प्रियंका गांधी ने केंद्र सरकार से पूछा- 2020 में केंद्र ने क्यों बढ़ाया था ऑक्सीजन का निर्यात

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 29 May, 2021 04:07 PM

priyanka gandhi asked the central government  why did the center

देश में वैश्विक महामारी कोविड-19 के दौरान उपजे आक्सीजन संकट के लिए केन्द्र सरकार को जिम्मेदार बताते हुये कांग्रेस महासचिव और उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा ने आरोप लगाया कि पहली लहर एवं दूसरी लहर के बीच मिले समय में योजनाबद्ध ढंग से...

लखनऊः देश में वैश्विक महामारी कोविड-19 के दौरान उपजे आक्सीजन संकट के लिए केन्द्र सरकार को जिम्मेदार बताते हुये कांग्रेस महासचिव और उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा ने आरोप लगाया कि पहली लहर एवं दूसरी लहर के बीच मिले समय में योजनाबद्ध ढंग से तैयारी की होती तो ऑक्सीजन संकट को टाला जा सकता था।

वाड्रा ने अपने सवालों के अभियान ‘जिम्मेदार कौन' के तहत शनिवार को सवाल किया कि वैश्विक महामारी वाले साल यानी 2020 में केन्द्र ने आखिरकार ऑक्सीजन का निर्यात 700 फीसदी तक क्यों बढ़ा दिया जिसके चलते देश के तमाम अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी से लोग तड़प- तड़प कर मर गए। अगर केंद्र सरकार ने पहली लहर एवं दूसरी लहर के बीच मिले समय में योजनाबद्ध ढंग से तैयारी की होती तो ऑक्सीजन संकट को टाला जा सकता था।        

उन्होंने सवाल किया कि मोदी सरकार ने अपने ही एम्पावडर् ग्रुप- 6 की ऑक्सीजन संकट की सलाह को दरकिनार क्यों किया। महामारी की मार के पहले तक ऑक्सीजन को प्राथमिक रूप से औद्योगिक उद्देश्य के लिए इस्तेमाल किया जाता था, इसलिए भारत के पास ऑक्सीजन ट्रांसपोटर् में इस्तेमाल होने वाले विशेष रूप से बनाये गए क्रायोजेनिक टैंकरों की संख्या 1200- 600 थी। कोरोना की पहली लहर एवं दूसरी लहर के बीच मोदी सरकार ने इन टैंकरों की संख्या बढ़ाने या औद्योगिक प्रयोग में आ रही ऑक्सीजन को मेडिकल सुविधाओं में प्रयोग में लाने के लिए आकस्मिक योजना की बारीकियां तैयार करने की दिशा में कोई प्रयास नहीं किया।

कांग्रेस महासचिव ने केंद्र सरकार से पूछा ‘‘ आपके पास एक साल था। आखिर क्यों सरकार ने कोरोना की दूसरी लहर का अंदाजा होने के बावजूद ऑक्सीजन ट्रांसपोर्ट के लिए इस्तेमाल होने वाले क्रायोजेनिक टैंकरों की संख्या बढ़ाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया।'' उन्होंने कहा कि भारत ऑक्सीजन का सबसे बड़ा ऑक्सीजन उत्पादक देश है, लेकिन केंद्र सरकार की लापरवाही के चलते कोरोना की दूसरी लहर के समय ऑक्सीजन संकट खड़ा हुआ और लोगों की जानें गईं। केंद्र सरकार ने 150 ऑक्सीजन प्लांट चालू करने के लिए बोली लगाई थी, लेकिन उनमें से ज्यादातर प्लांट अभी भी चालू नहीं हो सके हैं।   

वाड्रा ने कहा कि इस संकट काल में भी मोदी सरकार ने लोगों की जेब काटने में कोई कसर नहीं छोड़ी। संसद की स्वास्थ्य मामलों की स्थाई समिति ने सरकार को पहले ही सुझाया था कि केंद्र सरकार को ऑक्सीजन सिलेंडर के दाम नियंत्रित करने के प्रयास करने होंगे, लेकिन ऑक्सीजन सिलेंडर की कीमत पिछले साल 4000 रू थी वहीँ एक साल में बढ़कर 7000 रू हो गई। पेट्रोल डीजल के बढ़ते दामों के चलते एक ऑक्सीजन सिलेंडर रिफिल कराने की कीमत एक साल में 500 रू से बढ़कर 2000 रू हो गई। प्रियंका गाँधी ने कहा कि राज्यों के मुख्यमंत्री ऑक्सीजन की कमी प्रधानमन्त्री को बताते रहे। केंद्र सरकार अपनी गलती न मानकर न्यायालयों में राज्य सरकारों की ऑक्सीजन मांग का कोटा कम करने को लेकर लड़ाई लड़ने लगी। वास्तव में हमारे देश में ऑक्सीजन की कमी नहीं थी। 


 

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