अयोध्या में विपक्षी दल उठा रहे रोजगार और विकास का मुद्दा, बन सकता है बहुकोणीय मुकाबला

Edited By Ramkesh,Updated: 25 Feb, 2022 07:09 PM

opposition parties are raising the issue of employment and development in

राम मंदिर निर्माण का मुद्दा इस बार के विधानसभा चुनाव में प्रमुख मुद्दों में न होकर अन्य मुद्दों में से एक प्रतीत हो रहा है और इसकी वजह यह है कि विपक्षी दल अब विकास और रोजगार के मुद्दों को उठा रहे हैं।

अयोध्या: राम मंदिर निर्माण का मुद्दा इस बार के विधानसभा चुनाव में प्रमुख मुद्दों में न होकर अन्य मुद्दों में से एक प्रतीत हो रहा है और इसकी वजह यह है कि विपक्षी दल अब विकास और रोजगार के मुद्दों को उठा रहे हैं। अयोध्या विधानसभा क्षेत्र में दस उम्मीदवार मैदान में हैं और यहां 27 मार्च को मतदान होगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अयोध्या से चुनाव लड़ने की चर्चा थमने और गोरखपुर से उम्मीदवार घोषित होने के बाद भाजपा ने अयोध्या के मौजूदा विधायक वेद प्रकाश गुप्ता पर ही भरोसा जताया है जबकि समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने पूर्व मंत्री तेज नारायण उर्फ पवन पांडे को मैदान में उतारा है। इस मुकाबले को बहुकोणीय बनाने के लिए बसपा, कांग्रेस और आप ने भी अपने प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है।

अयोध्या में भारतीय जनता पार्टी और राज्‍य की मुख्‍य विपक्षी समाजवादी पार्टी के बीच करीबी मुकाबला दिख रहा है। अयोध्या के हनुमानगढ़ी मंदिर के महंत राजू दास ने बताया, ‘‘जहां तक अयोध्या में राम मंदिर के मुद्दे का सवाल है तो भाजपा शुरू में इस चुनाव में इसका अधिकतम लाभ नहीं उठा पाई थी लेकिन तीसरे चरण के बाद ही यह मुद्दा उठना शुरू हो गया था।'' उन्होंने कहा, ‘‘गरीबों को दिए जाने वाले राशन से ग्रामीण इलाकों में लोगों को फायदा हुआ है।'' अयोध्या विधानसभा क्षेत्र से सपा प्रत्याशी तेज नारायण उर्फ पवन पांडेय ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘भगवान राम और राम मंदिर भाजपा की जागीर नहीं है। प्रभु श्री राम हम सब के हैं। जब भाजपा नहीं थी उससे बहुत पहले से भगवान राम अस्तित्व में थे।'' यह पूछे जाने पर कि क्या मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अयोध्या विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार नहीं बनाये जाने के बाद उन्होंने राहत की सांस ली है, पांडे ने कहा, ‘‘इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, अयोध्‍या में भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उम्मीदवार बना दिया जाए, पूरी भाजपा तो भगवान राम के नाम पर ही वोट मांगती है, क्योंकि उनके पास कोई और मुद्दा नहीं है। इसलिए योगी आदित्‍यनाथ आते या नरेंद्र मोदी इससे शायद ही कोई फर्क पड़ता।''

 गौरतलब है कि लखनऊ विश्वविद्यालय की छात्र राजनीति से उभरे तेज नारायण पांडे ने 2012 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के स्थानीय दिग्गज और अयोध्या से वर्तमान सांसद लल्लू सिंह को हरा दिया था। हालांकि पांडेय 2017 में गुप्ता से हार गए थे। पांडे ने कहा ,‘‘भाजपा ने किसानों का शोषण किया है, व्यापारियों को परेशान किया है और अयोध्या नगर निगम ने भी कर में काफी वृद्धि की है।'' कर वृद्धि वापस लेने के वादे के साथ पांडे ने कहा कि अयोध्या और यहां के लोगों को प्रगति करनी चाहिए। इस बीच, अयोध्या से भाजपा उम्मीदवार वेद प्रकाश गुप्ता ने यह पूछे जाने पर कि कुछ लोग उनसे नाराज हैं और उनके प्रति उदासीनता महसूस कर रहे हैं, गुप्ता ने से कहा,‘‘आप राजनीति में प्रत्येक व्यक्ति को संतुष्ट नहीं कर सकते, मैं अपने परिवार को संतुष्ट नहीं कर पाया, हालांकि, मैं कह सकता हूं कि लोगों के लिए काम किया गया है और विकास भी हुआ है, योगी ने तो अयोध्या का बहुत विकास किया है।'' आकलन है कि सपा ने यहां ब्राह्मण उम्मीदवार मैदान में उतारकर योगी सरकार से सवर्णों खासकर ब्राह्मणों की कथित नाराजगी का फायदा उठाने की कोशिश की है। अयोध्या क्षेत्र में कुल लगभग 3.81 लाख मतदाताओं में से ब्राह्मणों की संख्या 62,000 से अधिक है जबकि वैश्य मतदाताओं की संख्या 51,000, मुस्लिमों की संख्या 55,000 और यादव मतदाताओं की संख्या 37,000 है। अयोध्या के राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद में एक स्वतंत्र वादी रहे इकबाल अंसारी के पुत्र मोहम्‍मद हाशिम अंसारी ने  कहा ,‘‘लोग अब विकास और नौकरी चाहते हैं।

 अयोध्या के लोग अब 'मंदिर-मस्जिद मुद्दे' से दूर जा रहे हैं और वे अब विकास और केवल विकास के बारे में बात कर रहे हैं।'' एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि ''उच्चतम न्यायालय को अपना फैसला दिए दो साल हो चुके हैं। हालांकि, कुछ लोग मंदिर-मस्जिद को एक चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश करते हैं।'' अंसारी ने कहा कि मंदिर-मस्जिद इस चुनाव में एक मुद्दा हो सकता है लेकिन चुनावी मुद्दों में सबसे बड़ा नहीं है। बसपा के उम्मीदवार रवि प्रकाश ने कहा कि इस चुनाव में मुख्य मुद्दे रोजगार और विकास हैं। आम आदमी पार्टी के शुभम श्रीवास्तव ने रोजगार और विकास के मुद्दे पर ही जोर दिया। अयोध्या के महापौर ऋषिकेश उपाध्याय से जब पूछा गया कि क्या राम मंदिर एक चुनावी मुद्दा है तो उन्होंने कहा, ‘राम मंदिर कभी चुनावी मुद्दा नहीं था (हमारे लिए), यह हमारे लिए आस्था का विषय है।'

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