट कराया।

सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है कि विवादित स्थल में ढांचा पुराने विश्वनाथ मंदिर के स्थान पर उसके ही मलबे का इस्तेमाल करके बनाया गया है। इस तरह वह मस्जिद नहीं हो सकता है। ज्ञानवापी के पश्चिम तरफ जिस कब्र की बात मुख्तार अहमद अंसारी की ओर से की कही गई है, वह कब्र नहीं बल्कि हिंदू देवताओं की मूर्तियां हैं, जिसे तत्कालीन मजिस्ट्रेट द्वारा 1906 में मान्य किया गया है। दीन मोहम्मद के मुकदमे के निर्णय में पृष्ठ 165 पर यह उल्लेख है कि विवादित स्थल के पश्चिम की तरफ 1906 से पहले मुसलमानों द्वारा फातेहा नहीं पढ़ी गया है।

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