UP Chunav 2022: मिर्जापुर में पांच दशक बाद चुनावी मैदान में नहीं है ‘औरंगाबाद हाउस’ का कोई प्रत्याशी

Edited By Mamta Yadav,Updated: 18 Feb, 2022 03:44 PM

no candidate of  aurangabad house  is in mirzapur after five decades

उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में विधानसभा चुनावों के लिए नामांकन प्रक्रिया पूरी होने के बाद चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों की चर्चा होने से ज्यादा लोगबाग एक जमाने में दिग्गज कांग्रेसी नेता कमला पति त्रिपाठी के परिवार से किसी के चुनाव न लड़ने के विषय पर...

मिर्जापुर: उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में विधानसभा चुनावों के लिए नामांकन प्रक्रिया पूरी होने के बाद चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों की चर्चा होने से ज्यादा लोगबाग एक जमाने में दिग्गज कांग्रेसी नेता कमला पति त्रिपाठी के परिवार से किसी के चुनाव न लड़ने के विषय पर बात करना पसंद कर रहे है। मिर्जापुर की राजनीति में पांच दशक के बाद ऐसा पहली बार हुआ है जब जिले की राजनीति में दखल रखने वाले इस परिवार का कोई भी सदस्य उम्मीदवार नही है। कांग्रेस के शुरूआती काल से पूर्वांचल की राजनीति औरंगाबाद हाउस (कमलापति त्रिपाठी का निवास) के ईद -गिर्द घूमती थी। भले ही औरंगाबाद हाउस वाराणसी में स्थित है पर इस परिवार ने विधान सभा चुनावी राजनीति के लिए मिर्जापुर जिले को अपनी कर्मस्थलीय के रूप में चयन किया।      

पिछले पांच दशक से लगभग सभी चुनाव में इस परिवार का कोई न कोई सदस्य कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में रहा है मगर इस बार ऐसा नहीं है। इस परिवार की चौथी पीढ़ी के ललितेश पति त्रिपाठी ने 2019 कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में अंतिम बार चुनाव लड़ा था। ललितेश के बाबा लोकपति त्रिपाठी (कमलापति त्रिपाठी के पुत्र) ने 1967 में राजगढ़ क्षेत्र से विधान सभा चुनाव लड़ने का सफर शुरू किया था जिस पर अबकी बार विराम लग गया है। इस बार इस परिवार का कोई भी प्रत्याशी चुनावी मैदान में नही है।      

 हालांकि इस दौरान जीत भी हुयी तो उससे ज्यादा हार भी हिस्से में आया। पर परिवार, चुनावी जंग से कभी नही हटा था। लोकपति त्रिपाठी छह बार विधायक रहे। मिर्जापुर जिले के राजगढ़ विधान सभा सीट से चार बार तथा दो बार मझवां विधान सभा सीट का प्रतिनिधित्व किया था। उनके पुत्र राजेशपति त्रिपाठी के हिस्से एक बार स्थानीय निकाय क्षेत्र से विधान परिषद की जीत आयी वहीं चार बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा। राजेशपति त्रिपाठी के पुत्र ललितेश ने 2012 में मड़िहान विधान सभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में विजय हासिल करके सबको चौंका दिया था।      

एक बार फिर औरंगाबाद हाउस में प्रकाश दिखने की बलवति हो गयी थी। पर 2014 और 2019 लोक सभा तथा 2012 और 2017 की विधान सभा की हार ने कमलापति त्रिपाठी के परिवार का कांग्रेस से मोह भंग हो गया। अब पिता, पुत्र (राजेश और ललितेश) तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गये हैं। राजनीति के जानकार दोनो के इस कदम से भौचक्का रह गये हैं। आम विधान सभा चुनाव 2022 में ललितेश का मड़िहान विधान सभा सीट से सपा ने टिकट फाइनल कर दिया था। अचानक चुनावी मैदान से हटने की घोषणा कर फिर सब को चौका दिया।

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