Loksabha Election 2024: मैनपुरी लोकसभा सीट का इतिहास, कब किसने किसको हराया ?

Edited By Imran,Updated: 31 Mar, 2024 01:17 PM

loksabha election 2024 history of mainpuri lok sabha seat

मैनपुरी लोकसभा सीट समाजवादियों के अभेद्द किले के रूप में जानी जाती है। इस सीट पर दशकों से समाजवादी पार्टी का ही कब्जा है। मुलायम सिंह यादव, धर्मेंद्र यादव, तेज प्रताप यादव यहां से सांसद रह चुके हैं। आज़ादी के बाद 1952 से लेकर 1971 तक कांग्रेस के पास...

Loksabha Election 2024: मैनपुरी लोकसभा सीट समाजवादियों के अभेद्द किले के रूप में जानी जाती है। इस सीट पर दशकों से समाजवादी पार्टी का ही कब्जा है। मुलायम सिंह यादव, धर्मेंद्र यादव, तेज प्रताप यादव यहां से सांसद रह चुके हैं। आज़ादी के बाद 1952 से लेकर 1971 तक कांग्रेस के पास ये सीट रही। उसके बाद जनता दल ने इस सीट को जीता। यह जीत महज एक साल ही रही। क्योंकि 1978 में हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने इस सीट पर दुबारा जीत हासिल की। यह सीट 1980 में जनता दल के पास गई, लेकिन 1984 की कांग्रेस लहर में दोबारा यह सीट कांग्रेस के खाते में आई। उसके बाद से इस सीट पर समाजवादियों का कब्जा हो गया। 1989 और 1991 में यहां लगातार जनता पार्टी ने जीत तो दर्ज की लेकिन 1992 में पार्टी गठन करने के बाद मुलायम सिंह यादव ने यहां से 1996 का चुनाव यहां से लड़ा और बड़े अंतर से जीता।
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 उसके बाद 1998, 1999 में भी ये सीट समाजवादी पार्टी के पास ही रही। 2004 में मुलायम ने एक बार फिर इस सीट पर वापसी की, लेकिन बाद में सीट को छोड़ दिया। 2004 में धर्मेंद्र यादव यहां से उपचुनाव में जीते। 2009 के चुनाव में मुलायम यहां दोबारा लौटे और सीट को अपने पास ही रखा।  2014 के चुनाव में भी मुलायम ने यहां से जीत दर्ज किया। लेकिन उन्होने 2014 में आज़मगढ़ सीट से भी चुनाव लड़ा था। इसलिए वो मैनपुरी सीट अपने पोते तेज प्रताप को दे दी। उपचुनाव में तेज प्रताप यादव यहां से जीते। 2019 में फिर मुलायम सिंह यादव ने इस सीट से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। 2022 में मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद एक बार सीट पर उपचुनाव हुए,जिसमें डिंपल यादव ने जीत दर्ज की।

मैनपुरी लोकसभा सीट के अंतर्गत 5 विधानसभा 
मैनपुरी लोकसभा सीट के अंतर्गत 5 विधानसभा सीटें आती है। जिसमें एक सीट इटावा की जसवंत नगर है। बाकी 4 सीटें  मैनपुरी, भोगांव, किशनी, करहल मैनपुरी जिले में आती हैं।
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2022 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी को सिर्फ भोगांव सीट और मैनपुरी सीट जीत मिली। बाकी तीनों सीटें समाजवादी पार्टी के खाते में चली गई। वहीं बात करें 2022 में हुए लोकसभा उपचुनाव चुनाव कि तो इस सीट पर सपा की डिंपल यादव ने बीजेपी के रघुराज शाक्य को 2 लाख 88 हजार 461 वोटों के बड़े अंतर से हराया था।

मैनपुरी लोकसभा सीट पर मतदाताओं की संख्या
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मैनपुरी लोकसभा सीट पर मतदाताओं की संख्या की बात करें तो। 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में मैनपुरी सीट पर कुल 17 लाख 2 हज़ार 320 वोटरों ने अपने मत का प्रयोग किया था। जिनमें पुरूष मतदाताओं की संख्या 9 लाख 20 हज़ार 70  थी, जबकि महिला वोटरों की संख्या 7 लाख 82 हज़ार 192  और ट्रांस जेंडर वोटरों की संख्या 58 थी।

