उत्तर प्रदेश के विभाजन की उड़ी अफवाहें, UP सरकार के सूचना विभाग ने किया खंडन

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 12 Jun, 2021 03:49 PM

rumors about the partition of uttar pradesh were refuted

देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के बंटवारे को लेकर हर बार चर्चाएं जोर पकड़ लेती है। लेकिन इन चर्चाओं को हमेशा ही राजनीतिक दलों की ओर से खारिज कर दिया जाता है। ऐसे में एक बार फिर उत्तर प्रदेश के तीन हिस्सों में बंटवारे को लेकर चर्चाओं ने जोर...

लखनऊः देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के बंटवारे को लेकर हर बार चर्चाएं जोर पकड़ लेती है। लेकिन इन चर्चाओं को हमेशा ही राजनीतिक दलों की ओर से खारिज कर दिया जाता है। ऐसे में एक बार फिर उत्तर प्रदेश के तीन हिस्सों में बंटवारे को लेकर चर्चाओं ने जोर क्या पकड़ा। जिसके बाद खुद योगी आदित्यनाथ की सरकार ने उत्तर प्रदेश के विभाजन वाली बात को सिरे से ही खारिज कर दिया है। यूपी सरकार के सूचना विभाग ने एक बयान जारी करते हुए प्रदेश के विभाजन की खबर का खंडन किया है।

सूचना विभाग ने एक तस्वीर शेयर करते हुए बताया कि उत्तर प्रदेश को लेकर जताई जा रही आशंका निराधार है। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर यूपी के बंटवारे को लेकर भ्रामक खबरें चलाई जा रही है, ये खबर पूरी तरह से फेक है। सूचना विभाग के मुताबिक ऐसी भ्रामक खबरे चलाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। 

दरअसल यूपी में सियासी उठापठक के बीच ऐसे कयास लगाए जाने लगे कि उत्तर प्रदेश को तीन हिस्सों में बांटा जा सकता है। इस दावे के अनुसार यूपी, तीन राज्यों में बंटेगा। एक होगा उत्तर प्रदेश जिसकी राजधानी लखनऊ होगी। इसमें 20 जिले शामिल होंगे। यूपी के बंटवारे के बाद दूसरा राज्य बनेगा बुंदेलखंड, जिसकी राजधानी प्रयागराज होगी। इसमें 17 जिले शामिल होंगे। तीसरा राज्य होगा पूर्वांचल, जिसमें 23 जिले होंगे और इसकी राजधानी गोरखपुर होगी। साथ ही सोशल मीडिया पर ये भी दावा किया जा रहा है कि यूपी के कुछ जिले हरियाणा, उत्तराखंड और दिल्ली में शामिल हो सकते हैं। जिनमें मुरादाबाद मंडल, सहारनपुर मंडल और मेरठ मंडल का नाम सामने आया है। 

बता दें कि किसी भी राज्य के बंटवारें में केंद्रीय गृह मंत्रालय की भूमिका अहम होती है। साथ ही उस राज्य के राज्यपाल भी गोपनीय रिपोर्ट केंद्र को भेज कर राज्य की बंटवारे की संस्तुति कर सकते हैं। चूकि बंटवारे का प्रस्ताव राज्य के दोनों सदनों ​(विधानसभा और विधानपरिषद) से पास करा कर केंद्र को भेजना होता है, लिहाजा विधानसभा अध्यक्ष की भूमिका भी जरूरी है। अगर तार्किक रूप से देखें तो वर्तमान परिस्थितियों में उत्तर प्रदेश का बंटवारा होना मुश्किल लगता है। विधानसभा चुनाव में 8 महीने का समय बचा है। ऐसे में किसी राज्य के बंटवारे की प्रक्रिया लंबी होती है। संविधान का अनुपालन करते हुए तमाम तरह के दस्तावेजीकरण संबंधित कार्य पूरे करने होते हैं। और इसकी तैयारी में समय लगता है. इसलिए यूपी के बंटवारे की बात फिलहाल सिर्फ शिगूफा ही लगता है। 

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