कोरोना से मौत पर मुआवजा देने वाली याचिका खारिज, HC ने कहा- याचिका सुनवाई लायक नहीं

Edited By Anil Kapoor,Updated: 30 Apr, 2021 10:26 AM

on death from corona compensation petition dismissed

इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने कोरोना से लोगों के बचाव और मौत पर मुआवजा देने के आग्रह वाली जनहित याचिका (पीआईएल) को सुनवाई लायक नहीं होने वाली करार देकर खारिज कर दिया। सुनवाई के समय सरकारी वकील ने आपत्ति उठाई कि इस मामले में स्वयं संज्ञान...

लखनऊ: इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने कोरोना से लोगों के बचाव और मौत पर मुआवजा देने के आग्रह वाली जनहित याचिका (पीआईएल) को सुनवाई लायक नहीं होने वाली करार देकर खारिज कर दिया। सुनवाई के समय सरकारी वकील ने आपत्ति उठाई कि इस मामले में स्वयं संज्ञान लेकर कायम अन्य पीआईएल पर 27 अप्रैल को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार समेत अन्य पक्षकारों को विस्तृत आदेश व निर्देश जारी किए हैं, लिहाजा यह याचिका ग्राह्य नहीं है। इसपर कोर्ट ने इस आदेश व निर्देशों का हवाला देकर मौजूदा याचिका को पोषणीय न होने के आधार पर इसमें दखल देने से इन्कार कर खारिज कर दिया। हालांकि, कोर्ट ने कहा कि याची अगर चाहे तो अपनी व्यथा को स्वयं संज्ञान वाली पीआईएल में अर्जी देकर, रखकर राहत मांग सकता है।

न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायामूर्ति राजीव सिंह की खंडपीठ ने बुधवार को याचिका पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई के बाद यह फैसला पाल सिंह यादव की पीआईएल पर सुनाया। याची ने याचिका में कोरोना से हो रही अचानक मौतों से लोगों की हिफाजत करने व इसके जिम्मेदारों के खिलाफ मुकदमा चलाने के निर्देश केंद्र व यूपी सरकार को देने की गुजारिश की थी। साथ ही अस्पताल, बेड व दवाईयों जैसी अन्य चिकित्सा सहूलियतें भी मरीजों को तुरंत मुहैया कराने का आग्रह किया था। याची ने लखनऊ में लाकडाऊन लगाने समेत कथित लापरवाही से कोरोना के मृतकों के परिजनों को मुआवजा दिलाने की भी गुजारिश की थी।

उधर, याचिका का विरोध करते हुए सरकारी वकील ने आपत्ति उठाई कि इस मामले में स्वयं संज्ञान लेकर कायम एक अन्य पीआईएल पर 27 अप्रैल को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार समेत अन्य पक्षकारों को विस्तृत आदेश व निर्देश जारी किए हैं, लिहाजा यह याचिका ग्राह्य नहीं है और खारिज किए जाने लायक है। कोर्ट ने स्वयं संज्ञान लेकर कायम अन्य पीआईएल पर 27 अप्रैल को दिए गए आदेश व निर्देशों का हवाला देकर कहा कि इसके मद्देनजर यह याचिका दखल देने लायक नहीं है और इस आधार पर इसे खारिज किया जाता है।

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