एक नजर 2019 में हुए लोकसभा चुनाव के मतदाताओं की संख्या
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मैनपुरी लोकसभा सीट पर मतदाताओं की संख्या की बात करें तो 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में मैनपुरी सीट पर कुल 17 लाख 2 हज़ार 320 वोटरों ने अपने मत का प्रयोग किया था। जिनमें पुरूष मतदाताओं की संख्या 9 लाख 20 हज़ार 70  थी, जबकि महिला वोटरों की संख्या 7 लाख 82 हज़ार 192  और ट्रांस जेंडर वोटरों की संख्या 58 थी।

एक नजर 2014 में हुए लोकसभा चुनाव के मतदाताओं की संख्या
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मैनपुरी लोकसभा सीट पर 2014 में हुए चुनाव पर नज़र डालें तो इस सीट पर मुलायम सिंह यादव ने कब्जा जामाया था। मुलायम सिंह यादव ने बीजेपी के शत्रुघन सिंह चौहान को 3 लाख से ज्यादा वोटों से हराया था। मुलायम सिंह को 5 लाख 95 हज़ार 918 वोट मिले थे। जबकि बीजेपी के शत्रुघन सिंह चौहान को 2 लाख 31 हज़ार 252 वोट मिले थे। वहीं तीसरे नंबर पर बसपा के संघमित्रा मौर्य थे। जिन्हे 1 लाख 42 हज़ार 833 वोट मिले थे। इसके बाद उपचुनाव भी हुए थे। क्यों कि मुलायम सिंह यादव ने 2 सीटों से चुनाव लड़ा था और वो दोनों सीटों से चुनाव जीते थे।

2009  में हुए लोकसभा चुनाव के मतदाताओं की संख्या
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2009 में मैनपुरी लोकसभा सीट पर हुए चुनाव में समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने ही जीत दर्ज की थी। मुलायम सिंह यादव ने बसपा के विनय शॉक्य को हराया था। 2009 में मुलायम सिंह यादव को कुल 3 लाख 92 हज़ार 308 वोट मिले थे। जबकि विनय शाक्य को 2 लाख 19 हज़ार 239 वोट मिले थे। वहीं तीसरे नंबर पर बीजेपी की तृप्ति शाक्य रही। तृप्ति को महज़ 56 हज़ार 265 वोट मिले थे।

2004 में हुए लोकसभा चुनाव के मतदाताओं की संख्या
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बात करें 2004 लोकसभा में हुए चुनाव कि तो मैनपुरी सीट पर 2004 में भी मुलायम सिंह यादव ने ही जीत दर्ज कि थी, लेकिन जीत दर्ज करने के बाद मुलायम सिंह ने अपने भतीजे धर्मेंद्र यादव के लिए ये सीट छोड़ दी थी। मुलायम सिंह यादव को 4 लाख 60 हज़ार 470 वोट मिले थे। जबकि दूसरे नंबर पर बसपा के अशोक शाक्य थे अशोक को 1 लाख 22 हज़ार 600 वोट मिले थे। वहीं तीसरे नंबर पर बीजेपी के बलराम सिंह यादव थे..बलराम सिंह को 1 लाख 11 हज़ार 153 वोट मिले थे। इस सीट पर दुबारा उपचुनाव हुआ उपचुनाव में धर्मेंद्र यादव ने जीत दर्ज की।

मुलायम सिंह यादव परिवार का दबदबा रहा 
मैनपुरी सीट के जातीगत समीकरण के देखें तो यहां पर इसका कोई खास फर्क नहीं पड़ता है क्योंकि यहां पर लंबे समय से मुलायम सिंह यादव परिवार का दबदबा रहा है। बीजेपी यहां पर अब तक खाता नहीं खोल सकी है. जबकि कांग्रेस को 40 साल से यहां पर अपनी पहली जीत का इंतजार है. फिलहाल मैनपुरी संसदीय सीट पर पिछड़े वोटरों की संख्या ज्यादा है.। पिछड़े वर्ग के वोटरों में यादव बिरादरी के वोटर्स की संख्या सबसे अधिक है और 2019 के चुनाव में करीब 4 लाख वोटर्स थे। मैनपुरी सीट पर शाक्य वोटर्स भी मजबूत स्थिति में माने जाते हैं. इनके अलावा ठाकुर, ब्राह्मण, जाटव और लोधी राजपूत वोटर्स यहां के चुनाव में अपनी अहम भूमिका निभाते रहे हैं.वहीं, अगर मुस्लिम वोटरों की संख्या की बात करें... तो इस सीट पर 2019 के लोकसभा चुनाव में मुस्लिम वोटर्स की संख्या एक लाख से ज्यादा थी।

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