24 का महासंग्रामः महिला सांसद के लिए तरस रहीं सूबे की 34 सीटें, क्या इस बार बनेगा नया रिकार्ड

Edited By Ajay kumar,Updated: 30 Mar, 2024 08:05 PM

mahasangram of 24 34 seats of the state yearning for a woman mp

लोकसभा में सबसे ज्यादा 80 सीटें रखने वाले उत्तर प्रदेश के लिए कहा जाता है कि दिल्ली का रास्ता यूपी से होकर जाता है, महिलाओं का लोकसभा में प्रतिनिधित्व भी बढ़ रहा है। भाजपा ने हाल ही में नारी वंदन बिल पास करके इस आधी आबादी की आवाज बुलंद करने के काम...

कानपुर: लोकसभा में सबसे ज्यादा 80 सीटें रखने वाले उत्तर प्रदेश के लिए कहा जाता है कि दिल्ली का रास्ता यूपी से होकर जाता है, महिलाओं का लोकसभा में प्रतिनिधित्व भी बढ़ रहा है। भाजपा ने हाल ही में नारी वंदन बिल पास करके इस आधी आबादी की आवाज बुलंद करने के काम को आगे बढ़ाया है। लेकिन प्रदेश में 34 लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जिन पर आज तक कोई महिला प्रत्याशी सांसद नहीं चुनी गई है। ऐसा नहीं है कि इन लोकसभा सीटों पर राजनीतिक दलों ने महिलाओं को टिकट नहीं दिया। लेकिन जो भी महिला उम्मीदवार चुनाव लड़ीं उन्हें हार का ही सामना करना पड़ा।

इन 34 सीटों पर महिलाएं प्रतिनिधित्व से वंचित
महिलाओं के प्रतिनिधित्व से वंचित सीटों में मुरादाबाद, आगरा, सहारनपुर, अमरोहा, बुलंदशहर, एटा, बागपत, गोरखपुर, बलिया, अकबरपुर, बस्ती, भदोही, देवरिया, फैजाबाद, फर्रुखाबाद, फिरोजाबाद, गाजियाबाद, गौतम बुद्ध नगर, गाजीपुर, घोसी, हमीरपुर, जालौन, जौनपुर, कौशांबी, कुशीनगर, मछली शहर, मुजफ्फरनगर, नगीना, रॉबर्ट्सगंज, सलेमपुर, श्रावस्ती, संत कबीर नगर, वाराणसी, डुमरियागंज लोकसभा सीटें शामिल हैं।

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कानपुर-बुंदेलखंड में दो महिला प्रत्याशी
कानपुर-बुंदेलखंड को वीरांगनाओं की धरती कहा जाता है। वीरांगना लक्ष्मीबाई, अजीजन बाई, मैनावती, आजाद हिंद फौज की सेनानी लक्ष्मी सहगल जैसे तमाम नाम इस इलाके में आज भी शौर्य के प्रतिमान हैं। लेकिन महिलाओं की नेतृत्व क्षमता को आगे बढ़ाने में राजनीतिक दलों ने कभी बड़ी दिलचस्पी नहीं दिखाई। यहां तक कि नारी शक्ति वंदन बिल पारित होने के बाद होने जा रहे लोकसभा चुनाव में अभी तक महिलाओं को प्रतिनिधित्व देने में सभी दल पुराने ढर्रे पर ही नजर आ रहे हैं।

इस क्षेत्र से नौ महिलाएं ही बन चुकी हैं सांसद
कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्र की 10 लोकसभा सीटें आती हैं। भाजपा सभी सीटों पर पार्टी प्रत्याशी घोषित कर चुकी है। लेकिन महिला प्रतिनिधित्व की बात करें तो फतेहपुर से साध्वी निरंजन ज्योति को ही टिकट मिला है। गठबंधन में सपा ने जो टिकट दिए हैं, उनमें उन्नाव से अन्नू टंडन का ही नाम सामने आया है। कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्र का राजनैतिक इतिहास देखें तो भाजपा, कांग्रेस, सपा और बसपा जैसे सभी प्रमुख दल महिलाओं को लोकसभा प्रत्याशी बनाने में हिचकते ही रहे हैं। यही वजह है कि वर्ष 1952 से अब तक इस क्षेत्र से नौ महिलाएं सावित्री निगम, सुशीला रोहतगी, शीला दीक्षित, अन्नू टंडन (सभी कांग्रेस), सुखदा मिश्रा, साध्वी निरंजन ज्योति, कमल रानी वरुण (सभी भाजपा), सुभाषिनी अली (माकपा), डिंपल यादव (सपा) ही संसद में पहुंच सकी हैं।

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