विधायक की पाठशाला! स्वामी प्रसाद मौर्य को हराने वाले MLA ने वेतन छोड़ा, लोग हुए मुरीद

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 28 Jul, 2022 02:16 PM

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कुशीनगर: विधायक बनने के बाद अमूमन नेताओं का रहन सहन और तौर तरीका बदल जाता है, खासकर यूपी बिहार में ये चलन आम है... लेकिन कभी- कभी भीड़ में कुछ चेहरे अपनी अलग छाप छोड़ जाते हैं। समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता स्वामी प्रसाद मौर्य को जमीन दिखाने वाले...

कुशीनगर: विधायक बनने के बाद अमूमन नेताओं का रहन सहन और तौर तरीका बदल जाता है, खासकर यूपी बिहार में ये चलन आम है... लेकिन कभी- कभी भीड़ में कुछ चेहरे अपनी अलग छाप छोड़ जाते हैं। समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता स्वामी प्रसाद मौर्य को जमीन दिखाने वाले फाजिलनगर के विधायक सुरेन्द्र कुशवाहा का भी कुछ यही हाल हैं। उन्होंने विधायक पद का वेतन लेने से इनकार कर दिया है।

दरअसल फाजिलनगर के विधायक सुरेन्द्र कुशवाहा पावानगर महावीर इंटर कॉलेज में सामाजिक विज्ञान के अध्यापक हैं। लिहाजा विधायक चुने जाने के बाद भी उनकी प्राथमिकता उनके बच्चे हैं। कॉलेज के प्रिंसिपल भी विधायक सुरेन्द्र कुशवाहा की इस पहल के मुरीद हो चुके हैं। सुरेन्द्र कुशवाहा के मुताबिक, वो अपना अधिकतम समय बच्चों को देना चाहते हैं, क्योंकि ये उनकी नैतिक जिम्मेदारी है कि भले ही विधायक बन गए मगर बच्चों का कोर्स समय से पूरा होना चाहिए। वहीं शिक्षक के रुप में विधायक को अपने बीच पाकर बच्चे भी गदगद हैं।

इस बारे में पेशे से सहायक अध्यापक सुरेन्द्र कुशवाहा चाहते तो औरों की तरह पांच साल की अवैतनिक छुट्टी लेकर विधायकी का आनन्द ले सकते थे मगर इनके भीतर के शिक्षक ने इसकी गवाही नहीं दी, जिसके चलते विधायकी का वेतन त्याग कर सुरेन्द्र कुशवाहा शिक्षक का वेतन ले रहे हैं। रोज सुबह 10 बजे विद्यालय में पहुंचकर हाजिरी देना और फिर जितनी कक्षाएं पढ़ाने का जिम्मा है। सुरेंद्र कुशवाहा 1999 से शिक्षक के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं, उनका कहना है कि शिक्षक अपने बच्चों से दूर नहीं रह सकता है। सदन चलने के दौरान वह अवैतनिक अवकाश पर रहेंगे।

यूपी ही नहीं देश की सियासत में ऐसे बहुतेरे शिक्षकों ने राजनीति में हाथ आजमाया और कामयाब भी रहे। एसपी सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव, प्रो0 रामगोपाल यादव समेत पूर्व बेसिक शिक्षा मंत्री डॉ. सतीश चंद्र द्विवेदी तक सैकड़ों उदाहरण हैं, लेकिन विधायक बनने के बावजूद अपने शिक्षक धर्म को निभाने वाले उदाहरण कम ही हैं।



























 

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