अब मुलायम के ‘यादव’ वोट बैंक पर BJP की नजर

Edited By Punjab Kesari,Updated: 31 Jul, 2017 12:17 PM

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भाजपा की पैनी नजर दलित वोटों के बाद अब पिछड़ों खासकर मुलायम सिंह यादव के कट्टर समर्थक माने जाने वाले ‘यादव’ वोटों पर है।

लखनऊ: भाजपा की पैनी नजर दलित वोटों के बाद अब पिछड़ों खासकर मुलायम सिंह यादव के कट्टर समर्थक माने जाने वाले ‘यादव’ वोटों पर है। राजनीतिक प्रेक्षक मान रहे हैं कि 3 दिन के दौरे पर लखनऊ आए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने अपने प्रवास के दूसरे दिन इसी वजह से पार्टी के बूथ लैवल कार्यकर्त्ता सोनू यादव के यहां  दोपहर का भोजन किया।

प्रदेश के पिछड़े वर्ग के मतदाताओं में सर्वाधिक संख्या यादव की है। इस पर काफी दिनों से भाजपा की नजर है और शायद इसीलिए 2017 के राज्य विधानसभा चुनाव में पार्टी के वरिष्ठ नेता भूपेन्द्र यादव को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई थी। उल्लेखनीय है कि केशव प्रसाद मौर्य को प्रदेश की कमान सौंपकर भाजपा ने पिछड़े वर्ग के कुशवाहा मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने में सफलता पाई थी। स्वामी प्रसाद मौर्य के भाजपा में शामिल होने के बाद इस जाति के मतदाताओं ने भाजपा से अपने को और जोड़ा।

इस मामले पर भाजपा ने अपनी सफाई में कहा कि पार्टी जातिवाद में विश्वास नहीं करती। पार्टी के प्रदेश महामंत्री विजय बहादुर पाठक का दावा है कि सोनू यादव 
पार्टी के सक्रिय कार्यकर्त्ता हैं, पदाधिकारी हैं और इसीलिए शाह, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और पार्टी के कुछ और नेता सोनू यादव के यहां खाना खाने गए थे।

मुलायम ने किसी नेता को नहीं होने दिया मजबूत
मुलायम सिंह यादव ने अपनी बिरादरी के किसी नेता को राज्य में मजबूत नहीं होने दिया। मित्रसेन यादव, रामसुमेर यादव, बलराम यादव अपनी जातियों के बड़े नेताओं में गिने जाते थे लेकिन मुलायम सिंह यादव ने धीरे-धीरे अपनी जाति का वटवृक्ष बनकर सभी को बौना कर दिया। आजमगढ़ में रमाकांत यादव कई बार सांसद चुने गए। उनकी राजनीतिक कद काठी बढ़ती जा रही थी। बिरादरी में बड़े नेता के रूप में उभर रहे थे। मुलायम सिंह यादव ने 2014 में मैनपुरी छोड़ आजमगढ़ से लोकसभा का चुनाव लड़ा और रमाकांत को हराया। हार की वजह से लगातार आगे बढ़ रहे रमाकांत की तेजी में ब्रेक लगा। भाजपा उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़े रमाकांत यादव को अभी भी इसकी टीस है।

अपनी पार्टी के वोट बैंक में लगातार इजाफा करने में जुटे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सबसे पहले भाजपा के पारम्परिक वोटों में दलितों को जोड़ना शुरू किया। दलितों के आदर्श बाबा साहब भीमराव अम्बेदकर से जुड़े 5 स्थानों को ‘पंचतीर्थस्थल’ घोषित कर उनका विकास करवाया। संत रविदास की जन्मस्थली वाराणसी में जाकर कई घंटे गुजारे। संत रविदास की जन्मस्थली पर जाने वाले वह पहले प्रधानमंत्री थे। इसके बाद दलित वर्ग से आने वाले रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति बनवाया। कोविंद दूसरे दलित राष्ट्रपति हैं।

क्या है इतिहास
भाजपा को 2012 के राज्य विधानसभा चुनाव में 15 फीसदी वोट मिले थे। वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में यह वोट प्रतिशत 24.6 था। वर्ष 2012 में पार्टी का करीब 8 फीसदी वोट घटा क्योंकि पिछड़ों ने एकजुट होकर सपा को वोट देकर 2012 में उसकी सरकार बनवाई थी। नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में 2014 में लोकसभा चुनाव लड़ी भाजपा को 31 प्रतिशत वोट हासिल हुए और केन्द्र में उसने सरकार बनाई, जबकि वर्ष 2017 में हुए  विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 41.4 प्रतिशत वोट हासिल किए।

जातिगत गणित (प्रतिशत में)
कुल पिछड़े मतदाता                 -44  
यादव बिरादरी के कुल मतदाता    -09  
लोधी बिरादरी के कुल मतदाता     -07  
जाट बिरादरी के कुल मतदाता     -1.7  
कुशवाहा बिरादरी के कुल मतदाता   -04 
कुर्मी बिरादरी के कुल मतदाता     -04 

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