इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा- ‘बिना नियमित विभागीय कार्यवाही के पुलिस कर्मियों का निलंबन गलत’

Edited By Mamta Yadav,Updated: 01 Apr, 2024 05:01 PM

suspension of police personnel without regular departmental action is wrong

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि वगैर नियमित विभागीय कार्यवाही के पुलिस कर्मचारियों को निलम्बित करना गलत है। कोर्ट ने इसी के साथ दरोगा व हेड कान्स्टेबल के निलंबन को गलत मानते हुए आदेश रद्द कर याचिका मंजूर कर लिया है।

Prayagraj News, (सैय्यद आकिब रजा):  इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि वगैर नियमित विभागीय कार्यवाही के पुलिस कर्मचारियों को निलम्बित करना गलत है। कोर्ट ने इसी के साथ दरोगा व हेड कान्स्टेबल के निलंबन को गलत मानते हुए आदेश रद्द कर याचिका मंजूर कर लिया है।

मुख्यमंत्री के यहां धरना, प्रदर्शन व आत्मदाह करने की सलाह देने का आरोप
याचिका के अनुसार, याचीगण लाल प्रताप सिंह उपनिरीक्षक, एवं बृजेश कुमार मुख्य आरक्षी, विशेष अभिसूचना विभाग ललितपुर, में कार्यरत थे। इन्हें उ०प्र० अधीनस्थ श्रेणी के पुलिस अधिकारियों की (दण्ड एवं अपील) नियमावली 1991 के नियम-17 (1) (क) के प्राविधानों के तहत दिनांक 24 जनवरी 2024 को निलम्बित कर दिया गया एवं निलंबन की अवधि में पुलिस अधीक्षक (क्षेत्रीय) विशेष शाखा अभिसूचना विभाग कानपुर नगर से सम्बद्ध कर दिया गया। याचीगणों पर निलंबन आदेश में यह आरोप था कि इन्होंने अपने से जुड़े लोगों को कहा कि अगर किसी मामले में कथित न्याय नहीं मिल रहा है, तो वे मुख्यमंत्री जी के यहां जा कर धरना/प्रदर्शन/आत्मदाह करें। यह भी कहा कि ऐसा लिखकर प्रार्थना पत्र जिलाधिकारी या पुलिस अधीक्षक को दें, जिससे जिला स्तर से ही काम हो जाएगा।
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याचीगण के ऊपर लगाए गए आरोप बिल्कुल निराधार एवं असत्य
उक्त निलंबन आदेश दिनांक 24 जनवरी 2024 के विरूद्ध याचीगण ने अलग-अलग याचिकाएं दाखिल किया। याचिका में कहा गया है कि याचीगण के ऊपर निलंबन आदेश में जो आरोप लगाये गये हैं वह बिल्कुल निराधार एवं असत्य है। याची पुलिस कर्मियों के वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम एवं अतिप्रिया गौतम ने कोर्ट को बताया कि निलंबन आदेश जारी करने के बाद पुलिस अधीक्षक (क्षेत्रीय) विशेष शाखा अभिसूचना विभाग उत्तर प्रदेश के आदेश दिनांक 29 जनवरी 2024 के तहत  मण्डलाधिकारी अभिसूचना विभाग उत्तर प्रदेश कानपुर को प्रारम्भिक जॉच आवंटित की गयी तथा मण्डलाधिकारी अभिसूचना विभाग उत्तर प्रदेश कानपुर नगर ने याचीगणों को उक्त प्रकरण में अपना अभिकथन प्रारम्भिक जॉच में अंकित कराने के लिए दिनांक 13 फरवरी 2024 को निर्देशित किया।
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निलंबन आदेश में गलत तथ्य दर्शाए गए
वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम का कहना था कि निलम्बित करते समय सक्षम अधिकारी के पास कोई साक्ष्य नहीं था और बिना ठोस साक्ष्य के निलम्बित करने का आदेश मनमाना कार्य है। बहस में यह भी कहा गया कि निलंबन आदेश में गलत तथ्य दर्शाए गए हैं। मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने अपने आदेश में कहा है कि रिकार्ड अवलोकन करने के बाद यह प्रतीत होता है कि याचीगणों के विरूद्ध प्रारम्भिक जॉच विचाराधीन है। कोर्ट ने सच्चिदानंद त्रिपाठी के केस में प्रतिपादित  की गई व्यवस्था को आधार मानते हुए निलंबन आदेश को विधि विरुद्ध माना।

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