उप्र सरकार के श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य का इस्तीफा, सपा में शामिल होंगे

Edited By PTI News Agency,Updated: 12 Jan, 2022 10:38 AM

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लखनऊ, 11 जनवरी (भाषा) उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव कार्यक्रम की घोषणा होने के चौथे ही दिन मंगलवार को राज्य सरकार के श्रम एवं सेवायोजन मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। मौर्य ने अपना त्यागपत्र राज्यपाल को भेजा है।

लखनऊ, 11 जनवरी (भाषा) उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव कार्यक्रम की घोषणा होने के चौथे ही दिन मंगलवार को राज्य सरकार के श्रम एवं सेवायोजन मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। मौर्य ने अपना त्यागपत्र राज्यपाल को भेजा है।

मौर्य समाजवादी पार्टी (सपा) में शामिल होंगे। मंगलवार को त्यागपत्र देने के बाद मौर्य के साथ सपा प्रमुख और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपनी तस्‍वीर ट्विटर पर साझा की और सपा में उनका स्वागत किया।

मौर्य के त्यागपत्र की प्रति आज दोपहर बाद सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुई है। राज्यपाल को संबोधित त्यागपत्र में मौर्य ने लिखा है, ‘‘मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ के मंत्रिमंडल में श्रम, सेवायोजन एवं समन्वय मंत्री के रूप में विपरीत परिस्थितियों व विचारधारा में रहकर भी बहुत ही मनोयोग के साथ उत्तरदायित्व का निर्वहन किया है, किंतु दलितों, पिछड़ों, किसानों, बेरोजगार नौजवानों और छोटे- लघु एवं मध्यम श्रेणी के व्यापारियों के प्रति घोर उपेक्षात्मक रवैये के कारण उत्तर प्रदेश के मंत्रिमंडल से इस्तीफा देता हूं।’’
इस्तीफा देने के बाद मौर्य ने पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए कहा, ''भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) नीत सरकार ने बहुतों को झटका दिया है और अगर मैं मंत्रिमंडल से इस्तीफा देकर उसे झटका दे रहा हूं तो इसमें नया क्या है।’’
भाजपा छोड़ने की वजह पूछने पर उन्होंने कहा, ''मैंने उत्तर प्रदेश के राज्यपाल को भेजे हुए पत्र में उन सभी कारणों का उल्‍लेख किया है जिनके कारण भाजपा और मंत्रिमंडल से इस्‍तीफा दे रहा हूं।''
एक सवाल के जवाब में उन्‍होंने कहा, ‘‘भाजपा के जिस नेता ने मुझसे बातचीत की उनसे मैंने ससम्‍मान बातचीत की। मैंने आज भी सुबह उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा और बंसल (सुनील बंसल, प्रदेश महामंत्री संगठन) से बात की।’’ उन्‍होंने कहा ''मेरी नाराजगी स्‍वाभाविक है, पार्टी के उपेक्षात्‍मक रवैये के कारण यह निर्णय लेना पड़ा है और मुझे इसका दुख नहीं है। नाराजगी की वजह जहां बतानी थी, बता दिया।’’
इस्तीफे से भाजपा पर असर के संबंध में सवाल करने पर मौर्य ने कहा, ''मेरे इस्‍तीफे का असर 2022 के विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद आपको नजर आएगा। 10 मार्च को जो भी होगा, आपके सामने होगा।’’
बेटा-बेटी को सपा से टिकट मिलने के सवाल पर उन्‍होंने कहा, ‘‘बात बेटा-बेटी की नहीं, विचारधारा की है। मैं (डॉक्टर भीम राव) आंबेडकर की विचारधारा का हूं और पांच साल तक पीड़ा में भाजपा में कठिन परिस्थितियों में काम किया।’’ उन्‍होंने दावा किया कि अगले एक-दो दिन में भाजपा के और कई विधायक पार्टी का हाथ छोड़ेंगे।

मौर्य के त्यागपत्र के बाद अखिलेश यादव ने मंगलवार को ट्वीट किया, ‘‘सामाजिक न्याय और समता-समानता की लड़ाई लड़ने वाले लोकप्रिय नेता स्वामी प्रसाद मौर्य एवं उनके साथ आने वाले अन्य सभी नेताओं, कार्यकर्ताओं और समर्थकों का सपा में ससम्मान हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन! सामाजिक न्याय का इंकलाब होगा- बाइस में बदलाव होगा।’’
गौरतलब है कि पिछले विधानसभा चुनाव से पहले स्‍वामी प्रसाद मौर्य ने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का विधायक दल का नेता रहते हुए अचानक त्यागपत्र देकर भाजपा का दामन थाम लिया था। मौर्य को भाजपा ने पिछड़ों के प्रमुख नेता के रूप में आगे किया था और मंगलवार को उनके इस कदम से भाजपा के खेमे में खलबली की स्थिति है।

प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने मंगलवार को ट्वीट किया, ‘‘आदरणीय स्‍वामी प्रसाद मौर्य ने किन कारणों से इस्तीफा दिया है मैं नहीं जानता। उनसे अपील है कि बैठकर बातें करें जल्दबाजी में लिए हुए फैसले अकसर गलत साबित होते हैं।''
अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की मौर्य बिरादरी से तात्तुक रखने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य (68) मूल रूप से प्रतापगढ़ जिले के चकबड़ गांव रहने वाले हैं। उन्होंने 1980 में सक्रिय रूप से राजनीति में कदम रखा और लोकदल के नेता के रूप में उनकी पहचान बनी। बाद में जनता दल का गठन होने के बाद वह 1991 से 1995 तक उत्तर प्रदेश में जनता दल के महासचिव पद पर रहे। इसके बाद वह बहुजन समाज पार्टी में शामिल हो गये।

मौर्य पहली बार 1996 में बसपा से डलमऊ (रायबरेली) क्षेत्र से विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए थे और 1997 में मायावती के नेतृत्व वाली भाजपा-बसपा गठबंधन सरकार में खादी ग्रामोद्योग मंत्री बने।

मौर्य 2001 में बसपा विधानमंडल दल के नेता बने। 2002 विधानसभा चुनाव में बसपा के टिकट पर वह दूसरी बार विधायक चुने गये। मायावती ने 2007 में उन्हें विधानपरिषद का सदस्य बनाया और बसपा सरकार में राजस्व मंत्री बने। मौर्य बसपा के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं।

बसपा ने 2009 में पडरौना (कुशीनगर) विधानसभा सीट पर उपचुनाव में मौर्य को उम्मीदवार बनाया और चुनाव जीतने पर उन्हें पंचायती राज मंत्री का पद दिया। 2012 में मौर्य फ‍िर पडरौना से चुनाव जीते और बसपा ने उन्हें विधानसभा में पार्टी का नेता बनाया।

मौर्य ने 22 जून, 2016 को अचानक बसपा प्रमुख मायावती पर गंभीर आरोप लगाते हुए पत्रकार वार्ता में बसपा छोड़ने की घोषणा की और भाजपा में शामिल हो गए।

भाजपा के टिकट पर 2017 में वह पांचवीं बार पडरौना विधानसभा सीट से निर्वाचित हुए और उन्‍हें योगी आदित्यनाथ की सरकार में श्रम एवं सेवायोजन मंत्री बनाया गया। स्‍वामी प्रसाद मौर्य की पुत्री संघमित्रा मौर्य बदायूं से भारतीय जनता पार्टी की सांसद हैं।


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