loksabha election 2024: यादव-मुस्लिम बाहुल्य आजमगढ़ लोकसभा सीट का जानिए समीकरण

Edited By Ramkesh,Updated: 17 Mar, 2024 06:24 PM

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पूर्वांचल की आज़मगढ़ लोकसभा सीट पर 25 मई को वोट डाले जाएंगे। इस सीट पर यादव-मुस्लिम का वोट ही प्रत्याशियों की हार जीत में निर्णय होता है।  आजमगढ़ सीट पर समाजवादी पार्टी ने 2014 , 2019 में जीत दर्ज की थी, हालांकि विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव के...

आजमगढ़: पूर्वांचल की आज़मगढ़ लोकसभा सीट पर 25 मई को वोट डाले जाएंगे। इस सीट पर यादव-मुस्लिम का वोट ही प्रत्याशियों की हार जीत में निर्णय होता है।  आजमगढ़ सीट पर समाजवादी पार्टी ने 2014 , 2019 में जीत दर्ज की थी, हालांकि विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव के स्तीफे के बाद हुए उपचुनाव में सपा को हारा का सामना करना पड़ा था। इस उपचुनाव में भाजपा को जीत मिली थी।

  जानिए आजमगढ़ लोकसभा का समीकरण
बात पूर्वांचल के आजमगढ़ लोकसभा सीट की करें तो इस सीट पर यादव-मुस्लिम के साथ दलित वोट भी हार जीत में बड़ी भूमिका निभाता है। आजमगढ़ लोकसभा सीट 1957 में हुए चुनाव में कांग्रेस के कलिका ने जीत दर्ज की और वो सांसद पहुंचे।  इस सीट पर कांग्रेस ने लगातार जीत हासिल करते हुए साल 1971 तक अपना कब्जा जमाया रखा।  वहीं साल 1977 के चुनावों में जनता पार्टी के राम नरेश यादव ने जीत हासिल कर कांग्रेस के विजय रथ को रोका, लेकिन अगले ही साल हुए उपचुनाव में फिर से कांग्रेस की मोहसिना किदवई ने जीतकर सांसद पहुंची।

सापा, बसपा, भाजपा की नजरे आजगढ़ लोकसभा सीट पर 
साल 1980 में जनता पार्टी(सेक्युलर) ने जीत का परचम लहराया जबकि 1984 में संतोष कुमार ने जीत हासिल करके कांग्रेस का इंतजार ख़त्म किया। वहीं 1989 में यहां से राम कृष्ण यादव बहुजन समाज पार्टी और 1991 में चंद्रजीत यादव जनता पार्टी की टिकट पर जीतकर लोकसभा पहुंचे तो 1996 में सपा रमाकांत और 1998 में बसपा के अकबर अहमद ने जीत दर्ज की। वहीं साल 1999  में हुए चुनावों में फिर सपा से रामाकांत ने बाजी मारी और सांसद पहुंचे तो 2004 में हुए चुनाव में रामाकांत यादव ने ही जीत हासिल की लेकिन इस बार वो बसपा से चुनावी मैदान में थे। अगर बात 2009 की करें तो इस बार रामाकांत यादव बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़े और आजमगढ़ में बीजेपी को पहली बार जीत दिलाई। वहीं 2014 में मैनपुरी की सीट के साथ-साथ मुलायम सिंह यादव ने आज़मगढ़ से चुनाव लड़ा और करीब 50 हजार वोटों के साथ जीत हासिल की।

आजमगढ़ संसदीय क्षेत्र में 5 विधासनभा सीटें हैं
आजमगढ़ संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत 5 विधासनभा  सीटें आती हैं। जिसमें गोपालपुर, सगड़ी, मुबारकपुर,आजमगढ़ और मेहनगर शामिल है और ये सभी सीटें आजमगढ़ जिले में  आती हैं। इस बार होने वाले लोकसभा चुनाव में आजमगढ़ में कुल मतदाताओं की संख्या 17 लाख 70 हजार 637 है। कुल मतदाताओं में पुरुष मतदाताओं की संख्या 9 लाख 62 हजार 889, महिला मतदाताओं की संख्या 8 लाख 07 हजार 674  और ट्रांस जेंडर के कुल 74 मतदाता शामिल हैं।

मुलायम सिंह यादव ने 2014 में 3 लाख 40 हजार 306 वोटों से जीत की थी दर्ज 
अब एक नजर पिछले लोकसभा चुनाव के नतीजों पर डालें तो साल 2014 में इस सीट पर सपा के मुलायम सिंह यादव ने 3 लाख 40 हजार 306 वोटों के साथ जीत हासिल की थी। वहीं बीजेपी के रामाकांत यादव 2 लाख 77 हजार 102 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे थे, जबकि बसपा के शाह आलम तीसरे स्थान पर रहे थे और उन्हे 2 लाख 66 हजार 528 वोट मिले थे।

बसपा के टिकट पर रामाकांत यादव ने 2004 में जीत की थी दर्ज 
साल 2009 में हुए लोकसभा चुनाव पर नजर डालें तो बीजेपी के रामाकांत यादव ने 2 लाख 47 हजार 648 वोटों के साथ जीत हासिल की थी। वहीं बसपा के अकबर अहमद 1 लाख 98 हजार 609  वोट के साथ दूसरे स्थान पर रहे थे जबकि सपा के दुर्गा प्रसाद यादव को 1 लाख 23 हजार 844 वोट मिले थे और वो तीसरे स्थान पर रहे थे। वहीं साल 2004 में हुए लोकसभा चुनाव पर नजर डालें तो बसपा के रामाकांत यादव ने इस सीट पर कब्जा जमाया था और उन्हे 2 लाख 58 हजार 216 वोट मिले थे। वहीं सपा के दुर्गा प्रसाद यादव को 2 लाख 51 हजार 248 वोट मिले थे और वो दूसरे स्थान पर रहे थे जबकि कांग्रेस के राम नरेश यादव 97 हजार 185 वोट के साथ तीसरे स्थान पर रहे थे।

2019 के चुनाव में अखिलेश ने रिकार्ड मतों से जीत की थी दर्ज 
बात 2019 की बात करें तो सपा-बसपा के गठबंधन के कारण अखिलेश ने एकतरफा जीत हासिल की थी। उन्हें 6 लाख से ज्यादा वोट मिले थे। तब निरहुआ अखिलेश के मुकाबले आधा यानी 3 लाख से कुछ ज्यादा वोट हासिल कर सके थे। उपचुनाव में दिनेश लाल यादव ने धर्मेंद्र यादव को हराकर भाजपा का प्रचम लहराया था इस उपचुनाव में मुस्लिम वोटों का बिखराव है। बसपा ने यहां से शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को मैदान में उतारा था। गुड्डू जमाली कभी सपा में भी थे लेकिन विधायक का टिकट नहीं मिलने पर पहले ओवैसी के साथ गए फिर बसपा में वापसी की थी। हालांकि लोकसभा चुनाव 2024 से ठीक पहले गुड्डू जमाली ने सपा का दामन थाम लिया है। अब देखना होगा कि लोकसभा में समाजवादी पार्टी को इसका कितना फायदा होता है। क्या वह अपनी परंपरागत सीट पर वापसी करती है या नहीं। 

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