विदेशों में नौकरी दिलाने के नाम पर महिलाओं को फंसाते थे तस्कर, UP पुलिस ने अंतरराष्ट्रीय मानव तस्करी गैंग का किया भंडाफोड़

Edited By Moulshree Tripathi,Updated: 29 Aug, 2021 10:10 PM

smugglers used to implicate women in the name of getting jobs

नौकरी के लिए ओमान जाकर मानव तस्करों के चंगुल में फंस गयी उन्नाव जिले की 45 साल की नर्गिस (बदला हुआ नाम) कानपुर पुलिस और विदेश मंत्रालय के प्रयासों

नोएडा: नौकरी के लिए ओमान जाकर मानव तस्करों के चंगुल में फंस गयी उन्नाव जिले की 45 साल की नर्गिस (बदला हुआ नाम) कानपुर पुलिस और विदेश मंत्रालय के प्रयासों से दो अन्य महिलाओं के साथ 15 अगस्त को देश के 75वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर वतन लौटने में सफल रही। अधिकारियों ने बताया कि इस मामले की जांच के दौरान पुलिस को कई अन्य देशों में फैले मानव तस्करी गिरोह का पता चला जो 24 से 50 साल की गरीब महिलाओं को ओमान, कतर, कुवैत या सऊदी अरब जैसे खाड़ी देशों में अच्छी पगार पर घरेलू सेविका का काम दिलाने के बहाने अपने चंगुल में फंसा लेते थे।

उन्होंने बताया कि अपने पति से अलग होने के बाद दो बेटियों और एक बेटे के साथ रह रही नर्गिस को 25,000 रुपये महीने की पगार पर ओमान में घरेलू सेविका की नौकरी मिली और फरवरी में वह कानपुर के एक ट्रैवल एजेंट की मदद से खाड़ी देश पहुंच गयी। वहां पहुंचकर उसे मानव तस्करी गिरोह के चंगुल में फंसने का पता चला। इस बाबत नर्गिस ने बताया, ‘‘जैसे ही मैं ओमान पहुंची, मेरा फोन ले लिया गया और मेरा शारीरिक तथा मानसिक उत्पीड़न किया गया। श्रीलंका की आयशा नाम की महिला मेरी देखरेख कर रही थी। मैंने उसे भारत लौटने देने की गुहार लगाई तो उसने मुझे छोड़ने के लिए चार लाख रुपये मांगे।’’ नर्गिस की बेटी ने बताया, ‘‘अम्मी ने किसी तरह अपनी आपबीती फोन पर मुझे बताई। मैंने कानपुर पुलिस को जानकारी दी और ट्रैवल एजेंट का ब्योरा भी दिया।’’ इस तरह कानपुर पुलिस ने पहल की और 15 अगस्त को नर्गिस भारत लौटने में कामयाब रही।

कानपुर के पुलिस उपायुक्त (अपराध) सलमान ताज पाटिल ने बताया कि जब उन्होंने शहर के एक निवासी की अप्रैल में मिली शिकायत पर जांच करनी शुरू की तो मानव तस्करी गिरोह का खुलासा हुआ। शिकायती ने आरोप लगाया था कि ओमान में उसकी पत्नी को फंसाया गया है। उन्होंने बताया, ‘‘जब हमने जांच का दायरा बढ़ाया तो अधिकारियों को पता चला कि मामला मानव तस्करी का है।  न केवल उत्तर प्रदेश की बल्कि पंजाब, गोवा, तमिलनाडु और कर्नाटक जैसे अन्य राज्यों से भी और श्रीलंका, नेपाल, बांग्लादेश, पाकिस्तान तथा कुछ अफ्रीकी देशों से भी महिलाओं को फंसाया जाता है। पुलिस आयुक्त असीम अरुण ने कानपुर की मानव तस्करी निरोधक इकाई की मदद ली और विदेश मंत्रालय को भी जानकारी दी गयी और उनके साथ अन्य केंद्रीय एजेंसियों की मदद मांगी गयी।’’ उन्होंने बताया, ‘‘पिछले चार महीने में विदेश मंत्रालय की मदद से 12 ऐसी महिलाओं को देश सुरक्षित वापस लाया गया है जिनमें छह कानुपर की, दो-दो पंजाब तथा चेन्नई से और एक-एक गोवा तथा कर्नाटक से हैं।’’ पुलिस अधिकारियों के अनुसार जांच के दौरान कानपुर निवासी ट्रैवल एजेंट मुजम्मिल और अतीकुर रहमान को गिरफ्तार कर लिया गया। दोनों की गवाही पर बेंगलुरू के रहने वाले अमीन को भी गिरफ्तार कर लिया गया।


 

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