Edited By Imran,Updated: 18 Jan, 2022 12:52 PM
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी व राष्ट्रीय लोकदल के बीच गठबंधन तनाव दिखाई देने लगा है। दरअसल, दोनों ही पार्टियां एक ही विधानसभा सीट से अपना-अपना उम्मीदवार उतरना चहती है। सपा यहां से पूर्व विधायक गुलाम मोहम्मद को प्रत्याशी बनाना...
लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी व राष्ट्रीय लोकदल के बीच गठबंधन तनाव दिखाई देने लगा है। दरअसल, दोनों ही पार्टियां एक ही विधानसभा सीट से अपना-अपना उम्मीदवार उतरना चहती है। सपा यहां से पूर्व विधायक गुलाम मोहम्मद को प्रत्याशी बनाना चाहती है तो वहीं, आरएलडी इस सीट पर जाट प्रत्याशी को देखना चाहती है।
बता दें कि बागपत जिले से सटी सिवालखास विधानसभा अब दोनों पार्टियों के लिए प्रतिष्ठा बन गई है। आरएलडी के नेता मेरठ की दो सीट अपने खाते में चाहते थे। इनमें सबसे पहले सिवालखास सीट और दूसरी सीट सरधना। सरधना सीट पर सपा ने अखिलेश यादव के करीबी अतुल प्रधान को प्रत्याशी बना दिया। अतुल प्रधान गुर्जर हैं और दो बार भाजपा के संगीत सोम से चुनाव हार चुके हैं। जिसके बाद लोकदल सिवालखास सीट के लिए लड़ाई लड़ रही है। लोकदल मेरठ में जाटलैंट की सिवालखास को प्रतिष्ठा बनाए हुए। यदि सिवालखास लोकदल से छिटकती है तो मेरठ की छह सीटों पर जाट बिरादरी भी गठबंधन से खिसक सकती है। यही सीट है जिस पर लोकदल एक जाट प्रत्याशी के सहारे मेरठ में जाटों को साध सकती है।
गौरतलब है कि समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल के बीच गठबंधन होने के बाद पहले चरण के जब उम्मीदवार घोषित किए गए, तब आरएलडी को कुल 19 सीटें दी गई थीं। फिलहाल आरएलडी के 7 और उम्मीदवार घोषित कर दिए गए हैं। ऐसे में सपा संग गठबंधन में आरएलडी को कुल 26 सीटें मिली हैं। उम्मीदवारों के ऐलान से पहले ऐसी अटकलें थीं कि सपा संग गठबंधन में आरएलडी को 36 सीटें तक मिल सकती हैं। लेकिन अब शायद जयंत चौधरी की पार्टी को 26 सीटों से ही संतुष्ट होना पड़ेगा।