लोकसभा चुनाव 2024: पीलीभीत से 35 साल बाद खत्म हुई मेनका-वरुण की दावेदारी

Edited By Ajay kumar,Updated: 28 Mar, 2024 05:24 PM

maneka varun s candidature from pilibhit ends after 35 years

लोकसभा चुनाव के पहले चरण के नामांकन दाखिल करने के आखिरी दिन पीलीभीत के मौजूदा सांसद वरुण गांधी नहीं पहुंचे, जिससे उन सभी अटकलों पर विराम लग गया कि पार्टी द्वारा टिकट नहीं दिए जाने के बाद वह निर्दलीय मैदान में उतर सकते हैं।

पीलीभीत: लोकसभा चुनाव के पहले चरण के नामांकन दाखिल करने के आखिरी दिन पीलीभीत के मौजूदा सांसद वरुण गांधी नहीं पहुंचे, जिससे उन सभी अटकलों पर विराम लग गया कि पार्टी द्वारा टिकट नहीं दिए जाने के बाद वह निर्दलीय मैदान में उतर सकते हैं। सभी की निगाहें वरुण गांधी के अगले कदम पर लगी थी। पिछले सप्ताह उनके प्रतिनिधि द्वारा नामांकन पत्र खरीदे जाने के बाद चर्चा तेज हो गई थी।

1989 से लगातार इस सीट से चुनाव लड़ते आ रहे हैं मेनका-वरुण
पार्टी ने वरुण गांधी की जगह राज्य सरकार के मंत्री जितिन प्रसाद को पीलीभीत सीट से उम्मीदवार बनाया है। 35 सालों में यह पहला मौका है जब मां-बेटे की जोड़ी राज्य के तराई क्षेत्र के पीलीभीत निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव मैदान में नहीं होगी। मेनका गांधी या फिर वरुण 1989 से लगातार इस सीट से चुनाव लड़ते आ रहे हैं, लेकिन इस बार दोनों में से कोई भी यहां से मैदान में नहीं है।

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पीलीभीत सीट पर 35 साल से रहा गांधी परिवार का वर्चस्व
किसानों, स्वास्थ्य और नौकरियों के मुद्दों पर कई बार भाजपा की आलोचना करने वाले वरुण गांधी को इस बार पार्टी ने टिकट नहीं दिया। पीलीभीत लोकसभा सीट पर 35 साल से गांधी परिवार (मेनका गांधी-वरुण गांधी) का वर्चस्व रहा है। 1989 से 2019 तक नौ चुनावों में सिर्फ एक बार हार का का मुंह देखना पड़ा था। 1989 में मेनका गांधी ने जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़ा और कांग्रेस सांसद भानु प्रताप सिंह को हराया था। 1991 में राम लहर के बीच भाजपा के परशुराम गंगवार ने जीत दर्ज की। 1996 में मेनका ने जनता दल से लड़कर भाजपा के परशुराम गंगवार को शिकस्त दी। 1998 व 1999 में मेनका गांधी ने स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीता। 2004 में मेनका ने भाजपा के टिकट पर सपा के सत्यपाल गंगवार को हराया। 2009 में इस सीट से वरुण गांधी चुनाव मैदान में उतरे। यह उनका पहला चुनाव था। वरुण ने कांग्रेस के वीएम सिंह को हराया। 2014 में इस सीट पर मेनका गांधी की वापसी हुई। मेनका ने सपा के बुद्धसेन वर्मा को हराया। 2019 में वरुण पीलीभीत लौटे। इस बार वरुण गांधी के तेवर अपनी ही सरकार को कई बार असहज कर गए। वह जब भी पीलीभीत आए सरकार की योजनाओं को नकारते ही रहे। इस बार उनका टिकट काटकर पीडब्ल्यूडी मंत्री जितिन प्रसाद को प्रत्याशी घोषित कर दिया। 27 मार्च को भाजपा प्रत्याशी जितिन प्रसाद ने शीर्ष नेताओं की मौजूदगी में नामांकन किया।

वरुण को नई जिम्मेदारी देने की चर्चा
भाजपा उम्मीदवार जितिन प्रसाद के नामांकन दाखिल करने के बाद एक रैली को संबोधित करते हुए, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी ने कहा, वरुण गांधी एक वरिष्ठ नेता हैं और पार्टी जल्द ही उन्हें कोई जिम्मेदारी देगी। रैली में मौजूद स्वतंत्र देव सिंह ने कहा, वरुण गांधी हमारे नेता हैं और पार्टी उनका इस्तेमाल किसी और जगह करेगी।

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