Edited By Anil Kapoor,Updated: 17 Sep, 2018 02:18 PM
2019 के लोकसभा चुनावों के मद्देनजर उत्तर प्रदेश में राजनीति गर्मा रही है और सभी राजनीतिक दल अधिक से अधिक सीटें जीतने के लिए प्रयत्नशील हैं। सत्तारूढ़ भाजपा को पराजित करने के लिए विपक्षी....
लखनऊ: 2019 के लोकसभा चुनावों के मद्देनजर उत्तर प्रदेश में राजनीति गर्मा रही है और सभी राजनीतिक दल अधिक से अधिक सीटें जीतने के लिए प्रयत्नशील हैं। सत्तारूढ़ भाजपा को पराजित करने के लिए विपक्षी दल एक सांझा गठबंधन और महागठबंधन बनाने में जुटे हुए हैं। मगर उनके अापसी खींचतान से गठबंधन सिरे चढ़ता नहीं दिख रहा है। उत्तर प्रदेश में राजनीति हावी है, बसपा प्रमुख मायावती आपनी बात सभी पर थोपने पर अड़ी हुई है। सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव उनसे गठबंधन करने के लिए हर कुर्बानी देने को तैयार हैं। कांग्रेस और रालोद भी महागठबंधन का हिस्सा बनने को तैयार है। राज्य में भीम आर्मी के नेता चंद्रशेखर आजाद भी चुनावों में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए तैयार है जिससे मायावती काफी चिंतित है।
बसपा प्रमुख ने कभी भीम आर्मी को भाजपा से जुड़ा संगठन बताया था और कभी कहती हैं कि अगर चंद्रशेखर ने काम करना है तो वह भीम आर्मी को छोड़कर बसपा के हाथी का साथ दे। चंद्रशेकर खुद को बसपा का समर्थक बताते हैं लेकिन मायावती उनसे किसा तरह का कोई भी रिश्ता रखने की इच्छुक नहीं दिखती। अब सवाल यह उठता है कि मायावती क्यों चंद्रशेखर से दूरी बनाना चाहती है। इसका उत्तर पाने के लिए पिछले साल छबीलपुर और सहारनपुर में हुई हिंसा से मिल सकता है। जब चंद्रशेखर ने पूरे उत्तर प्रदेश की राजनीति को हिलाकर रख दिया था। 5 मई 2017 को सहारनपुर और छबीलपुर में महाराणा प्रताप की मूर्ति पर मालार्पण करने पर हिंसा भड़क उठी, जिसके बीच आगजनी,मंदिर में तोड़फोड़ और फायरिंग की घटनाएं हुईं।
छबीलपुर की घटना को लेकर अनुसूचित जाति के युवाओं के संगठन भीम आर्मी ने 9 मई को सहारनपुर में एक बड़ा रोष प्रदर्शन किया। प्रशासन ने प्रदर्शनकारियों को इकट्ठा होने की अमुनति नहीं दी जिसपर भीम आर्मी के समर्थक भड़क गए और उन्होंने बड़े पैमाने पर आगजनी की। इस घटना के बाद चंद्रशेखर और कई नेताओं पर केस दर्ज किया गया और आजाद को गिरफ्ता कर लिया गया।
जेल से रिहा होने के बाद चंद्रशेखर ने मायावती को अपनी बुआ बताया। जिसपर बसपा सुप्रीमो ने स्पष्ट किया कि वह किसी की बुआ नहीं, वह सिर्फ गरीबों से रिश्ता रखती है। मायावती ने कहा कि राजनीतिक स्वार्थ के लिए लोग मुझसे रिश्ता रखते हैं। भीम आर्मी का जनाधार बढ़ने से मायावती चिंतित है। मायावती चंद्रशेखर की बढ़ती लोकप्रियता के मद्देनजर अब वह भीम आर्मी से दूरी रखना ही पसंद करती हैं।